आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024
रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 27 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के आठवें दिन शनिवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनि जी ने कहा कि किसी काम को नहीं करने के लिए आप सौ बहाने बना सकते हो और जो काम आपको करना होता है, उसके लिए तो आप कभी बहाना नहीं बनाते। दुकान जाने, ऑफिस जाने के लिए आप बहाने नहीं बनाते है। वहीं, अगर आपको मंदिर जाना हो या फिर कोई मेहमान घर आए तो आप दुकान और ऑफिस का बहाना बनाकर निकल जाते हो।
उन्होंने कहा कि लोगों के पास हर एक बात के लिए बहाना होता है। परन्तु किसी को अपने दुकान जाना हो तो क्या वह बहाना करता है। भले ही नौकर बहाना करें पर मालिक कभी नहीं कर सकता। मंदिर जाने के लिए भी लोग घरवालों से कहते है कि मेरे तरफ से भी आप लोग मंदिर चले जाना। बहाना हमारे पास हर समय तैयार होता है। जबकि परमात्मा कहते है कि कोई भी अगर अच्छा काम है, तो कोई बहाना मत ढूंढो। बल्कि उसे काम को करने का बहाना बनाओ और वह काम कर जाओ।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान तो हमारे अंदर है, तो हम मंदिर क्यों जाते है। जब आप मंदिर जाते हो तो वहां कोई पाप नहीं करते जबकि मंदिर से निकलते ही आप पाप करना शुरु कर देते हो। आप यह सोचते हो कि भगवान तो मंदिर के चार दीवारों के बीच ही हैं। इसके बाहर कोई देखने वाला नहीं तो खुलकर पाप करो। जबकि भगवान सब जगह है। सबके अंदर भगवान है।
भगवान का केवल ज्ञान इतना व्यापक है कि कोई चीज उनसे अछूती नहीं है, कुछ भी उनसे दूर नहीं है, उनके केवल ज्ञान से हर चीज स्पष्ट है। हम सिर्फ अपने आगे कि ओर ही देख सकते है। अगर आप आसपास नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाते हो, तो वह खराब हो सकता है, पर भगवान का सीसीटीवी कभी फ्यूज नहीं होता और उसकी रेंज भी कम नहीं होती। तो आप कभी मत सोचना कि भगवान केवल मंदिर में है, उनकी दृष्टि सब जगह है। उन्हें आंखों की जरूरत नहीं है।
हर जगह परमात्मा है। जो वैभव, जो गुण भगवान के पास है, वही वैभव और गुण सबके पास है। बस फर्क यह है कि हमारे अंदर जो अनंत गुण है, उस पर हमने परदा लगा रखा है। उसे इतना ढंक दिया कि आपको यह पता भी नहीं चलता कि आपके अंदर भी कुछ है। आप सोचते है कि जब समय आएगा तो उसका उपयोग करेंगे। जबकि आपको हर समय इन्हें उपयोग करते रहना है।
उन्होंने आगे कहा कि आप अपने आप से कहो कि मैं आत्मा हूं। जितने बार आप यह बोलोगे आप खुद के अंदर जाते जाओगे। एक लट भंवरे के आजू-बाजू मंडराती है, पर जब उसे लगता है कि यह भंवरा गुनगुना रहा है तो वह भी कोशिश करने लगता है। कुछ समय बाद वह भी गुंजाने लगता है।
अगर कोई जीव बार-बार पुरुषार्थ करता है तो एक दिन वह भी भंवरों की तरह गुजांना सीख लेता है। तो हम भी अगर बार-बार बोलेंगे कि मैं आत्मा हूं, तो धीरे-धीरे कुछ दिन बाद अंदर से आवाज आने लग जाएगी। आप बाहर का राग भूलने लगोगे। आपसे कोई पूछता है कि आप कौन है, तो उसे आप अपना नाम बताने लग जाते हो। आप आत्मा को ढकने वाले इस शरीर का परिचय देते हो। जबकि यह आपका असली नहीं, बाहरी परिचय है।
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और निलेश गोलछा ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री की प्रवचन श्रृंखला जारी है, आप सभी धर्म बंधुओं से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।