रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 4 मार्च।
आज शहर के एक होटेल में छतीसगढ़ के सभी जिलों के आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टर के लिये एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन छतीसगढ़ के ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया गया। इस केन्द्र के कन्ट्रोलर प्रो. डॉ. हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है। कार्यशाला का विषय था आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता नियंत्रण एवं महत्व। कार्यक्रम का शुभारंभ आयुष के संचालक एवं नियंत्रक प्राधिकारी सुश्री इफ्फत आरा आई.ए.एस. ने भगवान धन्वन्तरि पूजन एवं दीप प्रज्वलन कर किया। अपने उद्बोधन में संचालक आयुष इफ्फत आरा मैडम ने कहा कि रोगियों को गुणवत्तापूर्ण औषधि मिले यह सुनिश्चित करना आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टरों का दायित्व है, इसके लिये छोटे-बड़े सभी औषधि निर्माता कंपनियों से सैम्पल एकत्र करें। समाज के प्रत्येक रोगियों और कच्ची औषधि प्राप्त करने वाले निर्माताओं को गुणवत्तापूर्ण औषधि प्राप्त करने का अधिकार है।
संयुक्त संचालक डॉ सुनील कुमार दास ने त्रैमासिक लक्ष्य के अनुसार औषधि सैम्पल परीक्षण के लिये भेजने पर जोर दिया, जिससे पूरे वर्षभर औषधि परीक्षण का कार्य सुगमता से हो सके। वर्षान्त में एक साथ सैम्पल भेजने से बचने की सलाह भी डॉ दास ने दिया।
अधिवक्ता एवं सेवा निवृत्त विधि अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन श्री ए. के.पाण्डेय ने ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की जानकारी देते हुए नकली दवा, मिलावटी दवा एवं दूसरे ब्रांड नाम का प्रयोग करने वाले कंपनियों के विरूध्द कार्यवाही कैसे करना चाहिए की जानकारी प्रदान किया। चेयरपर्सन, एजुकेशन रेगुलेशन कमिटी , फॉर्मेसी कॉउन्सिल ऑफ इंडिया डॉ दीपेन्द्र सिंह ने ड्रग इंस्पेक्टर की शक्तियां एवं दायित्व पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। राज्य औषधि विश्लेषक डॉ श्रीकांत इन्चुलकर एवं डॉ. के. एस. करभाल, ने भी अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेटरी के कंट्रोलर डॉ. हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने लेबोरेटरी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि पहले केवल पंद्रह पैरामीटर में औषधियों का परीक्षण होता था वहीं अब पैतालीस से अधिक पैरामीटर में परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है। ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री द्वारा किये जा रहे परीक्षणों एवं अन्य गतिविधियों सहित लैब में उपलब्ध सुविधाओं से भी अवगत कराया। लाइसेंसिंग अधिकारी एवं उप संचालक डॉ. ए. सी. किरण तिग्गा ने औषधि निर्माताओं को भारत सरकार के ई-औषधि पोर्टल में पंजीयन की जानकारी देते हुए गुड मैनुफैक्चरिंग प्रैक्टिस के लिये आवश्यक मशीनों, मानव संसाधन, अधोसंरचना एवं दस्तावेजी कार्यवाहियों की विस्तृत जानकारी दी।
कार्यशाला में आयुर्वेदिक औषधियों में एलोपैथिक दवा के मिलावट की रोकथाम के लिए कार्ययोजना तैयार की गई, इस हेतु ड्रग इंस्पेक्टर्स को संदिग्ध औषधियों को जब्त करने एवं निर्धारित दस्तावेजी कार्यवाहियों से अवगत कराया गया। कार्यशाला में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जी.आर.चतुर्वेदी, लैबोरेटरी के डॉ नागेन्द्र चौहान, अरुण परिहार, चन्दन साहू , हरेकृष्ण सिन्हा, मिलिंद घोरे, सुषमा मिंज, आराधना तिवारी, सुभाष केरकेट्टा, प्रभावित गिरी, सहित पूरे प्रदेश के आयुर्वेदिक ड्रग्स इंस्पेक्टर सम्मिलित हुए।कार्यक्रम का संचालन डॉ कमलिनी त्रिपाठी ने किया।