अगर विचारों के तूफान को रोकनाहै तो बंधन जरूरी है – जैन संत हर्षित मुनि

अगर विचारों के तूफान को रोकनाहै तो बंधन जरूरी है – जैन संत हर्षित मुनि

बंधन विषय पर जैन संत ने कहा

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़ 11 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि विचारों के तूफान को अगर रोकना है तो बंधन में बंधना जरूरी है। मन के विचारों को सीमित करने के लिए बंधन जरूरी है। लोग बंधन में बंधना नहीं चाहते यही बंधन हमें आपदा से बचाता है।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन के दौरान जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि माता-पिता और घर के लोग हमें बंधन में बांध कर रखते हैं, यह सब हमारे हित के लिए है। विदेशों में माता-पिता बच्चों को पालते हैं और बड़े होने पर उसे बंधन मुक्त करके खुला छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल की पांच लाख से ज्यादा किशोरियां शादी से पहले ही गर्भवती हुई है। इसका प्रमुख कारण है बंधन मुक्त होना। इस मामले में भारत सुरक्षित है क्योंकि यहां माता-पिता सहित परिवार का बंधन किशोरियों को भटकने नहीं देता। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य करें तो माता-पिता एवं घर के बुजुर्गों को अवश्य बताएं।
जैन संत ने कहा कि माता-पिता एवं घर के बुजुर्गों का विश्वास टूटना नहीं चाहिए। वह हम पर भरोसा करते हैं और यह भरोसा बना रहना चाहिए। मनुष्य जाति में सबसे बड़ी चीज है भरोसा। उन्होंने कहा कि माता-पिता को केवल बच्चे के खाने पीने की ही चिंता नहीं रहती बल्कि और भी चिंताएं उन्हें सताती है, जिसे वे व्यक्त नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि अपनी गलती को छुपाना नहीं चाहिए । हम गलती को छुपाने के चक्कर में गलती पर गलती करते जाते हैं। यदि हम पहली गलती को ना छुपाए तो हमसे दूसरी गलती नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आप सेवा करें, सेवा ऐसे गुण है जो आपके भीतर गुणों का इजाफा करता है। आप अपने विश्वास को बनाए रखें। विश्वास ऐसी चीज है जो आसानी से बनता नहीं है। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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