आप कितना भी बड़ा काम क्यों न करो, सबसे पहले अपना धर्म निभाओ- साध्वी स्नेहयशाश्री

आप कितना भी बड़ा काम क्यों न करो, सबसे पहले अपना धर्म निभाओ- साध्वी स्नेहयशाश्री

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। आप सभी काम करते हो, मनोरंजन करते हो, मनचाही जगह पर घूमते हो, मनपसंद खाना खाते हो, टीवी देखते हो, मोबाइल पर गेम खेलते हो, आराम करते हो, आप सब कुछ कर लेते हो। पर आप धर्म नहीं करना चाहते। सोचते तो पर आप करते कुछ भी नहीं हो। यह बातें न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में चल रहे आध्यात्मिक चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान गुरुवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कही।

साध्वीजी कहती है कि आप सारे मनोरंजन का काम करते हो और जहां धर्म की बात आ जाए, वहां आप एक सामायिक भी करना नहीं चाहते हो। उसके बाद भी आप मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा रखते हो। अब आपको स्वयं का मूल्यांकन करना है कि आप कहां खड़े हो। आखिरकार आप यह सोच लेते हो कि यह शरीर तो एक दिन मिट्टी में मिल ही जाना है तो क्यों ना हम आज अपने मनपसंद खाना खाएं, घूमे फिरे और मनोरंजन के सभी साधनों का उपयोग कर लें। इन सबके साथ आप थोड़ा काम भी करते हो और थक जाते हो फिर आराम भी करते हो। जबकि इस जीवन में आराम का कोई स्थान ही नहीं है। आपको दिन भर कुछ ना कुछ काम करना ही चाहिए।

ईमानदारी से धर्म निभाओ

साध्वीजी कहती हैं कि एक राज्य की बात है। मुख्यमंत्री के पास अटैच एक आईएएस ऑफिसर जो कि जैन धर्म से आते हैं, वे पूजा पाठ करते हैं, एकासना, सामायिक और अपने धर्म के सभी तप वे करते हैं। उन्हें प्रधानमंत्री के कार्यालय से भी ऑफर आया तो उन्होंने मना कर दिया। प्रधानमंत्री के कार्यालय में काम करने का ऑफर शायद ही कोई अधिकारी छोड़ें। इस अधिकारी ने यह ऑफर ठुकरा दिया क्योंकि अगर वे दिल्ली जाएंगे तो उनकी सामायिक छूट जाएगी। एक बार मुख्यमंत्री महत्वपूर्ण बैठक ले रहे थे। अब शाम के 5:30 बज चुके थे, उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि मेरे खाने का समय हो चुका है, मैं खाना खा कर आता हूं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि अभी यहां महत्वपूर्ण बैठक चल रही है, मंत्रिमंडल यहां पर है और तुम खाने की बात कर रहे हो। अधिकारी कहते हैं कि मैं शाम 6 बजे के बाद कुछ नहीं खाता इसलिए दिन ढलने के पहले मैं अपना खाना खाना चाहता हूं। मुख्यमंत्री ने मना कर दिया। उसके पांच मिनट बाद ही उन्हें लगा कि शायद मैंने यह गलत कर दिया। उन्होंने कहा कि तुम 6 बजे के बाद कुछ नहीं खाते तो रात को दूध पी लेना। उन्होंने कहा कि मैं शाम 6 बजे के बाद एक बूंद पानी की भी नहीं पीता। इस वाक्या के बाद मुख्यमंत्री समझ चुके थे कि वह अपने धर्म का पालन करते हैं, इसलिए वह भी उनके खाने का समय का पूरा ध्यान रखते थे। अब आप सोचिये कि एक इतने बड़े अधिकारी जो मुख्यमंत्री के साथ काम करते हैं, उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा तो विचार कीजिए कि आप कहां है।

माफी मांगना सीखो, गलती करना नहीं

आप कितना भी बड़ा काम क्यों न करो, सबसे पहले अपना धर्म निभाओ: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर। आप सभी काम करते हो, मनोरंजन करते हो, मनचाही जगह पर घूमते हो, मनपसंद खाना खाते हो, टीवी देखते हो, मोबाइल पर गेम खेलते हो, आराम करते हो, आप सब कुछ कर लेते हो। पर आप धर्म नहीं करना चाहते। सोचते तो पर आप करते कुछ भी नहीं हो। यह बातें न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में चल रहे आध्यात्मिक चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान गुरुवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कही।

