अशुभ विचारों को एकत्रित करने ओर याद करने से रिश्ते भी हिल जाते है…. वाणी व काया तक पहुंचने से पहले मन में ही दफना दे अशुभ विचार- समकितमुनिजी

अशुभ विचारों को एकत्रित करने ओर याद करने से रिश्ते भी हिल जाते है…. वाणी व काया तक पहुंचने से पहले मन में ही दफना दे अशुभ विचार- समकितमुनिजी

आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला जुग जुग जियो का चौथा दिन

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 25 अगस्त। अशुभ विचारों को एकत्रित करना ओर उसके बाद बार-बार उनका स्पर्श करना या स्मरण करना आशीर्वाद लेने में सबसे बड़ी बाधा है। हमारी इस तरह की आदत है तो आशीर्वाद पाना कठिन हो जाएगा। हम कई बार छोटी-छोटी बातों को अपनी बेईज्जती समझ लेते है जबकि वह वास्तव में होती नहीं है। इसके बावजूद उन बातों को एकत्रित करने के साथ बार-बार याद भी करते है तो रिश्ते हिल जाते है।

ये विचार रविवार को श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘जुग जुग जियो’ के चौथे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम रिश्ते ओर इगो में किसे फर्स्ट रखते है सोचना पड़ेगा। संत ओर संसारी में इतना ही फर्क होता है जो मन को मना ले वह संत हो जाता है। किसी के प्रति मन में अशुभ विचार आए तो उसे वहीं दफना दे तो आगे के अतिचार व अनाचार से बचाव हो जाएगा।

अशुभ विचार वाणी व काया तक पहुंच गए तो अधिक नुकसान हो जाएगा। मुनिश्री ने कहा कि हमे लगता किसी ने हमारी इंसल्ट की तो हम भी उसकी इंसल्ट करने का प्लान करते है। व्यक्ति इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है। हम किसी को परेशान करना चाहे ओर वह परेशान नहीं हो तो भी परेशानी हो जाती है कि ऐसा क्यों नहीं हो रहा है। जब तक हम दूसरों को परेशान करने का भाव रखेंगे तब तक विराधना का जीवन जीते रहेंगे।

तप त्याग के मौसम में भी तपस्या नहीं करेंगे तो फिर कब करेंगे

प्रज्ञामहर्षि डॉ.समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि एक सितम्बर से आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व आ रहा है। यह पर्व अधिकाधिक त्याग तपस्या करने का मौसम है। इस मौेसम में भी तपस्या नहीं कर पाए तो फिर कब करेंगे। अठाई की भावना मन में रखे ओर तपस्या शुरू करे शरीर जितना तप कर सकता हो उतना अवश्य करे। हम तपस्या कर सकते है फिर भी नहीं करते क्योंकि हमारा दिमाग रील बनाने ओर अपलोड करने में ही लगा रहता।

जिंदगी में सब कुछ करना आसान हो गया लेकिन धर्म करना मुश्किल हो गया। हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर जान देने से अच्छा है तप करते हुए आयुष्य पूर्ण हो। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘सुनो ये गुरूवर ज्ञान के दिवाकर है’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। प्रवचन में श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए।

धर्मसभा में हैदराबाद सहित आसपास के क्षेत्रों व विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास में 28 से 31 अगस्त तक परिवार मे पिता-पुत्री के रिश्ते को महत्व को प्रदर्शित करने वाली प्रवचनमाला पापा की परी का आयोजन होगा।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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