गलत कार्य से अर्जित संपति का नाश होना तय- हरीशमुनिजी मसा…. जीवन को सुखी बनाता संतोष रूपी धन, कुमति से आती विपत्तियां- मुकेशमुनिजी मसा

गलत कार्य से अर्जित संपति का नाश होना तय- हरीशमुनिजी मसा…. जीवन को सुखी बनाता संतोष रूपी धन, कुमति से आती विपत्तियां- मुकेशमुनिजी मसा

अम्बाजी के अंबिका जैन भवन में मुकेशमुनिजी के सानिध्य में चातुर्मासिक प्रवचन

अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ) 25 अगस्त। जहां न्याय व सदाचार की सुमति होती है वहां सुख व संपति का निवास होता है। इसके विपरीत जहां अन्याय व दुराचार की कुमति हो वहां अनेक प्रकार की विपतियां आती है। सुमति व संतोष रूपी धन जीवन को सुखी बनाता है तो कुमति रखने वाला जीवन में दुःख ही पाता है। ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. ने रविवार को श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि सुमति से कमाई गई संपति ही साताकारी होती है ओर उसका उपभोग किया जा सकता अन्यथा कुमति से आई संपति कब चली जाती है पता ही नहीं चलता। सुमति से संपति कमाई जा सकती ये विश्वास कमजोर होने पर लोग कुमति व कपट की तरफ जाते है। हमे सुमति पर विश्वास को कमजोर नहीं होने देना है।

धर्मसभा में सेवारत्न श्री हरीश मुनिजी म.सा. ने कहा कि धन के लोभ में पड़कर व्यक्ति गलत राह पर चलता है ओर झूठ बोलने के साथ छल कपट व ठगी भी करता है। गलत मार्ग पर चलकर उपार्जित संपति व्यक्ति को सुख नहीं दे सकती। ऐसी संपति कमाने वाला उसका लाभ नहीं ले सकता। शास्त्रों में धन की तीन गति दान, उपभोग व नाश बताई गई है। उन्होंने कहा कि गलत कार्य से कमाई गई संपति का दान भी नहीं हो सकता ओर उपभोग भी नहीं किया जा सकता उसका नाश ही होता है। ऐसे कार्य में लिप्त व्यक्तियों को सुख नहीं मिलता ओर संपति होने पर भी समय पर भोजन तक नहीं कर पाता। ऐसे व्यक्तियों की दशा मम्मण सेठ जैसी होती है।

युवारत्न नानेशमुनिजी म.सा. ने कहा कि त्याग ओर सुख एक-दूसरे के पूरक है। जितना त्याग करेंगे उतने सुख की प्राप्ति होगी। चातुर्मास हम तप-त्याग से जुड़कर सुख प्राप्ति का अवसर देता है। हम जिनवाणी श्रवण करते है तो उसके लिए भी समय का त्याग करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में दान,तप, शील आदि के साथ सेवा की भावना भी अहम होती है। हमे भोग की संस्कृति छोड़ अपनी त्याग की संस्कृति अपनानी होगी। शुद्ध भावों से किया गया दान ही सफल होता है।

धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने श्रावक की 12 भावना में से चौथी भावना एकत्व का विवेचन जारी रखते हुए कहा कि व्यक्ति अकेला आता है ओर अकेला जाएगा साथ में कुछ नहीं ले जा पाएगा यह बात हर कोई जानता है फिर भी उसकी परिपालना नहीं कर पाता है। दुनिया में चार प्रकार के व्यक्ति होते है। इनमें से एक बाहर भीड़ में तो अंदर से अकेला होता है। एक बाहर अकेला पर अंदर खूब भीड़ होती है। एक व्यक्ति के बाहर ओर अंदर दोनों तरफ भीड़ तो एक व्यक्ति बाहर ओर अंदर दोनों तरफ अकेला होता है।

उन्होंने कहा कि जो अंदर व बाहर दोनों तरफ अकेला होता है वह जंगल में बैठे साधु के समान होता है। उसके आसपास कोई नहीं पूरी तरह अकेला होता है ओर अंदर भी मोह,माया जैसा कुछ नहीं होकर संसार से अलग चलता है। उस पर सांसारिक मोहमाया असर नहीं करती ओर परिवार में रहकर भी वैराग्य में रहता है। धर्मसभा में प्रार्थनार्थी श्री सचिनमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी लिए। धर्मसभा में हिम्मतनगर, चैन्नई, कलोल,चितरोला, इडर, वडाली, मानसा, आसीन्द, किशनगढ़ आदि स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे।

अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया। रविवार दोपहर में पूज्य हितेशमुनिजी म.सा. के सानिध्य में धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इसमें कई श्राविकाएं शामिल हुई। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे है।चातुर्मास अवधि में प्रतिदिन दोपहर 2 से 4 बजे तक का समय धर्मचर्चा के लिए तय है।

राजस्थान प्रान्तीय उत्तर गुजरात स्थानकवासी जैन महिला मण्डल की साधारण सभा

श्री राजस्थान प्रान्तीय उत्तर गुजरात स्थानकवासी जैन महिला मण्डल की साधारण सभा का आयोजन रविवार को अंबाजी में श्री अंबिका जैन भवन में किया गया। बैठक शुरू होने से पहले सभी सदस्यों व पदाधिकारियों ने पूज्य युवा तपस्वी श्री मुकेशमुनिजी म.सा., सेवारत्न हरीशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के दर्शन प्रवचन का लाभ लिया। बैठक की शुरूआत मंगलाचरण से हुई। अंबाजी महिला मण्डल की ओर से सभी सदस्यों का स्वागत किया गया। मण्डल की महामंत्री मोनिका चौरड़िया ने मण्डल की संघ-समाज के हित में आयोजित की गई विभिन्न गतिविधियों व कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देने के साथ भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की।

मण्डल की कोषाध्यक्ष संगीता बाफना ने आय व्यय का लेखाजोखा प्रस्तुत किया जिसे साधारण सभा ने चर्चा के बाद मंजूरी प्रदान की। मण्डल की अध्यक्ष बसंता चौरड़िया ने कहा कि आगामी स्नेह सम्मेलन अंबाजी में आयोजित करने की भावनाएं रखी गई है। उन्होंने सभी सदस्यों का आभार भी जताया। बैठक का समापन पूज्य मुकेशमुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से मांगलिक श्रवण के साथ हुआ।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627

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