आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024
रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 21 जुलाई। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर बच्चों के लिए रविवारीय संस्कार शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें उनका परिजनों के प्रति उनके कर्तव्यों से परिचय कराया गया। मुनिश्री ने बच्चों को बताया कि सबसे पहले हमें अपने परिजनों का सहयोग करना है, बड़ों का आदर करना है क्योंकि घर में सबसे पहले माता-पिता भगवान का रूप होते है।
इसके बाद हमें पढ़ाई पर पूरा फोकस करना है क्योंकि जीवन में सफल होने की सबसे पहली सीढ़ी शिक्षा है। साथ ही हमें अच्छा भोजन लेना है और भोजन हमेशा पौष्टिक होना चाहिए क्योंकि इससे हमें ताकत मिलेगी और शरीर भी स्वस्थ रहेगा। हमें दोस्ती में हमेशा सावधान रहना चाहिए, बहुत ही सोच-समझकर मित्र बनाना चाहिए और कोशिश करना चाहिए कि हम कल्याण मित्र ही बनाए। हमें बीमारी के समय शांति बनाए रखना चाहिए क्योंकि बीमारी से डरोगे तो वह आप पर हावी होती चली जाएगी इसलिए हमें अपने आप को नियंत्रित रखना होगा।
हमें सभी की मदद करना है और कभी पीछे नहीं हटना है क्योंकि दूसरों की मदद करने वाले बच्चे सभी को पसंद होते है। सगे-संबंधी और सभी के साथ हमें एक भरोसा कायम करके चलना होगा क्योंकि इससे आपका भविष्य बेहतर हो जाएगा। भविष्य के लिए हमें सकारात्मक सोच रखना है और इसी के साथ हमें आगे बढ़ना है। दूसरों की तरक्की में हमें उनके साथ खुशियां बांटना चाहिए क्योंकि अगर आपको जीवन में तरक्की चाहिए तो आपको दूसरों की खुशी में खुश रहना सीखना होगा। हमें अपने जीवन में पाप से दूर रहना है, पाप का डर हमारे अंदर सदैव रहना चाहिए। व्यक्तिगत जीवन में हमें धार्मिक रहना है और भगवान पर हमें पूर्ण विश्वास होना चाहिए।