रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 31 जुलाई। स्थानीय पुजारी पार्क मानस भवन में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि शीतलराज ने कहा स्वाध्याय के प्रेरक सामायिक कर लो तो बेड़ा पार है मुनि शीतलराज ने कहा महापुरुषों के जीवन को आत्मसात करें। उन्होंने कहा गुरु की अव्हेलना से प्रतिष्ठा घटती है, करोड़ों रोग शरीर में है।
धर्म सत्ता का सहारा लो। उन्होंने कहा पाप कर्म की सजा मिलती है। प्रवचन में कहा महावीर स्वामी एवं वर्तमान उपकारी आचार्य भगवंत को आत्मसात करें। तीर्थंकर भगवंतों ने भव्य जीवों का कल्याण किया। उन्होंने सामायिक स्वाध्याय बोलते हुए कहा कि इसके माध्यम स्वाध्याय के प्रेरक है। जिस आगमवाणी द्वारा पहले स्वयं ने बोलने के पूर्व साढ़े बारह वर्ष तक उपवाणी का आचरण करते हुए आए उपस्वर्गों को संयम भाव से सभी दिशा में सिक्रय हो गए शरीर कोई आत्म साधना के लिए नहीं है।
एक दिन शरीर को छोडऩा है उसके प्रति मोह भाव होगा तो कष्ट होगा। सावन लगा है मौसम भी अनमोल है परंतु जब तक शरीर का मोह घटने के साथ तेरा मेरा साम्प्रदायिक मूल न कटे तपस्या भी मुश्किल है। तपस्या करने के लिए संप्रदाय के मोह में लगातार उपवाद कर लिया। कर्म निर्जला के लिए करना है तो मेरा तेरा पन दूर हो जाते है। क्रोध, मोह, माया, लोभ से जीतते है। ममत्व भाव मोह लोभ के वसीभूत क्रोध को त्यागना चाहिए।
उन्होंने स्कूल में बच्चों के प्रवेश को लेकर भी विशेष बात कही तथा कहा कि वहां जाकर प्रवेश के लिए गिड़गिड़ाने के स्थान पर भगवान महावीर की वाणी अभी ढाई वर्ष की है। इतना हाथ जोड़ रहे हो यही व्रत भगवान की कर लो, सामायिक कर लो तो बेड़ा पार हो जाएगा। सामायिक में कितनी ताकत है घर बैठे स्कूल में प्रवेश हो जावेगा। भगवान की वाणी कैसी है तुमको कर्म की सत्ता से भय करने की जरुरत नहीं है। धर्म सत्ता का पालन करें।
उन्होंने डॉक्टर के चिकित्सा पर भी बोले यदि साधक को ज्ञान हो जावे तो अपने शरीर को तपाकर ठीक कर सकता है। धर्म सत्ता का धर्म ध्यान किया उसमें लगावें, भगवान के भजन में मन लगावें, दुख रोग का गीत गाने से कुछ नहीं होगा।
मुनि शीतलराज ने कहा गुरु की अव्हेलना से प्रतिष्ठा घटती है आज भक्ती श्रद्धा हमारी कमजोरी है। भगवान से भी बढक़र हम अपने आप को समझते है। अज्ञांता के कारण दूसरों को दोष देते है लेकिन मुल में हमारा कर्म है। तन का सुख, धन का सुख यह सब पुन्य से होता है। हमें पुन्य को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने पाप पर भी यवतमाल में आयोजित घटनाक्रम का संदर्भ दिया।
आज आवश्यकता है अच्छी बातों को सुनकर जीवन में उतारने का प्रयास करें। प्रवचन पूर्व मेरी भावना की प्रस्तुति जीवहा पर नाम तुम्हारा का मंगल सामुहिक पाठ हुआ, प्रेमचंद भंडारी की प्रस्तुति तेले उपवास आयंबिल, एकासना, व्यासना, डेढक़ोरसी इत्यादि का पच्छखान हुआ।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश संघवी ने कहा कि रविवार 4 अगस्त को दया दिवस पर एक परीक्षा डेढ़ बजे होगी। पहली से छठवीं तक के छात्र-छात्राएं भाग ले सकेंगे। चातुर्मास समिति व कार्यक्रम के प्रमुख आयोजक दीपक संचेती ने उपस्थित कुछ लोगों का बहुमान सम्मान किया।
आज दोपहर 3 बजे मौन मांगलिक प्रसंग पर मुस्कान जैन ने गुरुराज हमारे गीत की प्रस्तुति दी। राहुल जैन ने नवकार मंत्र पर सामुहिक कविता का पाठ किया।
महिलाओं ने सामुहिक भक्ति गीत गुरु नाम लेने से हर काम प्रस्तुत होता है किया तथा संगीत डाकलिया ने साथी हमारा कौन बनेगा की प्रस्तुति दी। निरंतर दया भाव श्रावक श्राविकाओं में बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर नियमित रुप से भोजन व्यवस्था ताराचंद सुराना, शशांक नाहटा, अनिल बागरेचा, मोहनी बागरेचा लगातार सहयोग कर रहे है।