सिद्धि तप की तपस्या का आज तृतीय चक्र पूर्ण होगा 70 से अधिक तपस्वी कर रहे यह साधना….. स्वाध्याय के दवा खाने में आत्म रोगों की दवा मिलती है: साध्वी सुमंगल प्रभा जी

सिद्धि तप की तपस्या का आज तृतीय चक्र पूर्ण होगा 70 से अधिक तपस्वी कर रहे यह साधना….. स्वाध्याय के दवा खाने में आत्म रोगों की दवा मिलती है: साध्वी सुमंगल प्रभा जी

दुर्ग(अमर छत्तीसगढ) 8 अगस्त। छत्तीसगढ़ जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में सिद्धि तप की आराधना के साथ छोटी उम्र में बड़ी तपस्या करने वाले साधक कुशल संचेती पुत्र विवेक मोनिका संचेती ने 15 उपवास की तपस्या का संकल्प पूर्ण किया इस अवसर पर वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक श्रमण संघ दुर्ग ने इनका अभिनंदन किया और तपस्या का संकल्प पूर्ण करने पर परिवार के सदस्यों ने तपस्या का संकल्प लिया साध्वी सुमंगल प्रभा जी एवं साध्वी सुवृद्धि श्री जी कुशल संचेती के निवास में पहुंचकर 15 उपवास की पूर्णाहुति पर मंगल पाठ का श्रवण कराया इसके अलावा अन्य कई तपस्या गुप्त रूप से गतिमान है

साध्वी डॉक्टर सुमंगल प्रभा जी के सानिध्य में धर्म ध्यान त्याग तपस्या एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में चातुर्मास लगने के साथ ही साथ-साथ चल रहे हैं सिद्धि तप तपस्या में आज कल तृतीय चक्र पूर्ण होगा आयंबिल एवं एकासना ने की व्यवस्था संघ द्वारा संचालित भोजशाला में सुचारू रूप से चल रही है

जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग की धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी सु मंगल प्रभा जी ने कहा स्वाध्याय के दवाखाने में आत्मरोगों की दवा मिलती है। स्वाध्याय की एक परिभाषा मर्यादा पूर्वक अध्धयन करना स्वाध्याय है अपने आपका अध्ययन् आत्मनिरीक्षण करना ही स्वाध्याय है। स्वयं के खोज के साथ ही स्वाध्याय का जन्म होता है और वैराग्य भाव जागृत के रूप में जागृत होता है और ममता का विसर्जन होता है। अंतर के आंगन में पवित्रता का वास होता है। अंतर के आंगन को पवित्र बनाता है।


साध्वी सु मंगल प्रभा ने आगे कहा स्वाध्याय के दवाखाने में आत्मरोगों की दवा मिलती है स्वाध्याय एक बीमार के लिए दवाई, उदास के लिए संगीत, निराश के लिए सहारा है। स्त्वाध्याय के दुखी के लिए लिए श्रेष्ठ सांत्वना का काम करता पुस्तकें, सर्वश्रेष्ठ मित्र के समान । इनका मूल्य रत्नों से भी अधिक है। रतन की चमक दमक बाहरी होती है जब श्रेष्ठ आगमों की हमारी हमारी आंतरिक आगमा चमक जगजाती जो अंतः करण को पवित्र बनाती है।

स्वाध्याय के प्रति हर व्यक्ति की इच्छा शक्ति जगे और रचनात्मक दृष्टिकोण लेकर स्वाध्याय के क्षेत्र में आगे बढ़े तो स्वस्थ व्यक्तित्व निर्माण और उसके आधार पर स्वस्थ समाज निर्माण हो सकता है। चरित्र निर्माण में स्वाध्याय ही एक सशक्त माध्यम है सशक्त आधारशिला हे ।

जानकारी : नवीन संचेती

Chhattisgarh