लक्षद्वीप – सहज, प्राकृतिक सौंदर्य का अनुपम तटीय प्रदेश – द्विवेदी

लक्षद्वीप – सहज, प्राकृतिक सौंदर्य का अनुपम तटीय प्रदेश – द्विवेदी


राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 15 जनवरी । शासकीय कमला देवी राठी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव के भूगोल विभागा द्वारा संस्था प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा के प्रमुख संरक्षण में भारतीय गणतंत्र के सबसे छोटे केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप पर संदर्भ व्याख्यान आयोजित किया गया।

विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने मुख्य वक्ता के रूप में छात्राओं को बताया कि विशुद्ध प्राकृतिक पर्यटन की असीम संभावनाओं से युक्त अनुपम छटाओं वाला लक्षद्वीप वास्तव में एक द्वीप समूह है, यहाँ का प्रमुख राजधानी नगर कावारत्ती, मुख्य भाषा मलयालम तथा यहाँ के निवासियों की साक्षरता 92 प्रतिशत से अधिक है। लक्षद्वीप बारह एटॉल, तीन प्रवाल भित्तियाँ और 5 जल प्लावित तट हैं। 32 वर्ग किलोमीटर फैला लक्ष्यद्वीप समूह में छोटे-छोटे 36 द्वीप है जिसमें केवल 10 द्वीपों में ही मानव बस्तियाँ है। केरल के तटीय नगर कोचीन से 200 से 400 किमी. की दूरी पर स्थित लक्षद्वीप का भू-तल बहुत कम है। परंतु इसका लैगून समुद्र तटीय क्षेत्र 4200 वर्ग किलोमीटर जिसमें 20 हजार वर्ग किलोमीटर फैला प्रादेशिक समुद्र आता है तथा 7 लाख वर्ग किलोमीटर आर्थिक प्रदेश भी संलग्न है। इस दृष्टि से देश का यह सबसे बड़ा तटीय प्रदेश वाला द्वीप समूह है।

आगे विशेष रूप से डॉ. द्विवेदी ने व्याख्यान में स्पष्ट किया कि यहाँ फैली वानस्पितिक श्रृंखला में नारियल, केला, कोलो-कोसिया, चोल, जैक-फ्रूट, जंगली बादाम के साथ-साथ बहुतायात में समुद्री घांसे-थैलेेसिया, हेम्प्रचिन, साईमोडोसिया, आइसो टिकोलिया, फैली है। इसके अलावा पपीता, अमरूद, चीकू एवं रसदार फलों तथा ड्रमस्टिक पेड़-पौधे द्वीप समूह को और अधिक प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध करते हैं। साथ ही यहाँ के सागरीय पशु-पक्षियों की गहन उपस्थिति इसे एक जीव-जंतु विहार का सहज-सलिल सुंदर स्वरूप भी प्रदान करती है।

वस्तुत: लक्षद्वीप ठेठ प्राकृतिक सौंदर्य का प्रादर्श पर्यटन स्थल है जिसे थोड़े से सुधार एवं परिवहन सुविधाओं के विस्तार द्वारा देशी-विदेशी पर्यटन के मुख्य केन्द्र के रूप में सुस्थापित किया जा सकता है। आइये ”सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” जैसी सर्वदा से प्रसिद्ध उक्ति को स्वीकारें तथा देश-प्रदेश में इसी तरह फैले सुंदर-अतिसुंदर प्राकृतिक प्रदेशों को जाने-पहचानें और उनकी सैर करें।

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