(प्रवचन 31 अगस्त)… कुछ कार्य अचिंतनीय होते हैं… नाम मंत्र की अपनी महिमा – मुनि सुधाकर

(प्रवचन 31 अगस्त)… कुछ कार्य अचिंतनीय होते हैं… नाम मंत्र की अपनी महिमा – मुनि सुधाकर

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 31 अगस्त। श्री लाल गंगा पटवा भवन टैगोर नगर में गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेश कुमार जी के सान्निध्य में आज दिनांक 31/08/2024 को शनिवारीय विशेष प्रवचन अंतर्गत नाम मंत्र की महिमा पर उपस्थित जनमेदनी को मार्गदर्शीत किया गया।


मुनिश्री सुधाकर जी ने कहा कि कुछ कार्य अचिंतनीय होते हैं उसी में एक है नाम। जिसकी अपनी अलग ही महिमा होती है। नाम का प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व में पड़ता है परंतु यह हमेशा संभव नहीं कि सभी व्यक्ति अपने नाम अनुरूप ही समान कार्य करें।
मुनिश्री ने आगे बताया कि कैसे करें नाम जप, कैसे करता है नाम मंत्र रक्षा, कैसे बनता है नाम मंत्र ,कौन सा नाम ताप-संताप मिटाता है आदि विषय में विस्तार से उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को बोधित किया।


मुनिश्री ने आगे कहा कि प्राचीन संस्कृति से ही तीन चीजों का प्रभाव विशेष रूप से देखने को मिलता है –
पहला मणी – रत्नों का अपना अदभुत संसार है। रत्न व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का कायाकल्प कर सकता है। दूसरा है मंत्र – मंत्रों की अपनी शक्ति होती है। मंत्र से चित्त समाधि प्राप्त, आदि- व्याधि से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

मंत्र तभी शक्तिशाली या अपना विशेष प्रभाव देता है जब वह चार कानों अर्थात दो गुरु के व दो शिष्य के या मंत्र दाता व मंत्र याचक तक सीमित रहें। भारतीय संस्कृति में नाम मंत्र की महिमा प्राचीन काल से ही है। नाम जाप ताप व संताप का हरण करता है। संताप अर्थात तनाव।
मुनिश्री नरेश कुमार जी ने महामंत्र…. गीतिका का संगान किया।

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