ट्रांसफर की सुपारी लेकर सक्रिय हुई भोपाल और छतरपुर की गैंग
छतरपुर। वर्षों बाद छतरपुर में एक सक्रिय, ईमानदार और दिन-रात विकास के लिए काम करने वाले प्रशासक के रूप में कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह की पदस्थापना हुई है। उनकी पदस्थापना के बाद लगभग 16 महीने गुजर चुके हैं। इन 16 महीनों में छतरपुर जिला न सिर्फ विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ा बल्कि भ्रष्टाचारियों, शासन की जमीनों और संपत्तियों को लूटने वाले माफियाओं व दलालों पर नकेल भी कसी गई। कलेक्टर के सख्त अंदाज और ईमानदार सोच ने कई माफियाओं की नींद उड़ा रखी है। इसीलिए अब कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को जिले से हटवाने के लिए माफियाओं का एक गिरोह सक्रिय हो गया है। यह गिरोह भोपाल से लेकर छतरपुर तक ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है ताकि ट्रांसफर के इस सीजन में किसी तरह कलेक्टर का तबादला करा दिया जाए। उल्लेखनीय है कलेक्टर शीलेन्द्र की सक्रियता के कारण तीन साल से अटका फोरलेन प्रोजेक्ट लगभग पूरा हो गया है।उनके द्वारा मेडिकल कॉलेज,नवीन बस स्टैंड, ओधोगिक विकास और सोलर प्लांट की स्थापना के लिए सतत प्रयास किये जा रहे हैं ताकि छतरपुर जिले तेजी से आगे बढ़ सके यही बात कुछ लोगों को खटक रही है।
ताबड़तोड़ एफआईआर से भ्रष्टाचारी परेशान
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने पिछले 16 महीने के कार्यकाल में अनाज खरीदी में होने वाले घोटालों, राशन की दुकानों और सोसायटियों में होने वाली कालाबाजारी पर अंकुश लगाया है। उनके कार्यकाल में 50 से ज्यादा भ्रष्टाचारियों पर सीधे एफआईआर दर्ज कराई गई। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्यों में मिली लापरवाहियों पर मुकदमे दर्ज हुए तो वहीं शासकीय योजनाओं में अनियमितता करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों पर भी लगाम कसी गई। इसी कारण भ्रष्टाचार से अपना भरण-पोषण करने वाले माफिया उनसे परेशान हैं।
शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगने से नाराज हैं कई लोग
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने अपने 16 महीने के कार्यकाल में बुन्देलखण्ड में शस्त्र लाइसेंस के लिए प्रख्यात छतरपुर जिले में बंदूकों की होड़ पर अंकुश लगाई है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कोई शस्त्र लाइसेंस नहीं बनाया जिसके कारण कई नेता और इस कारोबार से जुड़े दलाल उनसे रंजिश रख रहे हैं। ऐसे लोगों का एक गिरोह कलेक्टर पर शस्त्र लाइसेंस के लिए दबाव बना चुका है लेकिन जब दबाव कामयाब नहीं हुआ तो उनके विरूद्ध विभिन्न अफवाहें फैलाकर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। शस्त्र लाइसेंस न बनने से वे लोग भी परेशान हैं जो इनकी आड़ में अपनी राजनीति और दुकानदारी चमका रहे थे।