रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 5 अगस्त।
स्थानीय पुजारी पार्क में आज अपने नियमित प्रवचन में शीतल राज मुनि ने कहा आनंद, सुख, शांति को प्राप्त करने महापुरुषों के पद चिन्हो पर चलें, अपने जीव मोक्ष में चले गए । हमारी साधना भावपूर्वक आत्म कल्याण के लिए हो, जिससे साधक उत्तरोत्तर ऊपर की ओर बढ़ते जावेगा।
आगे कहा स्वाध्याय का ध्यान करते हुए भगवान महावीर के बताएं मार्ग पर चलते जाए, स्वयं भगवान महावीर ने घर परिवार सुख, शांति, सांसारिक, भौतिक सुखों को छोड़कर भगवान के मार्ग पर चले, ऐसे महापुरुषों की वाणी श्रवण कर आगे बढ़े ।
उन्होंने स्वाध्याय, सामायिक एवं प्रतिक्रमण पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा स्वाध्याय इसे कहते हैं इसके अध्ययन से स्वयं की आत्मा का ज्ञान हो जिससे आत्म ज्ञान प्राप्त हो ।
मुन्नी शीतल राज ने स्वाध्याय के प्रकार मन, वचन, काया पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कर्म निर्जरा का कारण है, नवकार मंत्र पर कहा यह मंत्र किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि वितरागी तथा महान आत्माओं को नमस्कार किया गया है ।
वह पांच महान आत्माएं अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु है । नवकार मंत्र में 14 पूर्व सार है । इसको जपने से पूर्व संचित कर्मों का क्षय होता है। इसका स्मरण कल्याणकारी एवं परम शांति देता है ।
उपाध्याय 32 आगम शास्त्रों का ज्ञाता है। वह अपने अधिकतर समय शास्त्र अध्ययन में तथा दूसरे साधु साध्वियों को ज्ञान देने में व्यतीत करते हैं। नमस्कार मंत्र में दो देव अरिहंत, सिद्ध एवं तीन गुरु पद क्रमशः आचार्य, उपाध्याय एवं साधु है ।
स्वाध्याय के द्वारा नमस्कार मंत्र को समझे इससे बड़ा मंत्र नहीं है। इसमें गुणो की पूजा है सभी जीवो का नमस्कार करें। अज्ञानता से श्रद्धा भक्ति पूरी नहीं होती । आज भी प्रतिक्रमण का पूरा ज्ञान नहीं ले पाए इस पर चिंतन मनन करो ।
बच्चों व महिलाओं ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए। सांवर करने वालों का आयोजन प्रमुख दीपेश संचेती ने सभी महिला पुरुषों का बहुमन किया। आज भी उपवास, एकासना, बेला, तेला की लड़ी रही। कुछ गुप्त तपस्या भी चल रही है। आज भी श्रावक गुलाब राय सोनी, अनिल बागरेचा सहित कुछ लोग संवर में भाग लेंगे यह क्रम नियमित जारी है ।