भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ) , 29 जुलाई। पूज्य गुरूणी कानकंवरजी म.सा. की पुण्यस्मृति में श्रीसंघ महावीर भवन बापूनगर के तत्वावधान में तीन दिवसीय समारोह के अंतिम दिन सोमवार को श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य पूज्य श्री मिश्रीमलजी म.सा.‘मधुकर’ के प्रधान सुशिष्य उप प्रवर्तक पूज्य विनयमुनिजी म.सा.‘भीम’ की आज्ञानुवर्तिनी शासन प्रभाविका पूज्य महासाध्वी कंचनकुंवरजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया। इसमें साध्वीवृन्द के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने भी पूज्य गुरूणी कानकंवरजी म.सा. के प्रति भाव अभिव्यक्ति की।
पूज्य कंचनकंवरजी म.सा. ने गुरूणी कानकंवरजी की पावन प्रेरणादायी स्मृतियों की चर्चा करते हुए कहा कि गुरू के बिना जीवन अधूरा होता है ओर गुरू ही हमे संस्कार प्रदान करता है। जो कुछ ज्ञान की प्राप्ति हुई है वह गुरू चरणों में समर्पित होने से हो पाई। गुरूणी मैया ने हमेशा दया,दान व परोपकार के लिए प्रेरणा प्रदान की ओर जिनशासन की सेवा के लिए सदा समर्पित रही।
ऐसी महान गुरूणी मैया सदा हमारे जीवन को पथ प्रदर्शित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूणी मैया तप, त्याग, साधना ओर स्वाध्याय में भी अग्रणी रहे ओर जो भी उनके चरणों में आया उसे भरपुर आशीर्वाद प्रदान किया। उनके जीवन से हम यही प्रेरणा ले कि कभी धर्म के कार्यो में प्रमाद नहीं करना चाहिए ओर सदा सेवा के भाव मन में रखने चाहिए।
कंचनकंवरजी म.सा. ने गुरूणी मैया की स्मृति में भजन की भी प्रस्तुति दी। धर्मसभा में प्रखर वक्ता साध्वी डॉ.सुलोचनाश्री म.सा. ने दाद गुरूणी कानकंवरजी म.सा. के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने का आग्रह करते हुए कहा कि वह ऐसी महान साध्वीरत्ना थी जिनके जीवन से बहुत कुछ सीखने के लिए हम मिलता है। उनका जन्म व दीक्षा स्थल कुचेरा गांव रहा।
विभिन्न स्थानों पर विचरण करते हुए उन्होंने जिनवाणी को जन-जन तक पहुंचाया ओर दया, प्रेम व मैत्री का संदेश मानव समाज को दिया। उनके व्यक्तिव में शीतलता,सौम्यता व गंभीरता कूटकूट कर भरी हुई थी। उनकी हमारे पर कृपादृष्टि रहने से जो ज्ञान सीखा उसे आप तक पहुंचा रहे है। उनकी साधना गजब की थी ओर उनके जीवन में कई ऐसे चमत्कार हुए जिनकी चर्चा आज भी संघ-समाज में होती है।
संयम जीवन में सभी क्रियाओं व मर्यादाओं की पालना करते हुए उन्होंने जिनशासन की ऐसी प्रभावना की जिसे शब्दों से बयां करना सहज नहीं है। मधुर व्याख्यानी डॉ. सुलक्षणाश्री म.सा. ने भी दाद गुरूणी कानकंवरजी म.सा. के प्रति श्रद्धाभाव व्यक्त करते हुए कहा कि वह सभी भाग्यशाली है जिन्हें उनका दर्शन व आशीर्वाद मिला। उनका जीवन गुणों से भरपुर ओर धर्म के लिए समर्पित था। उनके उपकारों को कभी नहीं भूला पाएंगे। साध्वीश्री ने भजन के माध्यम से भी पूज्य दाद गुरूणी के प्रति भावाजंलि अर्पित की।
गुणानुवाद सभा में प्रेमचंद गुगलिया, दलपतसिंह सेठ, इन्दुलता चौधरी आदि ने भी पूज्य कानकंवरजी म.सा. के प्रति मन के भाव व्यक्त किए। रविवार को हुई प्रश्नपत्र प्रतियोगिता परिणाम भी घोषित किए गए। प्रतियोगिता में प्रथम नीता मेहता एवं आशा चौधरी, द्वितीय प्रकाश नाहर एवं चंचल रूणीवाल तथा तृतीय सुभाष बाफना रहे।
विजेताओं को श्रीसंघ द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। धर्मसभा का संचालन बापूनगर श्रीसंघ के मंत्री अनिल विश्लोत ने किया। श्रीसंघ के संरक्षक लादूलाल बोहरा ने पूज्य कानकंवरजी म.सा. स्मृति तीन दिवसीय आयोजन सफल बनाने पर आभार जताया।
आचार्य सम्राट आंनदऋषिजी म.सा. की जयंति पर आयम्बिल तप 4 अगस्त को
चातुर्मास के तहत 4 अगस्त को श्रमण संघीय आचार्य सम्राट आंनदऋषिजी म.सा. की जयंति मनाई जाएगी। इस अवसर पर आयम्बिल तप की आराधना भी होगी। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक प्रवचन हो रहे है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप भी महावीर भवन के प्रांगण में हो रहा है। पूज्य साध्वीप्रवर के सानिध्य में हर रविवार को नवयुवक मण्डल ओर महिला मण्डल की क्लास आयोजित कर धर्म ज्ञान पर चर्चा हो रही है।