शीतल राज मुनिश्री ने कहा कोई संप्रदाय बुरा नहीं होता, बुरा संप्रदायवाद होता है

शीतल राज मुनिश्री ने कहा कोई संप्रदाय बुरा नहीं होता, बुरा संप्रदायवाद होता है

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 23 अगस्त। स्थानीय पूजारी पार्क स्थित मानस भवन में अपने नियमित प्रवचन के आज 23वें दिन सम्यक दर्शन, मोह कर्म, संप्रदाय, इच्छाकारेणं पाठ व जीव एवं हिंसा पर बोलते हुए शीतल राज मसा ने कहा संप्रदाय बुरा नहीं होता बल्कि संप्रदायवाद बुरा होता है। उत्तराध्य्यन सूत्र के अनुसार उन्होंने कहा दुख का एकमात्र कारण अज्ञानता ज्ञान से तेरा मेरा दूर होगा। बगैर ज्ञान के समता भाव नहीं होगा तो एकता नहीं होगी संप्रदाय एक व्यवस्था है लेकिन संप्रदायवाद बुरा है ।

मुनिश्री ने कहा सम्यक दृष्टि के साथ-साथ विवेक का ध्यान रखें कि उठते बैठते खाते पीते पाप कर्म से बचे मोह कर्म पर बोलते हुए गुरुदेव ने कहा हमारे जीवन में होने वाली अच्छी बुरी घटनाओं का मूल कारण कर्म है । कर्म कई प्रकार के होती है, जिसमें मोहनीय कर्म सबसे भयंकर है । प्रिय, अप्रिय, गुस्सा, अभिमान, कपट, लोभ, इत्यादि इस कर्म के जनक हैं। इसके निवारण में सभी के साथ व्यवहार सहनशीलता सम्यक ज्ञान इत्यादि से मोहनीय कर्म क्षीण होता है। मोह कर्म भी तीव्र क्रोध, तीव्र मान, तीव्र माया, तीव्र लोभ, तीव्र दर्शन मोहनीय इत्यादि सहित भोगने के लिए विवश करता है । मोहनीय कर्म विकृति पैदा करता है। इस कर्म के कारण क्रोध, मान, माया, लोभ से ग्रस्त हो जाता है। सही को गलत गलत को सही मानता है।

नवकार मंत्र पर मुनिश्री ने कहा यह देवगुरु धर्म से भरा है नवकार मंत्र में वितरागी तथा महान आत्माओं को नमस्कार किया गया है । जिसमें पांच महान आत्माएं अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु है। नमस्कार मंत्र में अरिहंतों, सिद्धो, आचार्य, उपाध्याय को कहा गया है। नमस्कार मंत्र सब पापों को विनिष्ट करने वाला है। उन्होंने सम्यक दृष्टि, मिथ्या दृष्टि पर कहा दोनों में दिन-रात का अंतर है, वितरक को पाने का गुण सम्यक दृष्टि में है बिना संता ले सम्यक दृष्टि सम्यक ज्ञान नहीं होगा बच्चों को बाल्यावस्था में ही नवकार मंत्र एवं इच्छाकारेणं का पाठ सिखा देना चाहिए । नवकार मंत्र को भाव सहित समझे तेरा मेरा खत्म हो जाएगा । वही नोट कमाने से नहीं धर्म कमाने से धन आएगा। पैसे के साथ पाप बढ़ेगा, तीर्थंकर पद पाने बहुत पुण्य की जरूरत है। केवल दिल दिमाग शुद्ध बन जाए तो सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान अपने आप आ जावेगा। कल्याण के लिए सबसे पहले सम्यक दर्शन की आवश्यकता है। जैन धर्म का उपवास एकासना करोगे कल्याण होगा।

मुनि श्री शीतल राज ने आगामी 1 सितंबर रविवार को पर्युषण पर्व प्रारंभ होने के साथ कहा कि इस दिन सभी आए, दया दिवस में भाग ले सामायिक, प्रतिक्रमण, संवर पूरे मन से करें । साधक बड़ी संख्या में आने की सहमति भी दे रहे हैं। उनकी धर्म ध्यान, सामायिक दया, प्रतिक्रमण की प्रस्तुति के आधार पर उनका सम्मान बहुमान भी विशेष आकर्षण स्मृति चिन्ह के साथ सहयोगी करेंगे।

पर्युषण पर्व महापर्व है, 8 दिन तक चलने वाला यहां पर हमें तीर्थंकरों द्वारा दिखाए गए मार्ग की याद दिलाते हैं। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सही मार्ग चलते हुए आत्मा को मुक्त करने, आत्मा की शुद्धि, व राग द्वेष को कम करने की प्रेरणा देता है। स्वयं के पापों को प्रायश्चित का पर्व भी है।

उपस्थित जनों को मार्गदर्शन देते हुए उन्होंने कहा सभी अपने साथ 10 से 100 वर्ष तक के लोग आए। दया का बड़ा कार्यक्रम भी है संवर में भी रहे। उन्होंने कहा दया सामायिक, प्रतिक्रमण सभी विधि विधान पूरे मन से करें। तपस्या के प्रेरक प्रेमचंद भंडारी ने पचखान कराया । समिति अध्यक्ष सुरेश जैन ने तप तपस्वी के लिए भोजन शाला में की गई व्यवस्था की जानकारी दी।

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