जैन भगवती दीक्षा-मुमुक्षु प्रणिधि का विशाल बरघोड़ा,कई स्थानों पर स्वागत

जैन भगवती दीक्षा-मुमुक्षु प्रणिधि का विशाल बरघोड़ा,कई स्थानों पर स्वागत

(अमरेश जैन)
राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़) 15 जनवरी। नगर की ब्राम्हण पारा निवासी मुमुक्षु प्रणिधि पारख जो कि आगामी 22 जनवरी को मध्यप्रदेश के जावद में जैनाचार्य रामलाल जी म.सा. रामेश के सानिध्य में विधिवत दीक्षा ग्रहण करेगी। गत 12 जनवरी से स्थानीय नवीन समता भवन में लगातार विभिन्न कार्यक्रम भक्ती संगीत का आयोजन चलता रहा। कल जैन सकल समाज लोगों द्वारा आयोजित मुमुक्षु प्रणिधि का विशाल बरघोड़ा हजारों लोगों के साथ निकला, जहां स्वागत सम्मान किया गया। पश्चात 2 बजे मुमुक्षु प्रणिधि पारख का विशाल सम्मान समारोह में समाज,परिवार, परिजन विभिन्न संस्थाओं ने उनका स्वागत किया। सम्मान समारोह का संचालन सारगर्भित व आकर्षक सुश्रावक महेश नाहटा ने किया।
साधुमार्गी जैन संघ व सकल जैन समाज के द्वारा कल संयम सत्कार महोत्सव के मुमुक्षु प्रणिधि पारख, दुर्ग की मुमुक्षु प्रणीता बाफना, अर्जुंदा की मुमुक्षु शैली बाफना के साथ बरघोड़ा निकला। बरघोड़ा गौरव पथ स्थित समता भवन से सुबह शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए वापस समता भवन पहुंची। यहां इस दौरान सकल जैन समाज लोगों ने रथ में सवार मुमुक्षुओं का जगह-जगह अभिनंदन किया। वहीं समाज लोग संयम जीवन सार है। दीदी हो तो मुमुक्षु दीदी प्रणिधि जैसी हो के नारे लगाते रहे। मुमुक्षु प्रणिधि 22 जनवरी को जावद मध्यप्रदेश में आचार्य 1008 रामलालश्रीजी से दीक्षा देंगी। पहले राजनांदगांव में 12 जनवरी से संयम सत्कार महोत्सव का आयोजन किया गया।


सांस्कारिक मोह माया,भौतिक सुखो को त्याग पर बोली प्रणिधि
स्थानीय ब्राम्हणपारा निवासी स्नेहा-ललित पारख की 23 वर्षीय सुपुत्री मुमुक्षु प्रणिधि पारख का 12 जनवरी से संयम सत्कार महोत्सव शुरु हुआ। मुमुक्षु प्रणिधि 22 जनवरी को जावद मध्यप्रदेश में आचार्य 1008 रामलालश्रीजी से दीक्षा लेंगे। ंशासकीय दिग्विजय महाविद्यालय से बीएससी द्वितीय वर्ष तक पढ़ाई करने के बाद मुमुक्षु के सबसे छोटे चाचा सुनील पारख के 2021 में निधन के बाद मुमुक्षु प्रणिधि आचार्य 1008 रामलाल श्रीजी मसा की प्रेरणा से सांसरिक जीवन छोडक़र वैराग्य धारण की इच्छा परिजनों की बीच जाहिर की, जिसे परिजनों ने खुशी से अनुमति दी। मुमुक्षु प्रणिधि ने चर्चा में कहा कि हमारे परिवार में मेरे नाना-नानी, दो मौसी, एक दीदी ने पूर्व में दीक्षा ग्रहण की है। बचपन से प्रेरणा थी, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि इस राह में बढूंगी, लेकिन 2017 में पढ़ाई के दौरान आचार्य श्रीजी का राजनांदगांव में आगमन हुआ।

उन्होंने समझाया कि यह संसार कैसा है। धीरे-धीरे आचार्यश्री की प्रेरणा से मेरे वैराग्य के भाव बढ़े और मैं दीक्षा मार्ग की ओर बढऩे लगी। इसी दौरान परिवार में मेरे सबसे प्रिय छोटे चाचा सुनील पारख का निधन हुआ। उनकी अचानक चले जाने से हम सभी दुखी थे। उस समय आचार्यश्री का सानिध्य मिला, उन्होंने कहा प्रणिधि बस यही जीवन है। मेरे चाचा के जाने से मेरे भीतर का वैराग्य सबसे ऊंचा उठा और उसी समय मैं संकल्प ली कि अब तो मुझे इस संसार से निकलना है। मेरे चाचा का उपकार है कि उनके जाने से मुझे प्रेरणा मिली कि यह जीवन का कोई भरोसा नहीं है, यह जीवन बहुत क्षणभंगुर है।
जैना आचार्यश्री कहते हैं कि संसार आपको छोड़े इससे पहले आप संसार को छोड़ दो। एक ना एक दिन मृत्य होगी तो यह संसार के सारे रिश्ते, नाते, परिवार अपने आप ही छुटेगा ही, संसार सभी के छुट जाएंगे। ये जो रिश्ते हैं माता-पिता, भाई-बहन ये सभी अस्थायी हैं, बहुत कम समय के लिए है, क्योंकि एक ना एक दिन सभी को इस दुनिया से जाना है। ये कितने साल रहेंगे 40-50 साल उसके बाद भी सब छुटने वाला है। इससे पहले ऐसे रास्ते को चुन लो जहां पहले से ही एकत्व की साधना कर सको। जब मेरे भाव वैराग्य की ओर बढ़े तो मैं म.सा. की इन बातों का ध्यान रखती थी।


हम नहीं तो क्या तुम तो कर पाई। मुमुक्षु प्रणिधि पारख की माता स्नेहा पिता ललित पारख को जैसे ही प्रणिधि के वैराग्य धारण करने की जानकारी हुई। उन्होंने तत्काल अनुमति दे दी तथा उन्होंने कहा कि जिस मार्ग में हम नहीं चल पाए वहां अगर हमारी बेटी चले यह हमारा सौभाग्य है। जिस राह में चलकर हमारी बेटी का कल्याण होगा ऐसे मार्ग की बाधा हम नहीं बनना चाहते हैं।
मुमुक्षु प्रणिधि पारख आगामी 18 जनवरी को जावद मध्यप्रदेश के लिए विदा होंगी। जहां 21 जनवरी को विशाल शोभायात्रा तथा 22 जनवरी को सुबह जावद में जैनाचार्य रामेश जी म.सा. के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण करेगी। इस अवसर में बड़ी संख्या में जैन साध्वी सतिया जी व समाज के प्रमुख देशभर के लोग दीक्षा कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचेगे। जावद में तैयारियां शुरु है।

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