राजनांदगाँव(अमर छत्तीसगढ़) 24 फरवरी । नगर के प्रसिद्ध इतिहासकार स्मृतिशेष गणेश शंकर शर्मा की प्रथम पुण्यतिथि पर उनके द्वारा लिखित शोध ग्रन्थ ‘नांदगॉंव में मुक्तिबोध’ का विमोचन 23 फरवरी 2024 को नगर के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्तिथि में प्रसिद्ध शिशुरोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ पुखराज बाफना ने किया। यह किताब मुक्तिबोध द्वारा राजनांदगांव में बिताए गए 6 वर्षों पर ही केंद्रित है। राजनंदगांव का मुक्तिबोध के जीवन में योगदान तथा मुक्तिबोध का राजनांदगांव के प्रति अनुराग को रेखांकित करती यह पहली किताब है।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए पद्मश्री डॉक्टर पुखराज बाफना ने कहा कि स्मृति शेष गणेश शंकर शर्मा लेखन के प्रति बेहद गंभीर होने के साथ-साथ अपने शहर के प्रति बेहद संवेदनशील थे। नगर का ऐसा कोई भी विषय नहीं इसके इतिहास से वे अपरिचित थे। नगर के प्रति उनकी संवेदनशीलता और ज्ञान का ही परिणाम है यह किताब। उन्होंने आगे कहा कि नांदगॉंव में मुक्तिबोध स्थानीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक वातावरण में हलचल पैदा करने वाली एक अद्भुत किताब है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि स्वर्गीय गणेश शंकर शर्मा जब भी मिलते थे तो बहुत सकारात्मक से मिलते थे । उनमें कभी निराशा का भाव नहीं देखा और वह जिसके भी सामने होते उसकी पृष्ठभूमि के साथ-साथ उसके ज्ञान का सम्मान कर उसकी बात भी सुनते । उन्होंने आगे कहा की स्वास्थ्य जगत से जुड़े मेरे सभी आलेखों और स्तंभों को पढ़ने के बाद वे तत्काल मुझे फोन कर अपनी प्रतिक्रिया देना नहीं भूलते उन्होंने राजनांदगांव पर जो कुछ भी लिखा वह युगों युगों तक मूल्यवान रहेगा।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुशील कोठारी ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत एंट्री उनके कमरे तक थी और मैंने पाया कि वह किताबों के देर के बीच बैठकर अपनी सर्जन का आनंद लेते थे। उनके लिखे सारे स्तंभ नगर में ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय रहे और कई दौर तो ऐसे भी आए जब लोग उसे दिन के अखबार को खोजते थे। स्वर्गीय शर्मा जी वामपंथी प्रगतिशील विचारधारा के नहीं थे किंतु मुक्तिबोध पर उन्होंने उतनी ही तन्मयता और रुचि के साथ लिखा जितना की कोई प्रगतिशील विचारधारा का व्यक्ति लिखता। उनके ज्येष्ठ पुत्र डॉ चन्द्र शेखर शर्मा ने उनके साथ सह लेखक के रूप में तीन किताबों पर काम किया इस नाते स्वर्गीय श्री शर्मा जी और चंद्रशेखर इस किताब के प्रकाशन हेतु बधाई के पात्र हैं।
इस अवसर पर श्री शैलेंद्र कोठारी ने बताया कि उनके और शर्मा जी के बीच बहुत ही प्रकार संबंध रहे हैं। उनके साथ बहुत लंबा वक्त बिताने का सौभाग्य मिला और इस नाते कई संस्मरण है। स्वर्गीय शर्मा जी इतिहास ही नहीं बल्कि कई विषयों के ज्ञाता थे और मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ की चंद्रशेखर और उनके पिता जी की इस किताब को पढ़ने का सबसे पहला अवसर मुझे मिला। तब शर्मा जी जीवित थे और वे बड़ी तन्मयता से चंद्रशेखर के साथ मिलकर इस किताब को तैयार कर रहे थे। किताब पूरी हुई ही थी कि वह हम सबको अचानक अलविदा कह कर चले गए।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्व विद प्रोफेसर डॉक्टर आर एन विश्वकर्मा ने स्वर्गीय शर्मा जी और चन्द्र शेखर के लेखकीय श्रम का उल्लेख किया। डॉ विश्वकर्मा उनके प्रगाढ़ मित्रों में से एक हैं। डॉ विश्वकर्मा ने बताया कि स्व शर्मा के जाने से नांदगॉंव को अपूरणीय क्षति हुई है। किंतु उन्होंने चन्द्र शेखर को लिखने के लिए अच्छे से प्रशिक्षित किया है। आशा है वे उनकी विरासत को आगे भी समृद्ध करेंगे।
पुस्तक के सह लेखक डॉ चन्द्र शेखर ने पुस्तक की विषय वस्तु व नांदगॉंव में मुक्तिबोध के जीवन पर बात कही। वही आधार भाष्य नांदगॉंव संस्कृति एवं साहित्य परिषद के महासचिव अजय शुक्ल ने दिया।
इस अवसर पर मृणाल शर्मा ने पिता पर तथा अनंत शर्मा ने राम-हनुमान सम्वाद पर केंद्रित एक एक कविता का पाठ भावांजलि स्वरूप किया। तरुण छत्तीसगढ़ के ब्यूरोचीफ गोविंद शर्मा ने इस अवसर पर उनकी उदार दृष्टि और धीरज को रेखांकित किया। नगर के शायर अब्दुस्सस्लाम कौसर, कवि पद्मलोचन शर्मा,
नागपुर से आये श्री देव कुमार शर्मा व श्रीमती मीना शर्मा ने भी स्व शर्मा जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इस वृहत कार्यक्रम का सफल संचालन बैंक आफ बड़ोदा के पूर्व प्रबंधक व नांदगॉंव संस्कृति एवं साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्री अखिलेश चन्द्र तिवारी ने किया।
प्रथम पुण्य स्मरण सह विमोचन के इस अवसर पर डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट से विनोद तिवारी, पत्रकार वीरेंद्र बहादुर सिंह, मिथिलेश देवांगन, अजय शुक्ला, शशांक तिवारी, प्रेरणा तिवारी, डॉ सूर्यकांत मिश्रा, भिलाई के प्रोफेसर संतोष शर्मा, प्रोफेसर क्रांति जैन, प्रो प्रभाष गुप्ता, डॉ दादू लाल जोशी, डॉ नीलम तिवारी, डॉ लाल चंद सिन्हा, गिरीश ठक्कर, ओम प्रकाश साहू समेत नगर के अनेक गणमान्य जन उपस्थित होकर स्मृतिशेष गणेश शंकर शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उल्लेखनीय है कि मुक्तिबोध ने नांदगॉंव में ही अपनी कई रचनाएं लिखीं और संशोधित कीं। इसी शहर ने उनको रचना कर्म के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया। यह किताब सृजनपीठ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की है। यह भी संयोग है कि कितना स्वर्गीय गणेश शंकर शर्मा की प्रथम पुण्यतिथि पर ही आयी और इसका विमोचन समर्पण नांदगॉंव में नांदगॉंव के ही लोगों के बीच नांदगॉंव के लोगों द्वारा किया गया।