मोक्ष तक जाना है तो संयम रूपी नाव में बैठो और मन के इशारों से सावधान रहो: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

मोक्ष तक जाना है तो संयम रूपी नाव में बैठो और मन के इशारों से सावधान रहो: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय के मेघ-सीता भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान शनिवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कहा कि मोक्ष में जाना है तो आपको संयम रूपी नाव में बैठना होगा। साथ ही इस दौरान आपको मन के इशारों से सावधान रहना होगा। हमेशा आपको छोटे छोटे काम से ही शुरुआत करनी होती है। कोई भी बड़ा काम एकाएक नहीं किया जा सकता है।

साध्वीजी ने कहा कि कोई भी कार्य का प्रारंभ आपको प्राथमिक चरण से करना है। क्योंकि नाली, नाले से मिलता है और नाला, नदी से और नदी समुद्र से जाकर मिल जाती है। साध्वीजी कहती है कि हमें यह चक्षु प्रभु का दर्शन करने के लिए मिला है और हम इससे दूसरों का दोष देखते हैं। आप बाजार में सब्जी लेने भी जाते हो एक दुकान से एक सब्जी दूसरी दुकान से दूसरी सब्जी खरीद कर दस दुकान घूमते हो। जिस की सब्जी अच्छी नहीं होती तो आप और लोगों को बताते हो कि उसके दुकान में सब्जी अच्छी नहीं मिलती है। उसके बाद भी आप पीठ पीछे निंदा चुगली करने से नहीं चूकते हो। पीठ पीछे चुगली करने वालों को पीठ का मांस खाने वाला कहा जाता है। आप प्रवचन सुनने या मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाते हो तो आप कहते हो कि हम किसी की निंदा नहीं करते चुगली नहीं करते। हम तो ऐसे महफिल में भी नहीं जाते ऐसे समाज में भी नहीं रहते जहां लोग निंदा चुगली करते हैं।

साध्वीजी कहती है कि अगर आपका पड़ोसी अपने घर की सफाई करें और कचरा आपके घर के सामने फेंके तो आप क्या करते हो। आप उसे एक बार मना करोगे दो बार मना करोगे तीसरी बार भी मना करोगे लेकिन वह अगर आपकी बात नहीं मानता तो आप उसकी शिकायत करते हो। उसी जगह पर अगर आप कचरा फेकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन कोई दूसरा फेंके तो आप टोकने लग जाते हो। जब सभी एक जगह पर कचरा फेंके तो आप को स्वीकार कर लेना चाहिए और मन का कचरा भी साफ कर लेना चाहिए। हमारी दृष्टि दोष के तरफ ही जाती है, गुण के तरफ नहीं। आप हर दिन जितने व्यक्तियों से मिलते हो अगर उनके एक-एक उनको भी आप अपना लो, उसे ग्रहण कर लो तो आप में हजारों गुण आ जाएंगे।

मन का कचरा साफ करो

साध्वी जी कहती है कि अगर आपका पड़ोसी अपने घर की सफाई करें और कचरा आपके घर के सामने फेंके तो आप क्या करते हो। आप उसे एक बार मना करोगे दो बार मना करोगे तीसरी बार भी मना करोगे लेकिन वह अगर आपकी बात नहीं मानता तो आप उसकी शिकायत करते हो। उसी जगह पर अगर आप कचरा फेकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन कोई दूसरा फेंके तो आप टोकने लग जाते हो। जब सभी एक जगह पर कचरा फेंके तो आप को स्वीकार कर लेना चाहिए और मन का कचरा भी साफ कर लेना चाहिए। हमारी दृष्टि दोष के तरफ ही जाती है, गुण के तरफ नहीं। आप हर दिन जितने व्यक्तियों से मिलते हो अगर उनके एक-एक उनको भी आप अपना लो, उसे ग्रहण कर लो तो आप में हजारों गुण आ जाएंगे।

दोष नहीं दूसरों में गुण ढूंढो

मोक्ष तक जाना है तो संयम रूपी नाव में बैठो और मन के इशारों से सावधान रहो: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर। न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय के मेघ-सीता भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान शनिवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कहा कि मोक्ष में जाना है तो आपको संयम रूपी नाव में बैठना होगा। साथ ही इस दौरान आपको मन के इशारों से सावधान रहना होगा। हमेशा आपको छोटे छोटे काम से ही शुरुआत करनी होती है। कोई भी बड़ा काम एकाएक नहीं किया जा सकता है।

