राजनंदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) जिले के विधानसभा क्षेत्रों में चार स्थान पर कांग्रेस एक स्थान पर भाजपा तथा एक स्थान पर जोगी कांग्रेस के स्व. देवव्रत सिंह विधायक रहे है। आगामी दो वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से तीन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को नये प्रत्याशी खोजने की आवश्यकता पर पार्टी में ही चर्चाओं को बल मिल रहा है। प्रारंभ से ही जिले के खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के छुरिया में कांग्रेस की गुटिय लड़ाई का प्रमाण पहले प्र्रत्यक्ष अथवा परोक्ष दिखता रहा है। अब यह सब कुछ खुले आम हो गया है।
विधानसभा क्षेत्र में खनिज, खनन, परिवहन के साथ जुड़ी व्यवसायिक राजनीति अब कांग्रेस में ही विधायक एवं क्षेत्र के नेताओं के मध्य खुले आम दिख रही है। पिछले लंबे समय से प्रदेश में कांग्रेस की आंतरिक गुटीय राजनीतिक उस समय दो फाड़ में बंटते दिखी। जब ढाई – ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री के कार्यकाल को लेकर दो वरिष्ठ नेताओं भूपेश बघेल एवं सिंहदेव के मध्य अनेकों बाद दिल्ली दरबार पहुंचा। बहुमत की प्रस्तुति भी दिल्ली में होते दिखी। वैसे भी नई सरकार बनने के साथ ही खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू का पार्टी के तात्कालीन जिला अध्यक्ष कांग्रेस के मध्य समन्वय के आभाव में आपसी लड़ाई खुलकर दिखी। विधायक को रायपुर में जाकर पार्टी कार्यालय व नेताओं के मध्य अपना विरोध प्रस्तुत करना पड़ा। परिणाम यह हुआ कि श्रीमती छन्नी साहू पर टीएस सिंहदेव का सहयोगी समर्थन होने का लेबल लग गया।
आगामी दो वर्ष बाद विधानसभा चुनाव होने है। कांग्रेस का दो फाड़ कांग्रेस के लिए कितना लाभ दायक अथवा नुकसानदेह होगा। यह भाजपा के आंतरिक कलह से उबरकर बाहर आने के बाद ही स्पष्ट होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले के तीन विधायकों सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं, युवाओं को निगम, मंडल, आयोग, प्राधिकरण, बैंक अध्यक्ष, इत्यादि पदों पर स्थापित किया है। तीन विधायकों में तो एक को संसदीय सचिव, दो को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया है। यह अलग बात है कि जिन्हेें प्रदेश स्तर का जिम्मेदार महत्वपूर्ण पद दिया है। वे ज्यादा समय अपने क्षेत्र व जिले में ही दे रहे हंै। गुटबाजी का प्रमाण यह भी दिखता है कि सिंहदेव के समर्थन में रहने वाली छन्नी साहू, किसी भी पद पर स्थिापित होने के साथ ही महत्वपूर्ण समितियों की सदस्य भी नहीं है।
जिले के खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के छुरिया में जिसे विधानसभा का मुख्यालय माना जाता है। पिछले एक सप्ताह से कांग्रेस के वरिष्ठ एवं महत्वपूर्ण लोग दो धड़े में बंटते हुए आमने सामने आ गये हैं, जिसमें श्रीमती छन्नी साहू, उनके पति चंदू साहू, जिला कांग्रेस नेता तरूण सिन्हा, उनकी भाभी नगर पंचायत अध्यक्ष राजकुमारी सिन्हा के बीच में अब कांग्रेस दो गुटों में खुलकर सामने आ गयी है । मामला थाने ही नहीं पहुंचा, बल्कि गंभीर आरोपों के साथ एफआईआर भी विधायक पति के विरूद्ध छुरिया में दर्ज हो गया। एफआईआर होने के साथ ही कांग्रेस के तरूण सिन्हा खुलेआम छन्नी साहू व उनके पति के विरूद्ध खुलकर सामने आ गये है।
छुरिया पुलिस सूत्रों की माने तो एफआईआर चंदू साहू के विरूद्ध होने के साथ ही तरूण सिन्हा ने अपने जानमाल का खतरा बताकर थाने को सूचना भी लिखित में दी है। एक्ट्रोसिटी एक्ट के तहत विभिन्न धाराओं के तहत विधायक पति के विरूद्ध एफआईआर होने के साथ ही पूरा मामला राजधानी सीएम हाउस, सिंहदेव निवास तक चर्चाओं के अनुसार पहुंच गया है।
प्रारंभ से ही खुज्जी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस एवं भाजपा के लिए टिकट वितरण के समय काफी संघर्षमय रहा है। इस बार यह स्थिति अब खुले आम होने वाली है। जहां कांग्रेस अपने विधानसभा के अधिकृत प्रत्याशी को लेकर भी आमने सामने होते दिखेगी। चुनौति भाजपा के पास भी कम नहीं है। लेकिन पूर्व मंत्री रजिन्दरपाल भाटिया के निधन के पश्चात आदिवासी पिछड़ा वर्ग बाहुल्य खुज्जी विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर दोनों ही पार्टी के लोग अभी से अपनी दावेदारी, गुटीय राजनीति के तहत आने वाले समय में प्रस्तुत करते दिखेंगे। जहां तक राजनांदगांव जिले के अन्य पांच विधानसभा क्षेत्रों की बात है।
कम से कम चार स्थान पर नये उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की बाध्यता बनते दिख रही है। सर्वाधिक बहुमत से छत्तीसगढ़ में चल रही भूपेश सरकार कांग्रेस में दो फाड़ को देखते हुए आने वाले समय में अपने समर्थकों के साथ ही क्षेत्र में मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों को विजयी बनाकर लाने की स्थिति भी काफी संघर्षमय हो सकती है। जिसकी चर्चा कांग्रेस में ही होते दिख रही है।
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विधायक होने की वजह से कांग्रेस को यह क्षेत्र अपने कब्जे में करने के लिए अभी से निर्वाविवाद साफ सुथरी छवि को लेकर संभावित प्रत्याशि को मैदान में उतारना होगा। वैसे भी आगामी चुनाव को लेकर नगर निगम के वार्ड क्रमांक 17 में हो रहे पार्षद चुनाव को लेकर इसके परिणाम को भी लोक चर्चाओं में यह कहते दिख रहे हैं कि सत्ता पक्ष कांग्रेस को भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने के साथ ही खैरागढ़ नगर पालिका परिषद चुनाव में अपने बहुमत की सरकार स्थापित करना होगा। ताकि तीन माह बाद होने वाले खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव का परिणाम भी काफी रोमांचक व प्रतिष्ठापूर्ण दिखेगा। पिछड़ा वर्ग बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस के लिए भी लोधी, कुर्मी, साहू प्रत्याशी पर दांव लगाना पड़ सकता है।
बहरहाल खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के छुरिया में चल रही दो फाड़ में बंटी कांगे्रस की खुली लड़ाई पुलिस, जिला प्रशासन व अन्य शासकीय विभाग को भी काफी फूंककर कदम रखने पड़ रहे हैं। विशेषकर तब, जब मामला गंभीर धाराओं के तहत थाने पहुंच रहा है।