राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 8 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि कटु सत्य सुनने की हममें शक्ति होनी चाहिए और कटु सत्य बोलने की हिम्मत। माता-पिता बच्चों के हाथ में मोबाइल तो दे देते हैं किंतु उसे चेक नहीं करते कि वह किससे बात करता है। यह मोबाइल उस मूर्ख बंदर मित्र की तरह है जो हाथ में तलवार लेकर सुरक्षा के नाम पर अपने ही मालिक को काटने की तैयारी करता है। उन्होंने कहा कि यह मोबाइल दूर में बैठे व्यक्ति को अपना बना देता है किंतु पास बैठे अपने भाई – बहन, मां – बाप को हमसे दूर कर देता है।
संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि दोस्तों के साथ हमें जिम्मेदारी नहीं निभानी होती है बल्कि मां – बाप, भाई – बहन के साथ हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी होती है। हमारा बुरा या अच्छा होना हमारे बुरे और अच्छे मित्र की संगति पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि जिनके साथ आप रह रहे हो और जिनके साथ बड़े हुए हो, उनकी बातें हमें अच्छी लगती है। नए को स्वीकार करने में हमें समय लगता है जबकि जिसके साथ हम रहते हैं उनकी बातें हमें अच्छी लगती है।
श्री हर्षित मुनि ने आगे फरमाया कि एक ऐसा मित्र होना चाहिए जो कल्याण मित्र हो और वह मौका आने पर हमें गलत सही बता सके। ऐसे मित्र होने से जीवन कल्याण के मार्ग में आगे बढ़ जाता है। उन्होंने आज के समय में बच्चों के बाहर पढ़ने की बात पर कहा कि बच्चे जब यहां नहीं पढ़ रहे हैं तो बाहर जाकर क्या पढ़ेंगे? बाहर जाने पर अगर मित्र हमें अच्छा मिल जाता है तो हम आगे बढ़ जाते हैं और नहीं तो गलत संगत होने पर हम बिगड़ भी सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपके पास बच्चे बैठना नहीं चाहते तो ऐसे में एक ही रास्ता है कि बच्चों को साधु महात्माओ के यहां कुछ देर बैठने के लिए छोड़ देना चाहिए। साधु महात्माओं की संगति में आने के बाद बच्चा सुधर जाएगा। महात्माओं की वाणी और संगत का असर उनपर होगा ही। हम अपने बच्चों को अच्छी संगति की ओर ले जा सकते हैं और अच्छी संगति का असर उनपर पड़ेगा ही।
संत श्री ने कहा कि सड़क पर स्पीड ब्रेकर ना हो तो दुर्घटनाएं बढ़ जाएंगी। इसी तरह परिवार में बुजुर्गों का रोक टोक ना हो तो पता नहीं क्या हो जाए। बुजुर्ग रोकते टोकते अच्छे के लिए ही हैं। उन्होंने कहा कि बड़े लोगों में एक गरिमा होनी चाहिए हर छोटी-छोटी बातों में नहीं पड़ना चाहिए। इतिहास को लेकर वर्तमान में विवाद करने से बचना चाहिए।यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।