भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ) ,30 जुलाई। मोह ओर योग हमारी आत्मा के परिस्पंदन यानि श्रद्धा एवं चरित्र पर असर डालते है। इनसे प्रभावित नहीं हुए तो यह हमारे चरित्र व श्रद्धा को भी प्रभावित नहीं कर पाएंगे। आपके जीवन में चरित्र व श्रद्धा का भाव उत्तम बनने से जीवन में विशुद्धि की अभिवृद्धि होने से गुणस्थान भी उपर बढ़ता जाएगा। श्रद्धा ओर चरित्र ही हमारे जीवन का आधार है इसलिए सदा इनकी श्रेष्ठता कायम रहे ऐसा लक्ष्य बनाए रखे।
ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) प्रवचन के तहत मंगलवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भक्त बनने के लिए प्रभु की भक्ति नहीं करते बल्कि ये कामना करते है कि उनमें जो श्रेष्ठ गुण है वह हमारे अंदर भी आए।
हम भगवान बनने की कामना से प्रभु चरणों में स्वयं को समर्पित करते है। हम सिर्फ सामान्य भक्ति नहीं करना चाहते अपितु भक्ति का प्रयोजन यह होता है कि इसके माध्यम से हमारे में भगवत्ता प्रकट हो। सच्चे मन से परमात्मा के आर्दशों व गुणों को आत्मसात करने पर हम भी उनके जैसा बन सकते है। हमे दिखावे का नहीं बल्कि कर्मो से प्रभु का भक्त बनना होगा। जो सच्चा प्रभु उपासक होता है उसके कर्म ओर आचरण भी प्रेरणादायी ओर अनुकरणीय होते है।
धर्मसभा में मुनि श्री सुगमसागर महाराज ने कहा कि मनुष्य जन्म मिलना दुर्लभ है ओर उसमें भी जैन कुल मिलना तो अत्यंत दुर्लभ है। जैन कुल में जन्म लेकर भी हम जैनत्व को आत्मसात न कर सके तो फिर हमारा जीवन व्यर्थ है। हम जैन दर्शन व सिद्धांतों को अंगीकार करते हुए उस अनुरूप अपने जीवन में विशुद्धि लाने का प्रयास करें। हमे नाम से ही नहीं कर्म से भी जैन बनकर दिखाना होगा। हमारे कर्म जैनत्व के अनुरूप होंगे तभी हम स्वयं को जैनी कहला पाएंगे।
इससे पूर्व धर्मसभा में आर्यिका सुकाव्यमति माताजी ने भी प्रवचन देते हुए जिनशासन की महिमा बताते हुए कहा कि चातुर्मास में जो जिनवाणी श्रवण का लाभ पाता है उसका जीवन सफल हो जाता है। सभा में गुलाबचंद,मनीषकुमार,नीरजकुमार, प्रियांश, आर्श शाह परिवार का चातुर्मास में मंगलकलश पुण्यार्जक बनने पर समाज द्वारा स्वागत अभिनंदन करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए हार्दिक अनुमोदना की गई।
धर्मसभा के प्रारंभ में बाहर से पधारे भक्तगणों द्वारा दीप प्रज्वल करने के बाद पूज्य आचार्य गुरूवर की अष्ट द्रव्य से पूजा की गई। धर्मसभा का संचालन पदमचंद काला ने किया। समिति के मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज के मुखारबिंद से जिनवाणी श्रवण करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं उमड़ रहे है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से प्रवचन लाभ पाने के लिए श्रावक-श्राविकाएं सुपार्श्वनाथ पार्क पहुंच रहे है।
वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।