मुमुक्षु मयंक लोढ़ा भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे…..कहा – सांसारिक मोह, माया, झूठ, फरेब से दूर रहना है

मुमुक्षु मयंक लोढ़ा भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे…..कहा – सांसारिक मोह, माया, झूठ, फरेब से दूर रहना है


राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) नगर के युवा मयंक लोढ़ा 27 वर्ष सांसारिक मोह, माया, भौतिक सुखों को त्याग वे भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे। स्थानीय जैन बगीचे में आज से पांच दिवसीय पंचान्हिका महोत्सव का भव्य आयोजन का प्रारंभ स्थानीय श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर में गौतम स्वामी के महा पूजन विधिकारक हर्षद भाई अकोला वालों के द्वारा सुबह 8:30 बजे से प्रारंभ हुआ। 
कल 25 नवंबर गुरुवार को केवल्यधाम तीर्थ प्रेरिका प्रवर्तनी निर्पूणा महाराज साहब की सुशिष्या प्रवीणा स्नेह यशा श्री म सा आदि ठाणा 4 के प्रवेश के पश्चात 8:30 बजे से 9:30 बजे तक ज्ञान वल्लभ उपाश्रय में प्रवचन दिया जाएगा। वंदे शासनम स्पर्शना के अन्तर्गत विराजभाई शाह अहमदाबाद के में साथ संगीतलय प्रदान करेंगे जतिन भाई मुम्बई । 


स्थानीय जैन बगीचे में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुमुक्षु मयंक लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने धार्मिक अध्ययन के साथ 1200 किमी की पद यात्रा एक टाईम का भोजन के साथ ही इस मार्ग में जाने के लिए उन्हें आध्यात्म योगी परमपूज्य महेन्द्र सागर म सा, युवा मनीषी परम पूज्य मनीष जी म सा प्रेरणा श्रोत है। पिछले 7 वर्षों से गुरू का सानिध्य प्राप्त है। उनकी तपस्या उपधान तप, नव्वाणु यात्रा, अठाई, वर्षीतप, 84 प्रहरीतप रहा है। 
सांसारिक भौतिक सुखों, मोह, माया को त्याग कर भगवती दीक्षा ग्रहण करने के संबंध में उनका कहना है कि जिस प्रकार से जैन साधु के आचार पैसा, रूपये बैंक बैलेंस नहीं रखते, भवन, मकान, सम्पत्ति, चल-अचल नहीं होती, नाई, दर्जी, धोबी, जूते चप्पल, सिले वस्त्र का प्रयोग नहीं करते। (सांसारिक-व्यावहारिक सभी रिश्ते-नातों एवं सभी सुख सुविधाओं का आजीवन त्याग एवं आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन) करने जैसे उददेश्यों को लेकर मैने भी यह राह चुना है ।

मुमुक्षु मयंक लोढ़ा ने कहा कि साधु जीवन एकमात्र ऐसा मार्ग है जिस पर चलकर स्वयं का आत्म कल्याण तो किया ही जा सकता है औरों का भी मार्गदर्शन किया जा सकता है। संयम जीवन में ही अहिंसा का पूर्ण रुप से पालन होता है।
 स्थानीय जैन बगीचे के ज्ञान वल्लभ उपाश्रय भवन में संयम सौंदर्य महोत्सव के पहले दिन पत्रकारों से रूबरू होते हुए मुमुक्षु मयंक लोढ़ा ने कहा कि वह 2 दिसंबर को संयम जीवन बहन करने जा रहे हैं। आचार्य महेंद्र सागर जी द्वारा उन्हें दीक्षा दी जाएगी। दीक्षा महोत्सव का आयोजन राजस्थान के जयपुर के मालपुरा में आयोजित है। उन्होंने कहा कि संयम जीवन ऐसा जीवन है जो आत्म कल्याण का मार्ग है। हम जो जीवन जी रहे हैं वह सच्चा जीवन नहीं हैं बल्कि संयम जीवन ही सच्चा जीवन है। उन्होंने कहा कि हम धन संग्रह किसके लिए कर रहे हैं, इसे तो हमें यही छोड़कर जाना है। उन्होंने कहा कि अंतरात्मा की जो सकती है उसे प्रकट करने के लिए गुरु की दीक्षा आवश्यक है। मुमुक्षु ने कहा कि मानव अपने जीवन में अनेक झूठ बोलता है। धन संग्रह की तृष्णा बढ़ती ही जाती है। संत समाज इन सब से दूर आत्म कल्याण के मार्ग पर लगा रहता है और समाज को भी पथ प्रदर्शन करता है। उन्होंने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि पलायन तो वह करता है जिसके पास कुछ ना हो , जिसके पास सब कुछ होता है वह यदि उसे त्याग कर संयम जीवन ग्रहण करता है तो वह आत्म कल्याण के मार्ग पर बढ़ जाता है।
मयंक के पिता संतोष लोढ़ा एवं माता ललिता लोढ़ा ने कहा कि उनका पुत्र संयम के मार्ग पर बढ़ रहा है और यह आत्म कल्याण का मार्ग है, अच्छा वह सच्चा मार्ग है। संसार में दुखी दुख है किंतु संयम जीवन में सुख ही सुख है। पुत्र यदि सन्यास जीवन ग्रहण करता है तो माता-पिता को दुख जरूर होता है किंतु यह भी सत्य है कि वह पुत्र संयम के मार्ग पर बढ़ते हुए न केवल स्वयं का आत्म कल्याण करता है बल्कि समाज को भी दिशा देता है।कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र डाकलिया एवं विनेश चोपड़ा ने किया।  इससे पूर्व श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष तथा पूर्व महापौर नरेश डाकलिया ने आयोजन की जानकारी दी।
  इस अवसर पर श्री जैन श्वेतांबर पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी राजेंद्र कोटडिया,मुमुक्षु मयंक के बड़े भाई रितेश लोढ़ा,आकाश चोपड़ा उपस्थित थे।

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