णमोत्थुणं पर आधारित विशेष मंत्रों का मुनिश्री ने कराया अनुष्ठान
रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 25 अगस्त। मंत्र जहां साधक के जीवन में आध्यात्मिकता का विकास करता है, वही आधि-व्याधि-उपाधि से निजात दिलाता है। शारीरिक, मानसिक कष्टों को भी काटता है। पारिवारिक, सामाजिक माहौल में भी सौहार्द, सामंजस्य, मैत्री, प्रेम के प्रवाह को प्रवाहित करने में सहायक बनता हैं, बढ़ाता है। उपरोक्त विचार मुनिश्री सुधाकर जी ने श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा आयोजित श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर के जय समवशरण में “णमोत्थुणं अनुष्ठान” में विशाल जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहे।
अनुष्ठान में तीर्थंकर परमात्मा के 1008 नामो का समुच्चारण करते हुए णमोत्थुणं कल्प के मंत्रों का उच्चारण किया गया। आज के इस विशेष अनुष्ठान में लगभग 950 से अधिक जैनों के साथ जैनेतर बंधुओं ने भी सहभागिता दर्ज करवाई। लगभग 2:30 घण्टा चले इस विशेष अनुष्ठान में रायपुर के साथ-साथ चेन्नई, बेंगलोर, राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई, अम्बिकापुर, मनेन्द्रगढ़, कवर्धा , सरायपाली , टिटलागढ़, धमतरी इत्यादि अनेकों क्षेत्रों के लोगों ने सहभागिता निभा अनुष्ठान किया।
मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल, स्वागत तेरापंथ सभा के अध्यक्ष गौतम जी गोलछा एंव आभार सभा के मंत्री चंद्रकांत जी लूंकड व कार्यक्रम का कुशल संचालन मनीष जी नाहर ने किया। अनुष्ठान के पश्चात मुनिश्री की सन्निधि में पधारे तपस्वी श्री कमल ललवानी – 31, श्रीमती शोभा सेठिया – 16, अरुण जी सिपानी – 11, श्रीमती सोनम बरलोटा – 10 को तपस्या का प्रत्याखान करवाया गया। अनुष्ठान में व्यवस्था की दृष्टि से सहयोगी श्रीमती रत्ना महेन्द्र जी बापना व श्रीमती सोनाली नरेश जी बापना रहें।