छत्तीसगढ़ का पर्यटनात्मक अवलोक, दिग्दर्शन अद्भुत एवं अनूठा- द्विवेदी

छत्तीसगढ़ का पर्यटनात्मक अवलोक, दिग्दर्शन अद्भुत एवं अनूठा- द्विवेदी


राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 27 दिसम्बर ।. शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय राजनांदगांव के इतिहास विभाग के मुख्य तत्वाधान में संस्था प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह बघेल के मुख्य निर्देशन में छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र विषय पर मूल्य संवर्धित पाठ्यक्रम कार्यक्रम आयोजित किया गया। उक्त अति महत्वा आयोजन में विषय विशेषज्ञ व्याख्यान श्रृंखला अंतर्गत विशेष रूप से आमंत्रित विचार प्रज्ञ प्राध्यापक डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने महत्तम विचार चर्चा में बताया कि छत्तीसगढ़ एकसाथ नैसर्गिक सौंदर्य, पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भ में अति आकर्षिय दृश्यावलियों को संजोये, सम्मोहक पर्यटन क्षेत्रों का एक विशेष प्रदेश है जहाँ सहज रूप से पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं है। छत्तीसगढ़ का विशुद्ध नैसर्गिक परिवेश एवं सहज भौगोलिक परिदृश्यों की तुलना देश-धरती के किसी भी रमणीय पर्यटन स्थल से की जा सकती है, उदाहरण के रूप में छत्तीसगढ़ का शिमला कहलाने वाला मैनपाट क्षेत्र, बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात, छत्तीसगढ़ का खुजराहों कहा जाने वाला भोरमदेव आदि। यहां के प्रमुख पर्यटन क्षेत्रों में प्रयाग-सम राजिम, शबरी आश्रम, शिवरीनारायण, रतनपुर की महामाया, खरौद, डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी मंदिर, लूथरा-शरीफ दरगाह, कुनकुरी गिरजाघर, दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा, ऐतिहासिक विशिष्टता वाले महल, किले, मंदिर-सिरपुर, पाली, लाफा, तालाग्राम, डिपाडीह, कलचाभदवाही एवं गण धनौरा इसी प्रकार प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्रों में जशपुर पाट, नैनपाट, मैकल, रामगढ़ तथा अबुझमाड़ सघन वन वनाच्छादित पर्वतीय श्रृंखलाएं एवं कल-कल नाद करती हुई सरिताओंं के मध्य केन्दई अमृतधारा, कोटरी, कुटरू, इन्द्रावती, कांगेर एवं संजय राष्ट्रीय वन उद्यान, कुटुम्बसर गुफाएं पर विशेष सौंदर्यबोध पर चर्चा करते हुए डॉ. द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ का समग्र पर्यटनात्मक अवलोक, दिग्दर्शन, अद्भुत एवं अनुठा है। बस एक विशेष प्रचारात्मक प्रयास एवं पर्यटनात्मक पुट देकर छत्तीसगढ़ प्रदेश को देश के प्रमुख पर्यटन प्रदेश के रूप में अग्रणी किया जा सकता है। आवश्यक होगा कि वर्तमान पीढ़ी अपनी जीवनचर्या में देशी पर्यटन-तीर्थाटन को अंगीकार कर ज्ञानरंजन का मुख्य आधार बनायें। डॉ. द्विवेदी ने इस अवसर पर स्वलिखित मोनोग्राम द्वय – ”छत्तीसगढ़-नैसर्गिंक पर्यटन का प्रदेश” एवं ”सरगुजा पर्यटन की सहज संभावनाओं का क्षेत्र” संस्था प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह बघेल एवं डॉ. उमरे को भेंट देकर छात्रों के प्रत्यक्ष अवलोकन हेतु जारी किए गए। व्याख्यान माला के प्रारंभ में संस्था प्राचार्य डॉ. श्रीमती बघेल ने डॉ. द्विवेदी का अकादमीक परिचय देते हुए स्वागत अभिनंदन किया तथा व्याख्यान माला संचालक डॉ. उमरे ने ज्ञानवर्धक विशेष जानकारी परख व्याख्यान के लिए डॉ. द्विवेदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उपस्थित – सहभागी छात्राओं ने करतल ध्वनि के साथ अभिनंदन किया।

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