रविवार को दया पालने वालों ने अपने बर्तन धोए, जूठा नहीं छोड़े…. मुनिश्री शीतलराज ने कहा कम खाओ, कम बोलो, थाली धोकर पियो

रविवार को दया पालने वालों ने अपने बर्तन धोए, जूठा नहीं छोड़े…. मुनिश्री शीतलराज ने कहा कम खाओ, कम बोलो, थाली धोकर पियो

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 11 अगस्त। स्थानीय पुजारी पार्क के मानस भवन में नियमित प्रवचन में उपस्थित बड़ी संख्या में महिला पुरुषों बच्चों को कहा कम खाओ, कम बोलो, तपस्या करो, थाली धोकर पीने से एक आयंबिल का लाभ होता है । साधक संकल्प करते हुए भी खाए एक आयंबिल हो जाता है।

गुरुदेव ने कहा तपस्या थोड़े से परिश्रम करने से एक बार नहीं 10 बार करो, भोजन कम लो, कम खाओ, जुठा मत डालो । जैन श्रावक श्राविका होकर हर कार्य से धर्म पूर्ण कर सकते हो । पाप तो पाप होता है, सावधानी रखो । सरकार भी कहती है गीला, सूखा कचरा डिब्बे में डालो, जीवो का नुकसान होता है ।

कर्म पर बोलते हुए शीतल राज मसा ने कहा विश्व में हमारे जीवन में होने वाली अच्छी बुरी घटनाओं का मूल कारण कर्म में है । कर्म 8 प्रकार के होते हैं सभी जीव मन, वचन, काया द्वारा कर्म बंधन करते रहते हैं। शुभ कर्म एवं अशुभ कर्म बनते ही रहते हैं।

शुभ कर्म से सुख मिलता है और अशुभ कर्म से दुख देते हैं। ज्ञान प्राप्ति में बाधक बातें नहीं भूलनी चाहिए साता वंदनीय कर्म सुख आरोग्य सुखी पारिवारिक जीवन एवं मानसिक शांति देता है । आज दो दिन अहिंसा धर्म का कम कर रहे हो घर पर भी रखो ।

भगवान महावीर ने गौतम स्वामी के पूछने पर बताया है प्रभु सब में पाप बताया आपने कौन सा कार्य करें जिसमें पाप नहीं कहा यत्नपूर्वक कर्म हो तो पाप नहीं होता। भोजन के समय कम खाने का ध्यान रखें, अन्नदेवता न रूठे, इसके लिए हम अन्न का सम्मान करें । लोगों के आदत जूठन डालने की है अब भिखारी भी नहीं लेते।

सारा जूठन उत्पत्ति करने वाला है एक कौर कम खाओ, कटोरी थाली गिलास साफ करो, खाने में दूसरी बार ले पर जूठन ना छोड़े । कम से कम दया के अंतर में इसकी परिपालन करें । अन्न रूठ गया तो अन्न नहीं मिलेगा। भोजन शाला में खाने पर पूरा ध्यान रखें। हम लोग प्रवृत्ति को जिनवाणी सुनकर बदलें । विवेक से काम करो, भगदड़ मत करो, लाइन से कम लो यह हमारा विवेक है ।

जीवन में विवेक को रखो आराधना कर संयम रखें । हिंसा से भी बचोगे प्रवृत्ति बदलने की जरूरत है । अन्न का दुरुपयोग ना हो जब हम इन बातों को धर्म की दृष्टि से सोचेंगे तो धर्म का लाभ है। अन्न के दुरुपयोग से बचे याने पाप से भी बचे। घर में संस्कार बच्चों में डालें टीवी देखते भोजन न करें । जब तक पुण्य है कुछ नहीं होगा पुण्य घटा तो सब याद आ जावेगा। घर में पानी का दुरुपयोग ना करें, जीव हिंसा से बचें, कम खाओगे डॉक्टर के पास भी नहीं जाओगे, थाली में जूठन नहीं छोड़ने का नियम संकल्प ले ।

गुरु महाराज ने दया दिवस पर उपस्थित जनों को इससे अवगत कराया तीर्थंकरों के उपदेश को आत्मसात चिंतन मनन करें। उन्हें सामायिक, प्रतिक्रमण पर कहा एकाग्रता हो एक घंटे तो पूरे ध्यान मन से बैठे । उन्होंने कहा संत महात्माओं के संपर्क सानिध्य में आकर आत्म कल्याण के लिए में सीखते सीखते साधु बन गए, हमें भी ऐसे मनुष्य भव को प्राप्त कर मनुष्य बनाकर श्रद्धा रखते हुए कुछ ना कुछ करें श्रद्धाबल इतना मजबूत हो हम भगवान की वाणी को अपने जीवन में उतरे । स्वार्थ पूर्ण रिश्ते नातो से बचें स्वार्थ घटा सब कुछ खत्म हो जाएगा ।

प्रवचन स्वाध्याय सुने पुण्य का काम करें। वैसे भी सब जीव जीना चाहता है, मरना कोई नहीं चाहता, उन्हें नर्तकी के जीवन व उसके प्रभावित के भी संत होने की घटना का उल्लेख किया। संत के देखने उससे मिलने से विचारों में परिवर्तन आया । संत को देखकर ज्ञान जागा, भावना में बड़ी शक्ति है मोह कर्म को काटना हो तो भावना को शुद्ध निर्मल पवित्र बनाएं ।

दया दिवस में भाग लेने वालों ने अपने बर्तन धोए आज विभिन्न प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया । अठाई करने वालों का चातुर्मास के लाभार्थी संचेती परिवार के प्रमुख दीपक संचेती ने उनका बहूमान किया। तपस्वी भाई विजय संचेती 23 में उपवास का प्रत्याखाण लिए । गुरुदेव से आशीर्वाद लिया वे मासक्षमण उपवास की धारणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं । प्रारंभ में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं बच्चों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया।

शीतल राज ने सामूहिक वीर वंदना हे प्रभु वीर दया के सागर के साथ प्रवचन प्रारंभ किया, कहा आराधना करें। रविवार को 600 से अधिक लोगों ने मंगल पाठ ग्रहण किया । सामायिक प्रतिक्रमण भी किया। उपस्थित जनों का सम्मान भी प्रभावना के साथ संचेती परिवार ने किया । बड़ी संख्या में बाहर से भी श्रावक श्राविका उपस्थित थे ।

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