कोयम्बतूर, तमिलनाडु (अमर छत्तीसगढ) 30 अगस्त।
तमिलनाडु के कोयम्बतूर शहर स्थित तेरापंथ जैन भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री दीप कुमारजी के सानिध्य में तेरापंथ धर्मसंघ, के चतुर्थ आचार्य श्रीमद्जयाचार्य का 144 वा निर्वाण दिवस का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा कोयम्बतूर द्वारा किया गया। मुनि श्री दीप कुमारजी ने कहा श्रीमद्जयाचार्य लघु देह में विराट आत्मा थी। उनका शरीर छोटा था, पर उनके कार्य बहुत महान् थे। वे प्रतिभा और पुरुषार्थ के अद्भुत धनी थे। उनका हर स्वप्न सफल और सार्थक बना और इन्होंने हर क्षेत्र में सफलता का वरण किया।
दीक्षा लेते ही उन्हें तेरापंथ के महान आगमवेत्ता संत मुनि श्री हेमराजजी स्वामी का सानिध्य मिला। लगभग 12 वर्षों तक उनके सानिध्य में उन्होंने जैनशास्त्रों कहां गहरा अध्ययन किया। उनमें बेजोड़ गुरु भक्त थी। जयाचार्य मंत्रविद आचार्य थे। उनके सामने कई तरह के संकट आए उन्होंने मंत्रो के द्वारा , गीतों