काठमाण्डौ नेपाल (अमर छत्तीसगढ़) 3 अगस्त।
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी के पावन सान्निध्य में उपासक सप्ताह और ज्ञानशाला पखवाड़े का शुभारंभ हुआ।
प्रेरणा पाथेय प्रदान कराते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा- उपासक या श्रावक एक धार्मिक व्यक्ति होता है। वह तीनों काल का चिन्तन करता है। मैं पहले क्या था ? , आज क्या हूं ? और आगे क्या बनूंगा? श्रावक के सामने भी तीनों काल का चिन्तन रहता है। जिन शासन के अविभाज्य अंग श्रावक होते हैं।
धर्म शासन की प्रभावना में बहुत योग रहता है। बारह व्रती और उपासक श्रावक ज्यादा से ज्यादा बनें यह अपेक्षित है।
ज्ञानशाला पखवाड़े के संदर्भ में प्रेरणा देते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा- ज्ञानशाला संस्कार निर्माण का उपक्रम है। संस्कारों से ही बच्चों का भविष्य अच्छा बनता है ।
इस पखवाड़े में घर घर जाकर बच्चों को ज्ञानशाला में जोडने का अभियान चलेगा। इसके साथ ही पूरे नेपाल में जितने क्षेत्र हैं वहां भी प्रयास हो ज्ञानशाला सुचारु रूप से चले। इसी पखवाड़े में नेपाल के जितने भी प्रशिक्षक प्रशिक्षिकायें उनकी एक दिन की कार्यशाला भी इसी पखवाड़े में हो तो और अच्छा रहेगा। स्थानीय संयोजक मुख्य संयोजिका, मुख्य प्रशि क्षिका आदि जिम्मेदारी से इस दिशा में कार्य करें।
मुनि रत्न कुमार जी ने भी इस अवसर पर प्रासंगिक विचार व्यक्त किए
ज्ञानशाला के बच्चों ने अर्हं अर्हं की वंदना फले गीत प्रस्तुत किया। प्रशिक्षिकाओं ने भी सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ सभा के मंत्री पवन जी सेठिया ने कुशलता पूर्वक संचालन किया।