दूसरों के सपनों को चकनाचूर करना,भोजन झूठा छोड़ना, हरी घास पर चलना भी विराधना का रूप…. जब जीने लगते विराधना का जीवन कमजोर पड़ता जाता आशीर्वाद लेने का सामर्थ्य-समकितमुनिजी

दूसरों के सपनों को चकनाचूर करना,भोजन झूठा छोड़ना, हरी घास पर चलना भी विराधना का रूप…. जब जीने लगते विराधना का जीवन कमजोर पड़ता जाता आशीर्वाद लेने का सामर्थ्य-समकितमुनिजी

आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला जुग जुग जियो का तीसरा दिन

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ) , 24 अगस्त। किसी के अरमारों और सपनों को कभी चकनाचूर मत करो। जब-जब हम ऐसा करते है विराधना करते है। जब हम विराधना का जीवन जीने लगते है आशीर्वाद लेने का सामर्थ्य भी कमजोर पड़ता जाता है। विराधना भी करे ओर आशीर्वाद भी मिलता रहे ऐसा संभव नहीं है।

ये विचार शनिवार को श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘जुग जुग जियो’ के तीसरे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 वर्षो में धर्मस्थान खूब बढ़े, धर्म करने ओर कराने वाले भी बढ़ गए लेकिन साथ ही प्रकृति का प्रकोप भी बढ़ गया है। कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे वाले हालात है। प्रकृति के कूपित होेने का एक मात्र कारण विराधना बढ़ते जाना है।

घर हो या बाहर भोजन को झूठा छोड़ना, कप में चाय की घूंट छोड़ना भी विराधना है। मुनिश्री ने कहा कि हमे भोजन करने जाते है तो प्लेटो में इतना भर लेते है कि जैसे लंबे समय से भूखे हो ओर बाद में झूठा छोड़ देते है। ऐसा करने के बाद हम कहते समय खराब चल रहा है। काम ऐसे करेंगे तो अच्छा समय कहा से आएगा। प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी ने कहा कि हरी घास पर पैर रखना अत्यंत दर्दकारी होता है ओर हम कार्यक्रम की ऐसी जगह रखते जहां घास होती है। शादियों में हजारों फूलों को कुचला-मसला जाता है।

ये सब विराधना के कार्य होते है। जो पल आशीर्वाद लेने के होते है उन पलों में हम बद्दुआ लेने लग जाते है। सकुन देने वाले फूलों को कुचल कर आगे बढ़ेंगे तो जिंदगी भी सकुन देने वाली नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम जिनशासन के साधक है तो धर्म साधना कर ओर मुनि दर्शन कर आशीर्वाद लेने में विश्वास रखे ये नहीं देखे कि मुनि आशीर्वाद दे रहे है या नहीं आपने दर्शन किए तो आपका काम हो गया है।

प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘मिले जो तुम हमे गुरूवर’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। प्रवचन में श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए।

धर्मसभा में भीलवाड़ा से पधारे प्रकाशजी पारख, नरेन्द्र जी पीपाड़ा सहित बेंगलूरू,चैन्नई,पानीपत,ब्यावर आदि स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया।

चातुर्मास में 28 से 31 अगस्त तक परिवार मे पिता-पुत्री के रिश्ते को महत्व को प्रदर्शित करने वाली प्रवचनमाला पापा की परी का आयोजन होगा। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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