आज के मशीनरी युग में लोग मेहनत नहीं करते, जबकि कर्म से भी मिलता है धर्म का लाभ- साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

आज के मशीनरी युग में लोग मेहनत नहीं करते, जबकि कर्म से भी मिलता है धर्म का लाभ- साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर जिनालय में चल रहे भव्य आध्यात्मिक चातुर्मास के दौरान साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने शुक्रवार को कहा कि हे वत्स तू क्यों चंचल बनता है। यह चंचलता तेरे विशाद का कारण बनेगी। जो व्यक्ति को स्वयं को पहचान लेता है उसकी चंचलता थम जाती है और वह भव से तिर जाता है। आप लोग कहते है कि यह मैंने किया है। यह मैं कौन है पता चल जाएगा तो हमारा भव भ्रमण रूक जाएगा। आत्मा कहती है कि हे जीव ये हांड-मांस के पिंजरे में, मैं नहीं इसके पीछे छिपा तत्व तू है। यह शरीर तेरा भी नहीं है, यह शरीर तो बिगड़ने वाला है, इसका पर्याय क्षण-क्षण में बदलते रहता है।

साध्वीजी कहती है कि 18 देशों के राजा कुमारपाल अपनी आत्मा को पहचानने के लिए हर दिन 32 प्रकार के स्वाध्याय करते थे। वे योगशास्त्र का 12 अध्याय और वीतरागस्तोत्र का 20 अध्याय करते थे। इसके साथ ही सुबह-शाम प्रतिक्रमण भी करते थे। जब जमाना हाथों से काम करने का था तब उस दाैरान लोग अपनी अात्मा के लिए समय निकाल लेते थे। आज का युग मशीनरी है। मशीनों ने अब हमारा सारा काम आसान कर दिया है। उसके बाद भी हमारे पास धर्म के लिए समय नहीं होता। धर्म के प्रति अब तक हमारी चेतना जागृत नहीं हो पाई है। जबकि मनुष्य गति ही ऐसी गति है जो आत्मा तत्व को पहचानने में सक्षम है। लोग सोचते है कि यह जन्म खाने-पीने और घूमने के लिए है। कितना भी स्वादिष्ट खाना खा लो, कितने भी देश घूम लो आखिर वापस तो अपने घर ही लौटना है। तक आपको लगेगा कि यह सुख सिर्फ 4 दिनों का था।

मेहनत करो, धर्म का लाभ मिलेगा

साध्वीजी कहती है कि एक बार की बात है। एक दंपती में सेठ और सेठानी होते है। सेठानी सुबह से उठ कर घर का सारा काम करती और दिनभर वह कुछ न कुछ काम में लगी होती है। खाना भी खुद ही बनाती और सेठ को भी अपने हाथों से खिलाती थीं। आटा गुंथने से लेकर सब्जी काटना और उसे बनाती भी वह खुद ही थीं। इसके बाद सेठ काे वह हर रोज अपने हाथों से खाना खिलाती थीं। फिर भी सेठ अलाली करत थे, वह कहते थे कि तुम बना तो रही हो और खिला भी अपने हाथों से रही हो लेकिन इसे चबाना तो मुझे पड़ता है, गिटकना मुझे होता है और पचाना भी मुझे ही होता है तो क्या मतलब तुम्हारा सुबह से उठकर इतनी मेहनत करने का। प्रसंग में संदेश यह है कि वर्तमान समय में कोई व्यक्ति इतना भी मेहनत नहीं करना चाहता है। साध्वीजी कहती है कि ठंड का दिन सबसे अच्छा होता है। इस दौरान खाने-पीने में भी स्वाद आता है और शरीर को तंदरूस्त रखने के लिए भी यह ठीक होता है। वैसे ही गर्मी के दिन, व्यापार के लिए श्रेयस्कर होते है। अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए गर्मी से बेहतर समय कोई नहीं होता। वैसे ही बारिश का मौसम चार महीनों का होता है, जिसे हम चातुर्मास के रूप में जानते है। इस दौरान हमें अपना ब्रेनवॉश करना है। इस समय आपका मन बिना बोले, बिना कुछ कहे ही उपवास में लग जाता है। यह धर्म का समय होता है। और एक बार जिसका स्वाद आपको लग जाए तो उसे बार-बार करने का मन करता है। धर्म में एक बार मन लगा तो लगातार वैसा ही करने को जी चाहता है। जैसे कि आप कोई मिठाई लेने गए और आपको वह बहुत अच्छा लगा तो आप दोबारा वहीं से खरीदारी करते हो। आपको जो स्वाद पसंद आ गया मतलब वह आपको जम गया।

तपस्वियों को हुआ बहुमान

मेघराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट तथा आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विवेक डागा एवं महासचिव निर्मल गोलछा ने बताया कि शुक्रवार को तपस्वियों का बहुमान किया गया। उन्होंने बताया कि न्यू राजेंद्र नगर में पहली बार सामूहिक रूप से 15 लोगों ने अट्ठाई का तप किया। अट्ठाई यानी आठ दिनों तक गरम पानी के सिवाय कुछ भी ग्रहण नहीं करना होता है। इन 15 लाेगों में एक बच्ची 11 वर्ष की है, जिसने यह तप संपन्न किया है।

हेमंेद्र जी द्रोलिया, एच एस सेठ परिवार ने 136 उपवास से तपस्वियों के बहुमान का लाभ लिया। यहां मनोज जी लाेढ़ा ने 32 उपवास का तप पूरा किया। साथ नम्रमा कांकरिया ने 11, अरविंद जी रामपुरिया ने 9, अभिनंदन रामपुरिया ने 9, भावना जी रामपुरिया ने 9, आदि भंसाली, वर्षा कोठारी, अंजू जी कोचर, काव्या जी पारख, चारमी जी टोलिया, मौली भंसाली, गौरी कांकरिया, दर्शित चोपड़ा सभी ने 9-9 उपवास का तप पूरा किया है। वधर्मान महिला मंडल तथा वर्धमान बहु मंडल ने गीत गाकर तपस्वियों का अनुमोदन किया।

वहीं, 14 अगस्त को जी-जी प्रतियोगिता रखी गई है। 15 अगस्त को देशभक्ति पर अाधारित प्रवचन होगा। साथ ही 16 अगस्त से अक्षयनिधि, समवशरण तप प्रारंभ हो रहा है। जिसका संपूर्ण लाभ श्रीमान पारसचंदजी बसंती देवी प्रवीणजी पायलजी दीक्षा कनिष्का मुणोत परिवार ने लिया है। इसके बाद 18 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्णजी पर आधारित नाटिका प्रस्तुति प्रतियोगिता होगी, जो प्रदेश स्तरीय है। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 15 अगस्त तक अपना रजिस्ट्रेशन समिति के पास कराना होगा और इसके बाद 16 अगस्त को वाट्सएप के माध्यम से ऑडिशन लिया जाएगा।

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