साध्वीजी कहती है कि आप सारे मनोरंजन का काम करते हो और जहां धर्म की बात आ जाए, वहां आप एक सामायिक भी करना नहीं चाहते हो। उसके बाद भी आप मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा रखते हो। अब आपको स्वयं का मूल्यांकन करना है कि आप कहां खड़े हो। आखिरकार आप यह सोच लेते हो कि यह शरीर तो एक दिन मिट्टी में मिल ही जाना है तो क्यों ना हम आज अपने मनपसंद खाना खाएं, घूमे फिरे और मनोरंजन के सभी साधनों का उपयोग कर लें। इन सबके साथ आप थोड़ा काम भी करते हो और थक जाते हो फिर आराम भी करते हो। जबकि इस जीवन में आराम का कोई स्थान ही नहीं है। आपको दिन भर कुछ ना कुछ काम करना ही चाहिए।

ईमानदारी से धर्म निभाओ

साध्वीजी कहती हैं कि एक राज्य की बात है। मुख्यमंत्री के पास अटैच एक आईएएस ऑफिसर जो कि जैन धर्म से आते हैं, वे पूजा पाठ करते हैं, एकासना, सामायिक और अपने धर्म के सभी तप वे करते हैं। उन्हें प्रधानमंत्री के कार्यालय से भी ऑफर आया तो उन्होंने मना कर दिया। प्रधानमंत्री के कार्यालय में काम करने का ऑफर शायद ही कोई अधिकारी छोड़ें। इस अधिकारी ने यह ऑफर ठुकरा दिया क्योंकि अगर वे दिल्ली जाएंगे तो उनकी सामायिक छूट जाएगी। एक बार मुख्यमंत्री महत्वपूर्ण बैठक ले रहे थे। अब शाम के 5:30 बज चुके थे, उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि मेरे खाने का समय हो चुका है, मैं खाना खा कर आता हूं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि अभी यहां महत्वपूर्ण बैठक चल रही है, मंत्रिमंडल यहां पर है और तुम खाने की बात कर रहे हो। अधिकारी कहते हैं कि मैं शाम 6 बजे के बाद कुछ नहीं खाता इसलिए दिन ढलने के पहले मैं अपना खाना खाना चाहता हूं। मुख्यमंत्री ने मना कर दिया। उसके पांच मिनट बाद ही उन्हें लगा कि शायद मैंने यह गलत कर दिया। उन्होंने कहा कि तुम 6 बजे के बाद कुछ नहीं खाते तो रात को दूध पी लेना। उन्होंने कहा कि मैं शाम 6 बजे के बाद एक बूंद पानी की भी नहीं पीता। इस वाक्या के बाद मुख्यमंत्री समझ चुके थे कि वह अपने धर्म का पालन करते हैं, इसलिए वह भी उनके खाने का समय का पूरा ध्यान रखते थे। अब आप सोचिये कि एक इतने बड़े अधिकारी जो मुख्यमंत्री के साथ काम करते हैं, उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा तो विचार कीजिए कि आप कहां है।

माफी मांगना सीखो, गलती करना नहीं

साध्वीजी कहती है कि समय अपनी रफ्तार के साथ बीत ही जाता है, चाहे हम कुछ करें या ना करें। पर्यूषण पर्व ऐसे ही कोई संदेश लेकर आता है, इसमें सबसे पहले है क्षमा। एक राजकुमार जिसका मन बहुत ही चंचल था, उसके बाजू में कुम्हार का घर था। कुम्हार हर दिन घड़ा बनाता था और राजकुमार हर दिन निशाना लगाकर घड़े को पत्थर से फोड़ देता था। घड़ा छोड़ने के बाद राजकुमार कुम्हार से जाकर माफी मांगता था। यह एक दिन की बात नहीं, हर दिन की बात थीं। साध्वीजी कहती है कि वैसे ही आप हो। आप हर दिन परमात्मा के नियमों को तोड़ते हो और हमेशा उनसे माफी मांग लेते हो। यह बात अगर कोई आपको बताता है, समझाता है तो आप उसे मुझे सब पता है कहकर अपनी वृत्ति का बचाव कर लेते हो। साध्वी जी ने आगे बताया कि एक स्कूल के विद्यार्थियों के बीच प्राचार्य आते हैं। सभी विद्यार्थियों को वह धागा देते हैं और कहते हैं कि जो सबसे ज्यादा गठान बंधेगा उसे एक हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा। सब छात्र गठान बांधने लग जाते हैं और एक हाथ में सबसे ज्यादा 36 गठान बांध कर एक हजार रुपए जीत लेता है। उसके बाद प्राचार्य कहते हैं कि अब जो छात्र इन गठानों को सबसे पहले खोलेगा उसे 10 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा। सभी गठान खोलने के लिए लग जाते हैं। छात्र उलझ जाते हैं और हार मान लेते हैं। साध्वीजी कहती है कि गठान बांधना तो बहुत आसान है लेकिन उसे खोलना उतना ही मुश्किल है। अगर उन छात्रों को एक लाख रुपए भी दिया जाता तो भी वह गठान नहीं खोल पाते।

Chhattisgarh