विशेष समावेशी मीडिया नीति बनाई जाय…… चार दिवसीय मीडिया सम्मेलन में वक्ताओं का केंद्र सरकार से अपील

विशेष समावेशी मीडिया नीति बनाई जाय…… चार दिवसीय मीडिया सम्मेलन में वक्ताओं का केंद्र सरकार से अपील

डा. सी. एल. जैन सोना

आबू रोड (राजस्थान) 1 सितंबर (अमर छत्तीसगढ़) राजयोग एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में विगत 29 अगस्त से 2 सितंबर तक समाधान परक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की ओर विषयक 5 दिवसीय 26 वा राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन शांतिवन आबू रोड में संपन्न हुआ ।


इस महासम्मेलन में भारत और नेपाल से आए 17 सौ से अधिक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, मीडिया प्रोफेशनल्स, मीडिया कंसलटेंट, पब्लिक रिलेशन प्रैक्टिशनर एवं मीडिया शिक्षाविदों ने भाग लिया । इस महासम्मेलन में मीडिया से संबंधित अनेक मुद्दों पर 7 खुले सत्रों के माध्यम से विचार विमर्श किया गया । एक अंतर्दृष्टि सत्र और पांच राजयोग व्याख्यान सह ध्यान सत्रों के पश्चात भारत और नेपाल के प्रमुख मीडिया कर्मियों, प्रतिभागियों और विद्वान वक्ताओं द्वारा महत्वपूर्ण संकल्प एवं कार्य योजना पर विचार विमर्श हुआ ।

विमर्श में कहा गया कि मीडिया को सकारात्मकता पर ध्यान देना चाहिए । प्रायः यह देखा गया है कि अधिकांश लोग नकारात्मक समाचारों के प्रकाशन एवं प्रसारण से आनंदित होते हैं, जो समाज के हित में कतई नहीं है । मानव भावना को सकारात्मक दिशा की ओर उत्प्रेरित करने वाले प्रेरक समाचार देश को समृद्धि की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे । दुनिया में हर समस्या का समाधान अवश्य है, पत्रकार जगत में जनसंपर्क, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों और सामाजिक समस्याओं को उजागर करना पत्रकारों का दायित्व है । मीडिया को जिम्मेदारी लेने , समाज के मुद्दों के ठोस समाधान तलाशने, सुझाव देने व उनके हल के लिए लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए ।

भारत को विश्व गुरु की भूमिका की ओर ले जाने के लिए हम सबको स्वर्णिम युग के संस्कारों को आत्मसात करने की जिम्मेदारी लेनी होगी । हम में से प्रत्येक को सकारात्मक सोच और सार्वभौमिक भाईचारे की संस्कृति को विकसित करना होगा । मीडिया में उच्च संचार शक्ति होती है। यहां तक कि एक साधारण संचार क्रिया भी लाखों लोगों की मानसिक स्थिति को बढ़ा या घटा सकती है । इसलिए मीडिया को यह संकल्प लेने की जरूरत है कि वह समाज को लाभ पहुंचाने के लिए अपने संचार माध्यमों से केवल सकारात्मक उर्जा ही प्रदान करें । निहित स्वार्थ किसी व्यक्ति अथवा संगठन के हितों को पूरा करने के बजाय मीडिया को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि किसी भी कीमत पर सामान्य व्यक्ति की अस्मिता को दांव पर ना लगाया जाए । मीडिया सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने और उसे बरकरार रखने में अधिक सजगता बरतें ।

मीडिया में टेक्नॉलजी के बढ़ते अनावश्यक प्रभाव, उचित नीतियों के अभाव और विचार विनिमय की कमी के परिणाम स्वरुप आमजन में भ्रम पैदा होता है । अतः महासम्मेलन में केंद्र सरकार से अपील की गई कि सब के परामर्श से एक विशेष समावेशी मीडिया नीति बनाई जाए ।
समापन सत्र को ब्रह्मा कुमारी एजुकेशनल विंग के चेयरपर्सन डॉ बीके मृत्यंजय, मुंबई के मीडिया विंग के संयोजक बीके संजय, मीडिया विंग हैदराबाद के नेशनल कोऑर्डिनेटर बीके सरला आनंद, जोनल कोऑर्डिनेटर बीके रंजन, प्रोफेसर जितेंद्र भार्गव, बिन्नी सरीन, डॉ आनंद पहाड़िया, इंदौर के आशीष गुप्ता, डॉ बीके सुनीता और बीके मधुकर तथा सीमा सरीन ने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए ।

कार्यक्रम का संचालन पंजाब जोन के जोनल कोऑर्डिनेटर मीडिया पीके करमचंद ने किया ।इस कार्यक्रम में दैनिक सांध्य छत्तीसगढ़ राजनांदगांव के संपादक डा.सी.एल.जैन सोना, दैनिक सबेरा संकेत राजनांदगांव के सह संपादक वीरेन्द्र बहादुर सिंह,छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष एवम दैनिक आज की जनधारा के ब्यूरो चीफ अमित गौतम,प्रदेश संयुक्त सचिव एवम साधना न्यूज चैनल की सुश्री तिलका साहू,श्रीमती मुक्ता गौतम और ब्रम्हाकुमारिज संस्थान के राजनांदगांव के मीडिया प्रभारी मुरलीधर सोमानी समेत छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के पत्रकारो ने सक्रिय सहभागिता की ।

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