कवर्धा(अमर छत्तीसगढ़), 01 मई 2025। कलेक्टर गोपाल वर्मा ने आज पिपरिया तहसील न्यायालय और नायब तहसील न्यायालय का औचक निरीक्षण कर प्रकरणों की गहन समीक्षा की। उन्होंने पिपरिया तहसील कोर्ट में नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा सहित अन्य समय सीमा के बाहर के लंबित प्रकरणों पर गहरी नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने कहा कि कार्य के प्रति ऐसी उदासीनता एवं बहानेबाजी नहीं चलेगी। उन्होंने तत्परता एवं सक्रियतापूर्वक तहसील कोर्ट के लंबित प्रकरणों का निराकरण करने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पटवारी प्रतिवेदन के लिए लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करें। आम जनता को छोटे-छोटे कार्यों के लिए भटकना ना पड़ें। सरल प्रक्रिया के अनुरूप उनका कार्य करें। उन्होंने एक सप्ताह के भीतर लंबित मामलों का निराकरण करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने वर्षों से लंबित मामलों की फाइलों की स्वयं समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली। निरीक्षण करते हुए उन्होंने पाया कि कई मामलों में पक्षकार उपस्थित नहीं हो रहे हैं।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसी स्थिति में नियमानुसार प्रक्रिया पूरी कर प्रकरणों का त्वरित निराकरण सुनिश्चित किया जाए, ताकि अनावश्यक लंबितता समाप्त हो सके। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे सभी प्रकरणों में जिनकी सुनवाई लंबित है, पक्षकारों को तत्काल नोटिस जारी किए जाएं, ताकि प्रक्रिया को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया जा सके।
इस दौरान अपर कलेक्टर एवं एसडीएम मुकेश रावटे, डिप्टी कलेक्टर आर बी देवांगन, तहसीलदार प्रमोद चंद्रवंशी और नायब तहसीलदार श्रीमती कावेरी मुखर्जी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्री वर्मा ने निरीक्षण के दौरान तहसील न्यायालय में दर्ज प्रकरणों, लंबित मामलों तथा सुनवाई के लिए निर्धारित तैयार प्रकरणों की विस्तृत जानकारी ली।
उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वे जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहते हुए गंभीरता से कार्य करें। उन्होंने एक सप्ताह की समय-सीमा निर्धारित करते हुए सभी लंबित प्रकरणों के निराकरण के निर्देश दिए। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि पटवारी प्रतिवेदन से संबंधित सभी प्रकरणों का निराकरण प्राथमिकता से किया जाए ताकि आम नागरिकों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। साथ ही उन्होंने राजस्व कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखते हुए गति लाने पर सख्त निर्देश दिए।
कलेक्टर श्री वर्मा ने निर्देश दिए कि तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक एवं हल्का पटवारी आपसी समन्वय से कार्य करें और प्रत्येक केस की स्थिति की नियमित समीक्षा करें। उन्होंने यह भी कहा कि हर राजस्व बैठक में एक वर्ष से अधिक समय से लंबित या जटिल मामलों को प्रस्तुत किया जाए, ताकि उच्च अधिकारियों की निगरानी में उनका समाधान सुनिश्चित हो सके।