साध्वीजी ने कहा कि कोई भी कार्य का प्रारंभ आपको प्राथमिक चरण से करना है। क्योंकि नाली, नाले से मिलता है और नाला, नदी से और नदी समुद्र से जाकर मिल जाती है। साध्वीजी कहती है कि हमें यह चक्षु प्रभु का दर्शन करने के लिए मिला है और हम इससे दूसरों का दोष देखते हैं। आप बाजार में सब्जी लेने भी जाते हो एक दुकान से एक सब्जी दूसरी दुकान से दूसरी सब्जी खरीद कर दस दुकान घूमते हो। जिस की सब्जी अच्छी नहीं होती तो आप और लोगों को बताते हो कि उसके दुकान में सब्जी अच्छी नहीं मिलती है। उसके बाद भी आप पीठ पीछे निंदा चुगली करने से नहीं चूकते हो। पीठ पीछे चुगली करने वालों को पीठ का मांस खाने वाला कहा जाता है। आप प्रवचन सुनने या मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाते हो तो आप कहते हो कि हम किसी की निंदा नहीं करते चुगली नहीं करते। हम तो ऐसे महफिल में भी नहीं जाते ऐसे समाज में भी नहीं रहते जहां लोग निंदा चुगली करते हैं।

साध्वीजी कहती है कि अगर आपका पड़ोसी अपने घर की सफाई करें और कचरा आपके घर के सामने फेंके तो आप क्या करते हो। आप उसे एक बार मना करोगे दो बार मना करोगे तीसरी बार भी मना करोगे लेकिन वह अगर आपकी बात नहीं मानता तो आप उसकी शिकायत करते हो। उसी जगह पर अगर आप कचरा फेकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन कोई दूसरा फेंके तो आप टोकने लग जाते हो। जब सभी एक जगह पर कचरा फेंके तो आप को स्वीकार कर लेना चाहिए और मन का कचरा भी साफ कर लेना चाहिए। हमारी दृष्टि दोष के तरफ ही जाती है, गुण के तरफ नहीं। आप हर दिन जितने व्यक्तियों से मिलते हो अगर उनके एक-एक उनको भी आप अपना लो, उसे ग्रहण कर लो तो आप में हजारों गुण आ जाएंगे।

मन का कचरा साफ करो

साध्वी जी कहती है कि अगर आपका पड़ोसी अपने घर की सफाई करें और कचरा आपके घर के सामने फेंके तो आप क्या करते हो। आप उसे एक बार मना करोगे दो बार मना करोगे तीसरी बार भी मना करोगे लेकिन वह अगर आपकी बात नहीं मानता तो आप उसकी शिकायत करते हो। उसी जगह पर अगर आप कचरा फेकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन कोई दूसरा फेंके तो आप टोकने लग जाते हो। जब सभी एक जगह पर कचरा फेंके तो आप को स्वीकार कर लेना चाहिए और मन का कचरा भी साफ कर लेना चाहिए। हमारी दृष्टि दोष के तरफ ही जाती है, गुण के तरफ नहीं। आप हर दिन जितने व्यक्तियों से मिलते हो अगर उनके एक-एक उनको भी आप अपना लो, उसे ग्रहण कर लो तो आप में हजारों गुण आ जाएंगे।

दोष नहीं दूसरों में गुण ढूंढो

एक व्यक्ति गार्डन जाता है और गुलाब के फूल को देखता है। वह फूल बहुत ही सुंदर और सुगंधित होते हैं इसे देखकर वह सोचता है कि इतना अच्छा फूल, अगर इसके आसपास काटे नहीं होते तो कितना अच्छा होता। चलते चलते वह समुद्र किनारे पहुंचता है और सोचता है कि यह इतना गहरा है और शांत है अगर इसका पानी मीठा होता तो कितना अच्छा होता। समुद्र में आ रहे नदी को देखकर वो कहता है इसका पानी कितना स्वच्छ और साफ है लेकिन अगर इसमें कीचड़ नहीं होता तो और भी अच्छा हो सकता था। पेड़ में बैठे कोयल को देखकर वह कहता है कि इसकी आवाज तो बहुत मधुर है लेकिन इसका रंग काला नहीं होता तुझे बहुत अच्छी दिखती। इसके बाद गार्डन का गुलाब, समुद्र, नदी और कोयल सब मिलकर उस व्यक्तियों कहते हैं कि तुम्हें मनुष्य भाव मिला है तो दोष देख रहे हो, तुम्हें तो मोक्ष में जाना चाहिए। दूसरों में तुम गुण देखते तो कितना अच्छा होता।

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