काम तरकीब और उधम करने से होता है, मनोरथ करने से नहीं – जैन संत हर्षित मुनि

काम तरकीब और उधम करने से होता है, मनोरथ करने से नहीं – जैन संत हर्षित मुनि

जैन संत ने छोटी-छोटी चिंताओं से अपने को मुक्त करने की दी सलाह

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़ )20 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि कोई भी काम तरकीब से होता है और उधम करने से होता है, मनोरथ करने से नहीं। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी चिंताएं हमें निश्चिंत नहीं होने देती। मोक्ष प्राप्ति के लिए निश्चिंत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आत्मा भी है, देवलोक भी है, स्वर्ग भी है और नर्क भी है। पांचवी गति है मोक्ष की, जिसे प्राप्ति का लक्ष्य सबको होना चाहिए।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि किसी चीज की खोज के लिए साइंटिस्ट वर्षों लगा देते हैं किंतु उनका विश्वास नहीं डगमगाता और वे अपनी खोज में लगे रहते हैं। ठीक इसी तरह श्रद्धा भी हमें विश्वास दिलाती है और हमें मोक्ष के मार्ग की ओर बढ़ाती है। मोक्ष अर्थात किसी भी चीज से मुक्ति है। हम छोटी-छोटी चिंताओं से मुक्त हो तो हम निश्चिंत हो सकेंगे। चिंताओं के मिटने से व्यक्ति कितना सुख महसूस करता है। मोक्ष प्राप्ति में परमसुख है। उन्होंने कहा कि जब जब हमने संसार का सुख भोगा है तब तब हम सिद्धों के सुख से दूर हुए हैं। सिद्धों के पास अनंत सुख हैं। इसे हम देख नहीं सकते किंतु इसका अनुभव अवश्य कर सकते हैं।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि गुरु का मुख्य कार्य शिष्यों में उत्साह जगाना है। वे शिष्यों की सभी स्थिति को जानते हैं किंतु उनका उत्साह बढ़ा कर वे उन्हें उस कार्य को करने के लिए प्रेरित करते हैं जिस कार्य को उन शिष्यों को करना होता है। वे अपने शिष्य को दोगुने उत्साह के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति यदि दृढ़ निश्चय कर ले तो सभी कार्य वह कर सकता है। कोई भी काम तरकीब से होता है और इसके लिए उधम करना होता है। मनोरथ करने से कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता। कोई भी कार्य पूर्ण होने से मन में निश्चिंतता आती है, चिंताओं के दूर होने से भी मन में निश्चितता आती है। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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