यह अटूट प्रेम, स्नेह का पर्व, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का परिचायक – साध्वी सु मंगल प्रभा

यह अटूट प्रेम, स्नेह का पर्व, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का परिचायक – साध्वी सु मंगल प्रभा

दुर्ग(अमर छत्तीसगढ) 19 अगस्त। जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में आज का प्रवचन रक्षा बंधन पर केन्द्रित था इस सन्दर्भ में रक्षा बंधन कब ओर क्यों है मनाया जाता है, इस विषय पर जैन पुराणिक परम्परा के संबंध में सारी गर्भित चर्चा की धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी सु मंगल प्रभा जी ने कहा आज रक्षा बन्धन है।

वैदिक परम्परा को महर्षियों ने चार वर्षों की स्थापना की है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वश्य और शुद्र । उन्होंने चार वर्षों के लिए चार प्रकार के त्यौहार भी स्थापित कियों बाह्मणों के लिए के लिए रक्षा बंधन क्षत्रियों के लिए विजयादशमी वैश्यों के लिए महापर्व का दीपावली और शुद्रों के लिए होलिका इस रक्षाबंधन का संबंध मुख्य रूप से ब्राह्मणों के साथ है। यह अटूट प्रेम, स्नेह का है। पर्व हे जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का परिचायक है ।

आज रक्षा बंधन का दिवस आया है प्राणीमात्र की रक्षा करो, जो भी प्राणी संकट मय अवस्था में है। और जिन्हें भी सहायता की आवश्यकता है सभी का सहयोग करें। व्यापारी वर्ग आज के दिन कलम और दवाल के राखी बांधकर प्रार्थना करते हैं कि हमें अनीति और अन्याय के मार्ग से जाते रोकना | क्षत्रिय पुरुष भी आज रक्षाबंधन के दिन अपनी खड़ग तलवार को राखी बांधते हैं इसलिए कि उनकी तलवार प्रत्येक प्राणी की रक्षा करे।

यह पर्व कब प्रारंभ हुआ इस संबंध में वैदिक और जैन साहित्य में जो प्रसंग आये है वे बहुत कुछ परस्पर मिलते हैं। हस्तिनापुर नगर का महापदम चक्रवर्ती सम्राट था नमुचि नामक उनका महामंत्री था। नमुचि ने कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य किया जिससे चक्रवर्ती सम्राट उस पर प्रसन्न हो गए और, उसे वरदान दे दिया। कुछ दिनों के पश्चात नमुचि महामंत्री ने चक्रवर्ती सम्राट से अपना वरदान पूरा करने की बात कही चक्रवर्ती ने एक पल का देर किए बिना उन्होंने पूरा राज अपने महामंत्री को सौंप दिया यह कहानी रक्षाबंधन पर्व प्रारंभ होने की कहानी बयां करते हैं

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