दुर्ग(अमर छत्तीसगढ) 27 जुलाई। जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला हर्ष और उल्लास के वातावरण में प्रतिदिन संपन्न हो रही है आज से मास खमण वंदना का तप प्रारंभ किया गया है। जिसमें जैन समाज के सभी वर्ग के लोग अरिहंत परमात्मा एवं चरित्र आत्माओं के वंदन करने जय आनंद मधुकर रतन भवन आ रहे हैं सभी परिवार के लोग अपने बच्चों के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। यह वंदना का कार्यक्रम 31 दिवस चलेगा जिसमें पहले दिन एक वंदना दूसरे दिन दो इसी क्रम में 31 वंदना तक आकर गुरु भगवंतो के आशीर्वाद प्राप्त करना है।
आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए गुरु मधुकर विनय मनोहर सुशिष्या साध्वी डा सुमंगलप्रभा ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि- तीर्थकर – भगवंतों के जीवन में कितने ही घोर उपसर्ग आए पर वे अपने साहस को कुंठित नहीं होने देते।
आदिनाथ भगवान के जीवन प्रसंग को दर्शाते हुए बताया कि – धम्मे सूरा अरिहंता – धर्म में धातिकर्म नष्ट करने वाले तीर्थंकर के समान कोई अन्य शूर नहीं होते रणेसुरा वासुदेवा-वासुदेव जो अपने जीवन तीन सौ साठ संग्राम करते हैं। और सभी में विजय प्राप्त करते हैं। रण में वासुदेव के समान अन्य शूर नहीं है। लवे शूरा अणगारा बारह प्रकार का निर्जरा तप करने वाले हृढ़ संयम का पालन करने वाले तप में कोई अन्य शूर नहीं होते ।
डॉ० सु मंगल प्रभा ने कहा कि तीर्थकर तीर्थकर महाअतुलबली होते हैं। तीर्थकर चार तीर्थों की स्थापना करते हैं। साधु साध्वी ,श्रावक ,श्राविका बिना धर्म का जीवन बिना सिद्धांत का जीवन है और बिना सिद्धांत का जीवन वैसा ही है जैसे बिना पतवार का जहाज
स्वार्थी दुनियां के बारे में चर्चा करते हुए हुए सुवृद्धि श्रीजी दुनिया में अपना कोई नहीं है अपना नहीं है। रजतप्रभा ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।
एक पत्र गुरु के नाम प्रतियोगिता के परिणाम कल घोषित होंगे….
एक पत्र गुरु के नाम इस अनूठी प्रतियोगिता में बहुत से लोगों ने अपनी भावनाओं को लिखकर जमा किया जिसके परिणाम कल प्रातः प्रवचन सभा में घोषित किए जाएंगे ।
मासखमण वंदना के इस आयोजन में जैन समाज के सभी वर्ग के लोग इस आयोजन में शामिल हो रहें हैं माता-पिता पुत्री सास बहु पति-पत्नी समयानुसार सुबह, दोपहर शाम तक भवन आकर इस वंदना कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं ।