रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर के मेघ-सीता भवन, महावीर स्वामी जिनालय परिसर में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान शनिवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कहा कि आजकल लोगों में सहनशीलता बहुत ही कम है। जबकि मशीनों ने आपका काम बहुत हल्का कर दिया है। काम कम और आराम ज्यादा है। इसके चलते आपकी सहनशीलता भी कम हो चुकी है। जबकि पहले के जमाने में ऐसा नहीं था। बिना काम के जीवन नहीं चलता था। घर के सब लोग सुबह से शाम तक मेहनत करते थे।
साध्वीजी कहती है कि आजकल छोटी-छोटी बातों को लेकर बड़े-बड़े विवाद हो जाते हैं। पति पत्नी के बीच हुई एक छोटी कहासुनी भी तलाक तक पहुंच रही है। छोटी बातों के चलते लोग एक दूसरे से संबंध खराब कर लेते है। इतना ही नहीं छोटी सी बात हो जाने पर लोग एक दूसरे का चेहरा भी देखना पसंद नहीं करते हैं। जो व्यक्ति के अंदर सहनशीलता नहीं होगी तो विवाद तो होना ही है। विवाद होने की स्थिति पर व्यक्ति यह नहीं देखता कि वह किससे बात कर रहा है। जहां विचार नहीं करता कि वह जो कह रहा है वह किस हद तक सही है और सामने वाले व्यक्ति को कितना आहत पहुंचा सकता हैं। आपकी इन्हीं आदतों को बच्चे भी देखते हैं और सीख भी जाते हैं। बच्चों के सामने आप ऐसा करोगे तो उन्हें यह बात बिल्कुल भी गलत नहीं लगेगी।
ज्ञान जितना हो पाचक हो
साध्वी जी कहती है कि आपके पास जितना ज्ञान है वह पाचक होना चाहिए और जीवन में जो काम आए वही असली ज्ञान है। जिस ज्ञान को पाने के बाद जीवन में आचरण, भाषा, शैली, व्यवहार में बदलाव नहीं आया तो वह अज्ञानता के समान है। जो बच्चा हाई एजुकेशन प्राप्त करने के बाद भी माता-पिता से अभद्र व्यवहार, भाई बहन से लड़ाई, छोटे बड़ों का आदर न करे तो उस ज्ञान का कोई अर्थ नहीं होता। जयसमंद में उसका कितना भी नाम है लोग आदर सम्मान करें फिर भी घर में अभद्रता हो तो उस जान का कोई मतलब नहीं है। वहीं, कोई पुत्र अगर सिर्फ कॉलेज पास कर ले और अपने माता-पिता के प्रति सजग रहें, उनके पास बैठे छोटे भाई के साथ प्रेम और बड़े भाई के साथ विवेक रखें, सबके साथ अच्छा व्यवहार करें और अपनी दुकान चलाकर सालाना लाखों कमाए, तो ऐसा पुत्र किसे नहीं चाहिए। हमें बताइए कि दोनों में से कौन अच्छा है हायर एजुकेशन वाला या कॉलेज पास करके अपनी दुकान चलने वाला।
न्यू राजेंद्र नगर में लगी पाप-पुण्य की झांकी
न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान पाप और पुण्य की झांकी सजाई गई हैं।
आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विवेक डागा ने बताया कि इन झांकियों में 18 पाप और पुण्य की झांकियों को सजाया कर प्रस्तुत किया गया है। पाप में प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन्य, परपरिवाद, रति-अरति, मायामृषावाद, मिथ्यादर्शन को प्रदर्शित कर पापों का कारण दुर्गति बताया गया है। वहीं, पुण्य में दीक्षा, पूजा, सामायिक, आदर, जीवदया और दान को प्रदर्शित करते हुए दुर्गति से सद्गति तक आने का रास्ता बताया गया है।