आदिवासियों की शिक्षा एवं संस्कृति पर दिया जायेगा जोर, मुख्यमंत्री संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी देंगे मार्गदर्शन

आदिवासियों की शिक्षा एवं संस्कृति पर दिया जायेगा जोर, मुख्यमंत्री संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी देंगे मार्गदर्शन

*राज्य योजना आयोग की सदस्य कांति देवी नाग की अध्यक्षता में आयोजित होगी कार्यशाला*

बस्तर (अमर छत्तीसगढ) राज्य योजना आयोग के जनजातीय समूह की शिक्षा एवं संस्कृति विभाग की सदस्य कांति देवी नाग ने आदिवासियों की शिक्षा एवं संस्कृति के विकास के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी को शहीद वीर गैंद सिंह की जन्मभूमि परलकोट में आने का न्योता दिया है ।श्रीमती नाग ने बताया की हमारे अग्रज राजेश तिवारी ने आदिवासियों के शिक्षा एवं संस्कृति के लिए आयोजित की जाने वाली कार्यशाला में आने के लिए हमारा निमंत्रण स्वीकार कर लिया है उन्होंने बताया की वे अभी उत्तर प्रदेश में है जैसे ही वे छत्तीसगढ़ आयेंगे वे सबसे पहले परलकोट की भूमि में आदिवासी भाई, बहनों एवं युवा पीढ़ी से मुलाकात कर उन्हें मार्गदर्शित करेंगे।

कांति नाग ने यह भी बताया की राजेश तिवारी अपने राजनैतिक और समाजसेवी जीवन के शुरुआत से ही आदिवासी समाज के कल्याण उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध रहे है उन्होंने अपने जीवन में आदिवासी समाज के लिए हर संभव प्रयास करते आए है और अभी भी कर कर रहे है, उनका परलकोट की भूमि में पुनः आना और आदिवासी समाज को मार्गदर्शन देना न सिर्फ हमारा सौभाग्य है बल्कि पूरे परलकोट क्षेत्र के मेरे आदिवासी समाज के लिए भी सौभाग्य है ।

कांति नाग ने आगे बताया की जब राजेश तिवारी बस्तर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष से लेकर कार्यकारी अध्यक्ष थे । उन्होंने उस दौरान पुरे बस्तर संभाग के आदिवासी समाज के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए कई योजनाओं का बस्तर में संचालन करवाया साथ ही आदिवासी समाज के प्रति राजेश तिवारी का प्रेम हमे कई अहम मौकों पर देखने को भी मिला है और अभी भी वे बस्तर में आदिवासियों के हितों की रक्षा एवं समाज के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन भी कर रहे है ।कांति नाग ने आगे यह भी कहा की जहा भाजपा आदिवासियों की 15 वर्षो से भेदभाव और उनकी आवाज को दबाने का प्रयास करते आए है वही राजेश तिवारी पुरे बस्तर के शेर है क्योंकि उन्होंने भाजपा के कुशासन में आदिवासियों के हितों की रक्षा शेर की तरह किए है आदिवासियों की आवाज को विपक्ष हो या सरकार हमेशा शेर की तरह उठाते आए है साथ ही जहा जहा अन्याय हुआ है वहा न्याय के लिए भी चट्टान की तरह आदिवासी समाज के साथ खड़े हुए है ।

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