रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 31 अगस्त। तीर्थंकर भगवंतो ने अपने कर्म काटने के लिए चार तीर्थ की स्थापना की थी, जिसके संबंध में मुनि श्री शीतल राज ने विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने कल से प्रारंभ हो रहे पयूषर्ण महापर्व के बारे में विस्तार से बताया और उसे कड़ाई से पालन करने के लिए कहा।
आड़ा आसन त्यागी शीतल राज मुनि श्री ने कहा तपस्या की आराधना करने से पांचवे भव एवं निदान करने से छठवें भव में जाते हैं । हमारा अगर पाप का उदय होगा तो हम उल्टा ही बात सोचेंगे। कल से 8 दिनों तक हमारे में जोश, उमंग रहेगा, उसका सदुपयोग करें जो भी स्थानक में सुने उसे पालन करें। कौन-कौन सी बात जो हम स्थानक में सुनते हैं, उसे अपने जीवन में अपने आत्मा को उज्जवल बनाना है तो सरलता, नम्रता को अपनाना होगा।
शरीर को शुद्ध रखने के लिए कषायों का त्याग करना जरूरी है । इन आठ दिनों तक क्रोध, मान, माया, लोभ को अगर नहीं छोड़ेंगे तो आपके तप तपस्या का कोई मतलब नहीं होगा। पर्यूषण पर्व में हम हमारी आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए महापुरुषों के बताएं वीतराग वाणी को ग्रहण है। कल से कम से कम पांच सामायिक जरूर करें । इतना करने का प्रयास करें
कल से सुबह 8:00 बजे से 10:30 बजे तक स्थानक में अवश्य रहे कल से शास्त्र का पठान 9:00 बजे तक पूर्ण किया जाएगा फिर उसके बाद उसको समझाया जाएगा। जिनकी आत्मा में धर्म के प्रति रुचि है उनको सम्मान बहुमन किया जाएगा । सामायिक का सत्कार 7:45 से 8:10 तक होगा । कल से सब काम अनुशासन से होगा ।आप सब ध्यान रखें। हिंसा, झूठ, चोरी इन सबके अलावा बैर, झगड़ा को छोडऩे का प्रयास करें।
सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने पचखान कराया। करने वालों की प्रस्तुति की तथा नये लोगों को फोन द्वारा सूचित करने कहा आज भी 32 का उपवास करने वाली महिला ने शीतलराज मुनि का आर्शीवाद प्राप्त किया। मंगल पाठ प्राप्त किया, पचखान लिया। सुरेश जैन ने कल 1 सितम्बर के आयोजित कार्यक्रम की जानकारी दी।