( प्रवचन 26 अगस्त)…    उत्तम आलंबन हमारे भीतर शुभ भाव जगाता है – पूज्य श्रमणतिलक विजय जी

( प्रवचन 26 अगस्त)… उत्तम आलंबन हमारे भीतर शुभ भाव जगाता है – पूज्य श्रमणतिलक विजय जी

आत्मकल्याण वर्षावास 2024

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 26 अगस्त। न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में सोमवार को परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने 63 शलाका ग्रंथ पर आधारित भगवान महावीर स्वामी जी के जीवन चरित्र पर प्रवचन करते हुए बताया कि स्वयं भगवान ने अपने प्रति अच्छा या बुरा वर्तन करने वाले सभी के प्रति शुभ भाव ही रखा।

वैसे ही आपको भी परमात्मा के इन गुणों को ग्रहण करने की आवश्यकता है। कोई आपके प्रति अनुकूल रहे या प्रतिकूल, सबके प्रति अच्छे भाव रखिए। राग, द्वेष, क्रोध, माया, लोभ यह सब दुख के कारण हैं। अगर आप यह सब छोड़ दें तो आपकी आत्मा तीर्थंकर बन सकती है, बस आपकी भावना सबके प्रति मैत्री की हो।

मुनिश्री कहते है कि आपके जीवन से जो अशुभ चीज ले जाए वह अच्छा व्यक्ति है। वैसे ही जो आपसे खरा-खरा बात करे, वही आपका असली शुभचिंतक है, आपको उनका धन्यवाद करना चाहिए। आपको समान भाव सभी के लिए रखना है। लेकिन आपके सामने जब पैसे लेने की बात आती है तो सामने वाला व्यक्ति आपको क्रोध से पैसे दे या आपके सामने पटककर पैसे रखे फिर भी आप ले लेते हैं। चार लोगों के सामने तिरस्कार करके भी अगर आपको कोई पैसा दे तो भी आप उस पैसे को लेते हैं।

क्योंकि पैसा हमारी प्राथमिकता है और पैसे की बात में हम लाभ के बारे में ही सोचते हैं. वैसे ही जिनकी दृष्टि गुणों पर होती है वो गलत व्यवहार होने पर भी क्रोध नहीं करता क्योंकि उसकी दृष्टि स्वयं द्वारा पूर्व में की गई ग़लतियों पर होती है । वह समझता है कि यह मेरी ही ग़लती का परिणाम है, और उसकी दृष्टि दूसरे की ग़लतियों पर नहीं जाती है.

मुनिश्री कहते हैं कि इंसान को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे बिना किसी का कोई काम रुक जाएगा। आपके बिना कभी किसी का काम नहीं रुकने वाला है, यह याद रखना। आपको समय को पहचानना है, साथ ही साथ समय रहते अपनी ताकतों का ज्ञान भी आपको होना चाहिए, ऐसा नहीं करोगे तो कमसत्ता चार्ज में आ जाएगी। कभी यह मत सोचना कि मैं जो काम कर सकता हूं, वह दूसरा नहीं कर सकता। समय आने पर आप खुद ही जिम्मेदारी लोगों को सौंप दीजिए। आप अपने बच्चों को जिम्मेदारी दे दीजिए, बहू को जिम्मेदारी दे दीजिए नहीं तो आप आराम करने की उम्र में भी काम करते रह जाएंगे।

श्री मेघराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री धर्मराज जी बेगानी और आत्मकल्याण वर्षावास समिति के अध्यक्ष अजय कानूगा ने बताया कि भगवान महावीर के जीवन को सूक्ष्मता से जानने का अवसर मिल रहा है प्रतिदिन सुबह 9ः15 से 10ः15 बजे मंदिर में मुनिश्री की प्रवचनमाला जारी है। आप सभी इसका अधिक से अधिक लाभ ले और अपने जीवन को सफल बनाए। वर्धमान मंदिर में साधना के क्रम में 29 अगस्त से 11 दिवसीय दादा गुरूदेव इकतीसा जाप प्रारंभ होने जा रहा है। इसमें भाग लेने महिलाएं सरिता देवी से संपर्क कर सकती है और पुरूष वर्ग समिति के सदस्यों से संपर्क कर सकते है।

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