फिजूलखर्ची मत करो, मितव्ययी बनो – जैन‌संत हर्षित मुनि

फिजूलखर्ची मत करो, मितव्ययी बनो – जैन‌संत हर्षित मुनि

दूरदृष्टि रखकर बच्चों को गढ़ें

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 13 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि फिजूलखर्ची मत करो, मितव्ययी बनो। जहां पैसे खर्च करने की आवश्यकता हो, वही खर्च करो। बच्चों को भी पैसे का महत्व समझाएं और उन्हें फिजूलखर्ची ना करने दें। दूरदृष्टि रखकर बच्चों को गढ़ें।
जैन संत श्री हर्षित मुनि में आज अपने नियमित प्रवचन में कहा कि माता-पिता दूसरे के बच्चे को देखते हैं और सोचते हैं कि हमारे बच्चे भी ऐसे क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि दूरदृष्टि रखें और बच्चों को वैसे ही सुयोग्य बनाने का प्रयास करें। मुनिश्री ने कहा कि संयम रखें। पहले व्यक्तियों की उम्र लंबी होती थी और उन्हें लंबे समय तक संयम का पालन करना होता था, आज तो व्यक्ति की उम्र कम हो गई है और कम समय के लिए संयम का पालन करना पड़ता है। पहले सागर से रत्न निकालना होता था अब आपको मटके से रत्न निकालना है। इसके लिए दूरदृष्टि रखिए। उन्होंने कहा कि फिजूलखर्ची ना करें। हमें किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना होता है तो हम उस कंपनी का भविष्य देखते हैं, पूरा बायोडाटा खंगालते हैं, तब कहीं उसमें पैसा लगाते हैं। इस वक्त हम दूरदृष्टि अपनाते हैं।
संत श्री ने कहा कि ऐसे ही हम बच्चों के बारे में भी दूरदृष्टि रखें और उन्हें वैसे गढ़ें। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का ऑपरेशन होता है , काफी वेदना होती है फिर भी व्यक्ति को डॉक्टर के ऊपर गुस्सा नहीं आता क्योंकि उसे पता होता है कि डॉक्टर उसके हित के लिए ऐसा कर रहा है। ऐसे ही धर्म भी हमारे हित की बात सोचता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को पैसे की कीमत समझाएं और उन्हें मितव्ययी बनने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि जो पैसों की कीमत नहीं समझ रहा है, वह आगे जीवन के मोल को क्या समझेगा। पैसों का संग्रह करते हुए उसे सद्कार्य में खर्च करें।
संत श्री ने कहा कि चरित्र किराए का नहीं होता, वह अपना होता है, इसलिए इसे मजबूत बनाएं। हम अपने पास की चीजों की कीमतों को समझें और बच्चों को भी समझाएं। दूरदृष्टि रखें और जीवन को सार्थक बनाएं। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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