मोक्ष प्राप्त करना सबसे सरल है, उसे कठिन आप बनाते हो- साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

मोक्ष प्राप्त करना सबसे सरल है, उसे कठिन आप बनाते हो- साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। मोक्ष प्राप्त करने के लिए आपको सरल होना जरूरी है। संसार के चक्रव्यूह में आप जितने उलझे हुए रहोगे, उतना ही आप मोक्ष से दूर रहोगे। मोक्ष प्राप्त करने के लिए आपको संयम जीवन अपनाना पड़ेगा। संयम जीवन के लिए समर्पण जरूरी है। यह बातें न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में चल रहे आध्यात्मिक चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान शुक्रवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कही।

साध्वीजी कहती हैं कि अगर आपके पास सब हो और समर्पण भाव ही ना हो तो आप संयम जीवन स्वीकार ही नहीं कर पाओगे। संयम जीवन अपनाने के लिए आपको केवल समर्पण चाहिए। लोग सोचते हैं कि इसके लिए हमें बहुत पाठ करना होगा, पढ़ाई करनी होगी। पर बिना अक्षरों के ज्ञान के भी सम्यक ज्ञान प्राप्त हो सकता है। आपको ना राग करना है और ना ही द्वेष। जब मूंग दाल का छिलका हटा दिया जाए तो वह गोरा दिखने लगता है। वैसे ही आपको अपनी आत्मा से कर्म का छिलका हटाना है। ऊपर की कचरे को मिटाना है और अंदर से साफ होना है।

आपका लक्ष्य स्पष्ट हो

साध्वीजी कहती है कि एक राज्य में युद्ध छिड़ती है। उस राज्य में एक कुशल हाथी रहता है, जो युद्ध में दमदारी से लड़ता है। राजा उसे बुलाते हैं, तो महावत हाथी को लेकर आता है। हाथी युद्ध के लिए तैयार नहीं होता फिर भी जैसे तैसे मैदान मैदान में वह पहुंच जाता है। युद्ध करने के लिए उसका मन नहीं होता। राजा महावत से कहते हैं कि कहीं तुम मेरे साथ कोई खेल तो नहीं खेल रहे हो। महावत कहते हैं नहीं महाराज मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं। यह हाथी पिछले चार महीनों से जिस जगह पर था, उसके बगल में ही साधुओं का प्रवचन चल रहा था। लगता है कि दया, करुणा, मैत्री और उनके जीवन को देखकर यह प्रभावित हो गया है। इसलिए यह आक्रमक नहीं बन पा रहा है। आप रुकिए मैं चार दिन में से तैयार कर दूंगा। महावत उस हाथी को सैनिकों के अभ्यास स्थल में लेकर जाता है और चार दिन के लिए उसे वहीं छोड़ देता है। हाथी का मन बदल जाता है और वह युद्ध के लिए एक बार फिर तैयार हो जाता है। साध्वी जी कहती है कि आपका लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। मन लक्ष्य की ओर होना चाहिए। अगर आप अपने लक्ष्य से भटके तो आप कहीं नहीं पहुंच पाओगे।

अधूरा ज्ञान खतरनाक है

साध्वीजी कहती हैं कि रेलवे स्टेशन में एक वृद्ध व्यक्ति ट्रेन का इंतजार कर रहे होते हैं। उनके बगल में एक युवक भी ट्रेन का इंतजार कर रहा होता है। युवक उनसे पूछता है कि आप यह क्या कर रहे हो। बाबा कहते हैं कि मैं रामायण पढ़ रहा हूं। वह कहता है कि अब तक आप को रामायण समझ में नहीं आई आप इसे अभी भी पढ़ रहे हो। बाबा कहते हैं कि रामायण को कितनी भी बार पढ़ लो हर बार कुछ न कुछ नया सीखने को ही मिलेगा। इतने में ट्रेन हो जाती है और वह बाबा ट्रेन में चढ़ जाते हैं। युवक भी उनसे बात करते-करते ट्रेन में चढ़ जाता है। जैसी ट्रेन आगे बढ़ती है वह चिल्लाने लगता है, पर ट्रेन छूट चुकी होती है और उसकी पत्नी ट्रेन में नहीं चल पाती। वह छूट जाती है। इस पर बाबा कहते हैं कि क्या तुमने रामायण पढ़ी है। वह कहता है हां पढ़ी है। अगर रामायण पढ़े होते तो आज तुम्हारी पत्नी रेलवे स्टेशन में नहीं छुटी होती। क्योंकि रामायण में जब भगवान राम और माता सीता गंगा नदी को पार करते हैं, तब नाव में बैठते समय भगवान राम अपनी पत्नी को पहले नाव में चढ़ाते हैं।

अनूठी पहल ● चूल्हा नहीं जलाने वाले परिवार के भोजन की व्यवस्था कर रही चातुर्मासिक समिति

छत्तीसगढ़ में पहली बार वीर आराधक परिवार बनने का शुभ अवसर आया है। श्री जैन श्वेताम्बर आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विवेक डागा जी ने बताया कि पर्युषण पर्व के दौरान जिस परिवार का सात दिनों तक चूल्हा बंद रहेगा, उस परिवार की सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक की भोजन व्यवस्था समिति की ओर से किया जा रहा है। यहां बच्चों या परिवार के किसी भी सदस्य के लिए टिफिन की व्यवस्था भी समिति की ओर से की जा रही है। घर में सात दिनों तक चूल्हा बंद रखने वाले ऐसे धर्मनिष्ठ परिवार का श्रीसंघ की तरफ से परम पूज्य गुरूवर्या की निश्रा में विशेष सम्मान किया जाएगा और उनके लिए भक्ति रखी जाएगी। इस व्यवस्था का लाभ लेने के लिए समिति के पास परिवार का नाम दर्ज कराना पड़ेगाऔर नाम लिखाने वाले परिवारों की व्यवस्था की जाएगी।

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