अम्बाजी के अंबिका जैन भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ), 11 अगस्त। कल्पवृक्ष की छाया में बैठा व्यक्ति जैसी इच्छा हो वैसे ही फल की प्राप्ति करता है। इसी तरह हमारा जीवन भी एक कल्पवृक्ष के समान है जिसमें मोह,माया,राग,द्धेष रखने पर दुर्गति की प्राप्ति ओर करूणा, प्रेम,सद्भाव रखने पर आत्मीय सुख की प्राप्ति होगी। हम अपने जीवन को कैसा बनाना है यह हमे स्वयं तय करना होगा।
ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा के सानिध्य में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा. ने रविवार को श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शरीर में असाता होने पर कर्म निर्जरा का अवसर मिलता है। जीवात्मा को कर्मो का फल भोगे बिना छुटकारा नहीं मिलने वाला है। समभाव रखते हुए कर्म निर्जरा कर हल्का हो सकते है। प्रवचन में सेवारत्न हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि परमात्मा महावीर ने हमे प्रेम, करूणा,वात्सल्य, स्नेह व अपनत्व का रास्ता दिखाया है।
जो व्यक्ति अंहकारी होता है ओर राग,द्धेष,लोभ,माया जैसे कषायों से मुक्त नहीं हो पाता उसके जीवन का कल्याण नहीं हो सकता। अहंकार नहीं छोड़ने वाला विनाश के पथ पर कदम बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि आत्मा का कल्याण चाहते है तो मैं को छोड हम पर आना होगा। जहां सरलता हो वहीं धर्म का वास होता है। जीवन में सरलता अहंकार का त्याग करने पर ही आती है।
धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने 12 भावनाओं में से दूसरी भावना अशारणा के बारे में चर्चा जारी रखते हुए कहा कि धर्म हमेशा निर्मल व शुद्ध ह्दय में निवास करता है। हमारा मन शुद्ध व निग्रन्थ होगा तो परमात्मा का वास उसमें हो सकेगा। निग्रन्थ वहीं हो सकता जो किसी प्रकार की गांठ बांधकर नहीं रखता ओर सहज व सरल जीवन जीता है। हमे परमात्मा की शरण में जाने की भावना हमेशा रखनी चाहिए। जब हमारी निष्ठा डांवाडोल होती है तो परमात्मा की प्राप्ति भी नहीं हो पाती।
हम जीवन में कैसा भी समय आए परमात्मा के प्रति हमेशा निष्ठावान समर्पित बने रहे। धर्मसभा में प्रार्थनाथी सचिन मुनिजी म.सा. ने कहा कि उन्नति के लिए, निर्माण के लिए सरलता आवश्यक है। सरलता के अभाव में उन्नति नहीं हो सकती, जीवन का निर्माण भी नहीं हो सकता। जिस हृदय में कुटिलता, कठोरता हो, माया और कपट की गाँठ हो, सरलता न हो, नम्रता और मृदुलता न हो उसमें मैत्रीभाव नहीं टिक सकता। वह मानव प्रगति-उन्नति भी नहीं कर सकता।
वह अपने हृदय की कुटिलता के कारण किसी के गुण ग्रहण नहीं कर सकता, उसकी दृष्टि दोषों पर ही रहेगी और इस दोष दर्शन की प्रवृत्ति से वह अपने अन्दर दोषों का ही संचय करता रहेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह मानव जन्म पाने के लिए सरल और विनीत स्वभाव आवश्यक बताया है, उसी तरह मानव जन्म पाकर उसमें प्रगति और उन्नति के लिए, मानवता और मानवीय गुणों को धारण करने के लिए भी सरलता आवश्यक बताई है।
भगवान ने फरमाया है कि सरलता रखो। सरलता से मानव की आत्मा शुद्ध रहती है।धर्मसभा में युवारत्न नानेशमुनिजी म.सा. का भी सान्निध्य रहा। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी लिए। द्वय गुरूदेव जयंति के उपलक्ष्य में रविवार से तेला तप की आराधना शुरू हुई।
धर्मसभा में अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया। रविवार को पूज्य हितेशमुनिजी म.सा. के सानिध्य में धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इसमें कई श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मास अवधि में प्रतिदिन दोपहर 2 से 4 बजे तक का समय धर्मचर्चा के लिए तय है।
द्वय गुरूदेव जयंति समारोह के उपलक्ष्य में सप्त दिवसीय आयोजन 13 अगस्त से
द्वय गुरूदेव श्रमण सूर्य मरूधर केसरी प्रवर्तक पूज्य श्री मिश्रीमलजी म.सा. की 134वीं जन्मजयंति एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक श्री रूपचंदजी म.सा. ‘रजत’ की 97वीं जन्म जयंति के उपलक्ष्य में पूज्य मुकेशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में 13 से 19 अगस्त तक सप्त दिवसीय आयोजन होंगे। प्रथम दिवस 13 अगस्त को नवकार महामंत्र सजोड़ा जाप के साथ होगा। इसी तरह 14 अगस्त को सुबह 9 बजे शांति जाप एवं रात 8 बजे से भक्ति संध्या का आयोजन होगा। मुख्य समारोह का आयोजन 15 अगस्त को अंबाजी में दांता रोड स्थित भगवती वाटिका में होगा।
इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से गुरू भक्त भी शामिल होंगे। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए श्रीसंघ की ओर से व्यापक तैयारियां की जा रही है। सप्त दिवसीय आयोजन के तहत 16 अगस्त को पैसठिया मंत्र का जाप, 17 को णमोत्थुण जाप, 18 को गुरूी मिश्री जाप एवं 19 अगस्त को पूज्य बुधमलजी म.सा. की जयंति पर नवकार मंत्र का जाप होगा।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627