कोयम्बतूर(अमर छत्तीसगढ) 11 अगस्त।
कोयम्बतूर स्थित तेरापंथ जैन भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री दीप कुमार जी ठाणा 2 के सान्निध्य में “महिमा जन्मदाता की” कार्यशाला का आयोजन तेरापंथी सभा कोयम्बतूर द्वारा किया गया। साथ में सामूहिक एकासन का भी आयोजन हुआ।
मुनि श्री दीप कुमारजी ने कहा- मां – पिता का रिश्ता दुनिया का सबसे बड़ा रिश्ता होता है क्योंकि वह रिश्ता जन्म से नौ माह पहले ही शुरु हो जाता है।वे लोग किस्मत वाले होते हैं जिनके सिर पर मां – बाप का साया होता है ।याद रखें माता – पिता बूढ़े पेड़ की तरह होते हैं जो फल भले न दें पर छाया जरूर देते हैं।
कहते हैं संसार में पृथ्वी बहुत विराट है, आकाश बहुत विशाल है और ब्रह्माण्ड अन्तहीन है किन्तु मां बाप की विशालता इससे भी अधिक है। मां विश्व भर की लाखों शब्द संपदा वाले शब्द भण्डार का सबसे छोटा किंतु अपने आप मैं परिपूर्ण वात्सल्य भावना से सिक्त रहस्यगर्भित शब्द है। माता-पिता का सबसे असली पहचान बच्चे ही होते हैं। बच