(सी एल जैन सोना)
रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 31 अगस्त। जिस प्रकार मुख पर लगी कालिमा को दूर करने के लिए दर्पण की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार आत्मा पर लगे कर्म कालिमा को दूर करने के लिए परम पवित्र आत्मा के जीवन रुपी स्वच्छ दर्पण की आवश्यकता होती है। जिसे समक्ष रखकर अपनी आत्मा का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है। तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने लगभग साढ़े बारह वर्ष की अनवरत साधना के बाद धन धानिक कर्मां का क्षयकर अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत चारित्र एवं अनंत शक्ति रुप, अनंत चतुष्टय को आत्मा में अभिव्यक्त किया था।
शास्त्रों का गहन-गंभीर ज्ञान प्राप्त करने के लिये मन और मस्तिष्क का शांत रहना उतना ही आवश्यक है जितना की तलगत वस्तु को देखने के लिये सरोवर के पानी का निस्तरंग रहना। मन और मस्तिष्क की ऐसी शांति, समस्याओं के समाधान के बिना नहीं हो सकती।
गृहस्थ जीवन के त्यागी-साधक के लिये तो ऐसी कोई समस्या नहीं होती, किन्तु संसार के रंग-मंच पर जीने वाले मानव के मस्तिष्क में अनेक प्रकार की समस्याएँ उभरती रहती हैं। अनेकविध समस्याओं में प्रमुख समस्या होती है-अर्थोपार्जन की। जिसकी प्राप्ति के लिये वह सदा व्यापार आदि करता रहता है। किन्तु चातुर्मासिक दिनों में वैसे भी व्यापार कम ही चलता है और फिर पर्यूषणों में और भी कम। वे दिन तो आत्म-जागरण के होते हैं। पर्यूषण के इन अष्ट दिवसों में भव्य आत्माएँ वर्ष भर के कर्म कलिमल को प्रक्षालित करने का प्रयास करती हैं।
इस कलिमल का प्रक्षालन करने के लिए शुद्ध, निरंजन स्वरूप किसी आदर्श की आवश्यकता होती है। जिनके जीवन-वृत्तान्त को पढक़र या श्रवणकर चिन्तन-मनन के साथ अपनी आत्मा के साथ आत्मसात् किया जा सके। ऐसे ही पथ-प्रदर्शक आदर्श महापुरुषों का वर्णन प्रस्तुत सूत्र में प्रचुरता के साथ किया गया है। संभव है इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर पूर्वाचार्यों ने ‘अन्तगडसूत्र’ का वाचन पर्यूषण में रखा है।
कल स्थानीय पुजारी पार्क स्थित मानस भवन में नियमित प्रवचन के साथ 1 सितम्बर रविवार को सुबह 8 बजे शीतलराज म.सा. अंतगढ़ का वाचन करेंगे जो कि 8 दिन तक रोज सुबह वाचन कर धर्म ग्रंथों, महापुरुषों, तीर्थंकर भगवतों इत्यादि की जानकारी देंगे।
इसमें भाग लेने वाले सभी नियमों के तहत अनुशासन में रहकर भाग लेंगे। रायपुर छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्यप्रदेश, उज्जैन, धार, महाराष्ट्र, राजस्थान से भी बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविका प्रवचन लाभ लेने के लिए पहुंच रहे है।
जिनकी पूरी व्यवस्था भोजन शाला व अन्य व्यवस्था चातुर्मास लाभार्थी संचेती परिवार के दीपेश संचेती, प्रियंका संचेती व परिजन लगातार कर रहे है तथा आने वालों का बहुमान, सम्मान भी किया जा रहा है। इसी क्रम कल दुर्ग का पारख परिवार भी उपस्थितजों का बहुमान करने जा रहा है।
पर्युषण पर्व 8 दिन तक मनाया जाने वाला यह हमें तीर्थंकरों द्वारा दिखाए मार्ग की याद दिलाता है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सही मार्ग चलते हुए आत्मा को मुक्त करने की प्रेरणा देता है। अमर छत्तीसगढ़ परिवार ने सभी आगंतुक उपस्थितजनों को पर्युषण पर्व की आग्रिम बधाई दी है।
(सी एल जैन सोना)