रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 14 सितंबर। पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि दुनिया में कई धर्म हैं, कई संत हैं, कई साधू है। संत किसी भी परंपरा का हो, उसका जीवन भिक्षा से ही चलता है। किसी भी धर्म परंपरा में भिक्षा कैसी लेनी है, इसकी साधना नहीं दी गई है। लेकिन प्रभु महावीर ने एषणा समिति का विधान किया है। एषणा समिति के 3 आयाम हैं, गवेषणा, ग्रहणेशणा और परीभोगेशणा। खोजना, लेना और भोग करना। तीनो में क्या गलतियां हो सकती हैं, इसका भी वर्णन है। जब इन तीनो आयामों से आहार लिया जाता है तो जीवन बन जाता है। आहार जीवन का आधार है, यह मजबूत होगा तो जीवन मजबूत हो जाएगा। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
पर्युषण महापर्व की प्रवचन माला में उपाध्याय प्रवर ने अब तक बताया कि कैसे चलना है, कैसे बोलना है। आज उन्होंने आहार पर्याप्ति का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि झोपड़ी बनाने के लिए कोई आधार नहीं लगता। लेकिन जिनको जीवन का महल बनाना हो वे आहार का आधार लेते हैं। आपके आहार से तय होता है कि आपका जीवन महल है कि कुटिया। परमात्मा ने कहा कि आहार जीवन का आधार है। आहार से जीवन शुरू होता है। आहार पर्याप्ती वह शक्ति है जो भोजन को ऊर्जा में बदलता है। हर पदार्थ में सब सामर्थ्य है, अगर आहार पर्याप्ति मजबूत होगी तो आप उससे सब ले पाएंगे। उन्होंने कहा कि आपको किसपर काम करना है? आहार पर या आहार पर्याप्ति पर? आहार पर्याप्ति की तीन विधियां जब जीवन में साकार होती हैं तब आहार आधार बनता है। खाना शरीर बनने की शुरूआत है, उपापचय आहार पर्याप्ति है। पदार्थ में ताकत नहीं है, उसे पचाने से ताकत आती है। हम खाने पर जोर देते हैं पचाने पर जोर नहीं देते हैं। सबसे पहले गवेषणा, आहार का उद्गम को खोजना। अन्न तुम्हारे अंदर जाकर काम करता है। यह कहां से आया है, किस प्रक्रिया से बना है? आहार किस भाव से बना है यह जानना आवश्यक है। क्योंकि जैसा खावे अन्न, वैसा होव मन। आहार के साथ कौन सा भाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि एक संयमी व्यक्ति को असंयमी व्यक्ति की जीवन शैली हजम नहीं हो सकती है। आप यह यह सोचें की क्या खाएं और कैसे खाएं, कि वह आहार जीवन में अमृत बन जाए।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि पर्युषण महापर्व के दौरान टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में प्रतिदिन की भांति आज भी प्रातः 6 बजे से प्रार्थना (भक्तामर स्त्रोत आराधना), 8.15 बजे सिद्ध स्तुति, 8.30 बजे अंतगड़ सूत्र का मूलपाठ, फिर 10 बजे मंगलपाठ के बाद उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि का प्रवचन हुआ। दोपहर 2.30 से 3.30 बजे तीर्थेश मुनि ने कल्पसूत्र की आराधना कराई। फिर शाम 6 बजे कल्याणमन्दिर स्त्रोत आराधना और सूर्यास्त के समय प्रतिक्रमण हुआ।