श्रद्धा वह चीज है जो व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगाता है – जैन संत हर्षित मुनि

श्रद्धा वह चीज है जो व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगाता है – जैन संत हर्षित मुनि

जैन संत ने आत्म परिवर्तन करने के उपाय बताएं

राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़)17 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि श्रद्धा वह चीज है जो व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगाता है। यही आत्मविश्वास व्यक्ति में परिवर्तन लाता है। व्यक्ति यदि यह सोचे कि मैं आत्मा हूं और जो कार्य मैं कर रहा हूं वह आत्म उत्थान के लिए कर रहा हूं तो व्यक्ति में परिवर्तन अवश्य आएगा।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि श्रद्धा यदि हो तो व्यक्ति के मन में यह विश्वास आ जाता है कि जो संपत्ति है वह मेरी अपनी है , उसका मैं मालिक हूं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को किसी कार्य पर श्रद्धा हो तो उसे अपने गुणों पर विश्वास होने लगता है। संसार के सभी सुखों के साथ एक चीज जुड़ा है वह है वियोग, किंतु मोक्ष के साथ वियोग नहीं जुड़ा है क्योंकि मोक्ष का सुख शाश्वत है। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज निश्चित नहीं होता, हर वस्तु परिवर्तनशील है। सुख का वियोग होता है तो बहुत दुख होता है किंतु वियोग से दुखी ना हो। दुख और सुख तो आते जाते रहते हैं किंतु मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य मन में होना चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा सुख और कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सत्यता का भान हो जाए तो दुख होगा ही नहीं।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि हम बड़ा बनते हैं तो मां हमें कुछ नहीं सिखाती किंतु हम छोटा बनते हैं तो मां हमें सब कुछ सिखाती है। हर कर्म निश्चित समय में होता है।सत्यता का भान करना सीखिए तो आपको कभी दुख नहीं होगा। मैं आत्मा हूं, यह मान कर चलेंगे तो आपको किसी चीज के खोने का गम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति दुखी हो जाता है किंतु उसे उसके दुख का कारण पता नहीं होता। शरीर को आत्ममंथन की आवश्यकता है। आत्मा शाश्वत है और शाश्वत का अनुसरण करें तो आप कभी दुखी ही नहीं होंगे। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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