लगातार बड़ी संख्या में कई दिनों तक अन्न का त्याग एवं सूर्योदय से सूर्यास्त होने तक सिर्फ उबला हुआ पानी लेने की तपस्या…..वैशाली नगर गोलछा निवास…… 48 मिनट तक सावद्य प्रवृत्ति का त्याग कर हम 48 मिनट तक साधु जीवन का रसास्वादन करते हैं- उपासक दिनेश कोठारी…..टिकरापारा जैन भवन…. जैन धर्म में सबसे बड़ा दानी वह जो दान देने की तीव्र इच्छा शक्ति रखता हो

लगातार बड़ी संख्या में कई दिनों तक अन्न का त्याग एवं सूर्योदय से सूर्यास्त होने तक सिर्फ उबला हुआ पानी लेने की तपस्या…..वैशाली नगर गोलछा निवास…… 48 मिनट तक सावद्य प्रवृत्ति का त्याग कर हम 48 मिनट तक साधु जीवन का रसास्वादन करते हैं- उपासक दिनेश कोठारी…..टिकरापारा जैन भवन…. जैन धर्म में सबसे बड़ा दानी वह जो दान देने की तीव्र इच्छा शक्ति रखता हो

पयूर्षण महापर्व के तीसरे दिन सामायिक दिवस

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ़) 14 सितंबर। जैन तेरापंथी समाज द्वारा पयूर्षण महापर्व के तीसरे दिन सामायिक दिवस के उपलक्ष्य में उपासक जयंतीलाल ने पुणिया श्रावक के उदाहरण से सामायिक के महत्त्व को बताया। 48 मिनट तक सावद्य प्रवृत्ति का त्याग कर हम 48 मिनट तक साधु जीवन का रसास्वादन करते हैं और सभी पापों से बचने का प्रयास करते हैं।

उन्होंने ज्यादा से ज्यादा सामायिक करने की प्रेरणा दी। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने मनुष्य जन्म अति दुर्लभ है यह बताते हुए आध्यात्म की आराधना करने की प्रेरणा दी। आज सम्यक्त्व के बारे में जानकारी देते हुए यह बताया कि यह एक रत्न है। जिसे प्राप्त करने पर जीव मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने लगता है। मोहनीय कर्म की विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि सम्यक्त्व की प्राप्ति दर्शन सप्तक के क्षय, क्षयोपशम या उपशम से होती है। अप्रत्याख्यानी कषाय के क्षय, क्षयोपशम या उपशम से व्रती श्रावक और प्रत्याख्यानी कषाय के क्षय, क्षयोपशम या उपशम से साधुत्व की प्राप्ति होती है। अतः कषायों (क्रोध, मान, माया, लोभ) को कम करने का प्रयास करते रहना चाहिए ।


गुरुवार को श्रीमती अर्चना नाहर 12 की तपस्या में गतिमान है, चंदन बाला का तेला श्रीमती ललिका जैन द्वारा मौन किया गया एवं श्रीमती सोनिका नाहर एवं अमित बोथरा ने भी चंदन बाला का तेला की तपस्या वर्धमान हैं, सभी की तेरापन्थ समाज अनुमोदना करता है।
हुलास गोलछा, इंदरचंद बैद मूथा, चंद्रकांत छल्लानी, सुरेन्द्र मालू, विनोद लूनिया, प्रदीप दुग्गड़, चंद्र प्रकाश बोथरा, रमेश नाहर, भीकम दुग्गड़, अंजू गोलछा, संगीता बरडिया, ललिका जैन, अर्चना नाहर, नीतू दुधेरीया, कमला दुग्गड़, मेघा बरड़िया, कुसुम लूनिया, कुसुम सेठीया,भावना बोथरा, शीला छल्लानी,भावना बोथरा आदि ने सामायिक दिवस पर सामायिक का लाभ लिया ।

टिकरापारा- श्री स्थानकवासी जैन गुजराती समाज
श्री दशा श्रीमाली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा में पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन बहनों ने अपने व्याख्यान में कहा कि मनुष्य यदि धनवान हो तो उसे दूसरे जरूरतमंद मनुष्य की सेवा अथवा मदद जरूर करना चाहिए। जैन धर्म में सबसे बड़ा दानी वह व्यक्ति होता है जो की निधन होने के बावजूद भी दान देने की तीव्र इच्छा शक्ति रखता है क्योंकि जब कोई मनुष्य धर्म नहीं कर सकता तब उसे दान देकर धर्म का पुण्य हासिल करना होता है और दान देने के लिए अपने मन के अंतरात्मा के द्वारा को खोलना पड़ता है, जो व्यक्ति दूसरों का भला नहीं चाहता या नहीं करता है और दूसरों से ईर्षा करता है तो उसका भला कभी नहीं होता है उसके जीवन में लगातार हानि मिलती रहती है तब वह स्वयं भगवान को दोषी मानता है जो की बिल्कुल गलत बात है। यदि आपका अच्छा चाहते हैं भला चाहते हैं तो दूसरों का भी अच्छा करना चाहिए भला करना चाहिए।

इस वर्ष पर्यूषण पर्व में सबसे बड़ी तपस्या हो रही है जिसमें श्रीमती भाविका तेजाणी का आज 11वां उपवास, हीर कपाड़िया का छठवा, श्रीमति श्रुति कोठारी का चौथा, सौरभ कोठारी का तीसरा उपवास है। जैन धर्म में उपवास सबसे कठिन तप माना जाता है क्योंकि इस उपवास तप में सूर्योदय से सूर्यास्त होने तक सिर्फ उबला हुआ पानी पिया जाता है इसके अलावा अन्न, फल, फलाहार आदि किसी भी प्रकार का सेवन नहीं किया जाता है। यह तप बहुत ही कठिन होता है। सभी तपस्वियों को समाज की ओर से खूब-खूब अनुमोदना करते हैं। समाज में तपस्वियों के द्वारा आज पोथी पूजन, विधि विधान के अनुसार किया गया जिसमें समाज के सभी लोग उपस्थित थे।

आज के प्रवचन में भगवान दास भाई सुतारिया, प्रवीण दामाणी, हसमुख कोठारी, राकेश तेजणी, हितेश सुतारिया, गोपाल वेलाणी, नरेंद्र तेजाणी, राजू तेजाणी, पारुल सुतारिया, भावना गांधी, तरुणा देसाई, लता देसाई, खुशबू देसाई शोभना वेलाणी, पूजा वेलाणी, दीपिका गांधी, कल्पा तेजाणी, वंदना तेजाणी, दीपा सुतारिया सहित समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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