आठ दिवसीय अखण्ड जाप का आगाज, उपवास के साथ सामूहिक तेला तप की शुरूआत… आत्मा को कुंदन बनाने के लिए तप से तपाना पड़ेगा- कंचनकंवरजी मसा….

आठ दिवसीय अखण्ड जाप का आगाज, उपवास के साथ सामूहिक तेला तप की शुरूआत… आत्मा को कुंदन बनाने के लिए तप से तपाना पड़ेगा- कंचनकंवरजी मसा….

भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ), 1 सितम्बर। जप, तप व भक्ति कर आत्मा को निर्मल व पावन बनाने के अवसर आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की शुरूआत महावीर भवन बापूनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में रविवार को श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य पूज्य श्री मिश्रीमलजी म.सा.‘मधुकर’ के प्रधान सुशिष्य उप प्रवर्तक पूज्य विनयमुनिजी म.सा.‘भीम’ की आज्ञानुवर्तिनी शासन प्रभाविका पूज्य महासाध्वी कंचनकुंवरजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में हुई। पर्युषण के साथ ही आठ दिवसीय अखण्ड नवकार महामंत्र जाप भी शुरू हो गया।

पहले दिन वेलकम पर्वाधिराज विषय पर प्रवचन में महासाध्वी कंचनकंवरजी म.सा. ने कहा कि हमारी आत्मा के जो आठ कर्म लगे हुए है उन्हें तोड़ सिद्ध बुद्ध मुक्त होने का अवसर पर्युषण पर्व है। आत्मा को कुंदन के समान स्वर्णिम बनाना है तो उसे तप से तपाना होगा। आत्मा तप से तपेगी तभी वह विशुद्ध बनेगी। जीवन को चिंतामणी बनाने के लिए पर्युषण में चिंतन मनन भी करे।

उन्होंने कहा कि हमे जानना होगा कि जीवन का निर्माण कैसे करे। इच्छाओं का निरोध करने पर आत्मा को तप का आवरण पहना सकते है। संकल्प लेना है कि पर्युषण में झूठ नहीं बोलेंगे, किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे, जप-तप करके जीवन को पावन व निर्मल बनाएंगे। प्रखर वक्ता साध्वी डॉ.सुलोचनाश्री म.सा. ने कहा कि हम भौतिकता में इस तरह रम गए है कि धर्म के लिए समय ही नहीं है।

भीतर के कषायों को तप त्याग से मिटाने का अवसर पर्वाधिराज पर्युषण देता है। हमे कर्मो के बंधन काटने के लिए शरीर को नहीं आत्मा को सजाने पर ध्यान देना है। उन्होंने कहा कि भीतर के दर्पण को साफ किए बिना राग द्धेष की दीवार नहीं तोड़ पाएंगे ओर आत्मा को नहीं सजा पाएंगे। आत्मा को सजाने का स्थान धर्मस्थान है।

पर्युषण धर्म की अधिकाधिक कमाई करने का सुअवसर प्रदान करता है। मधुर व्याख्यानी डॉ. सुलक्षणाश्री म.सा. ने कहा कि पर्युषण कषायों से मुक्त होकर पुण्यार्जन का अवसर है। मनुष्य जन्म पाने के लिए देवता भी तरसते है क्योंकि मनुष्य भव से ही मोक्ष मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि कभी ज्ञान का अभिमान नहीं करना चाहिए अन्यथा गति बिगड़ जाती है। तप त्याग करके हम अपने कर्मो का बंधन मिटा सकते है ओर मोक्ष की राह सुगम बना सकते है। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने सामूहिक तेला तपक रने की भावना रखते हुए पहले दिन उपवास के प्रत्याख्यान लिए। बेला, आयम्बिल, एकासन के भी प्रत्याख्यान लिए गए।

संचालन करते हुए श्रीसंघ के मंत्री अनिल विश्लोत ने बताया कि तेला तपस्वियों का सामूहिक पारणा 4 सितम्बर को महावीर भवन में ही होगा। पर्युषण अवधि में प्रवचन सुबह 8.30 बजे से शुरू होंगे। प्रतिदिन प्रवचन के शुरू में एक घंटे अंतगड़सूत्र का वाचन किया जाएगा एवं सुबह 9.30 बजे से व्याख्यान होगा। पर्युषण में दूसरे दिन 2 सितम्बर को मां है मंदिर ममता का विषय पर प्रवचन एवं दोपहर में मुझे पहचानों में कौन प्रतियोगिता होगी।

साध्वी सुलाचनाजी म.सा. ने किया अंतगड़ सूत्र का वाचन

पर्युषण के तहत सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ के वांचन की शुरूआत साध्वी डॉ. सुलोचनाजी म.सा. के मुखारबिंद से हुई। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व आत्मसाधना का महान पर्व है। उन्होंने कहा कि आर्य सुधर्मास्वामी से उनके शिष्य आर्य जम्बूस्वामी पूछते है कि आठवें अंग सूत्र में परमात्मा प्रभु महावीर ने क्या फरमाया ओर किस विषय का प्रतिपादन किया। उस समय सुधर्मास्वामी ने अपने मुखारबिंद से जो फरमाया वही अंतगढ़ दशांग सूत्र के अंदर है। इस आठवें अंग में प्रभु महावीर ने आठ वर्ग का प्रतिपादन किया जिनमें 90 चैप्टर है। प्रत्येक चैप्टर में एक-एक अंतकृत केवली (सिद्धात्मा) का वर्णन है।

लघु नाटिका से समझाया साक्षरता का महत्व

धर्मसभा में बालिकाओं द्वारा लघु नाटिका की प्रस्तुति देकर जीवन में साक्षरता का महत्व समझाया गया ओर निरक्षर होने पर क्या परेशानियां आती है इसकी झलक प्रस्तुत की गई। लघु नाटिका में प्रस्तुति देने वालों में ममता नाहर, पिंकी कोठारी, संतोष पामेचा व अजंलि सोनी शामिल थे।

अखण्ड नवकार महामंत्र जाप की आराधना शुरू

महावीर भवन में अष्ट दिवसीय पर्युषण में अखण्ड नवकार महामंत्र जाप भी रविवार से शुरू हो गया। सुबह 6 बजे विधिपूर्वक जाप की स्थापना साध्वी डॉ. सुलोचनाजी म.सा. के सानिध्य में हुई। इस अवसर पर श्रीसंघ के संरक्षक लादूलाल बोहरा, अध्यक्ष कमलेश मुणोत, उपाध्यक्ष प्रकाश नाहर, महामंत्री दलपत सेठ, मंत्री अनिल विश्लोत, श्री पार्श्वनाथ नवयुवक मंडल के सरंक्षक मनोज बाफना आदि भी मौजूद थे। इसके तहत आठ दिन श्रावक-श्राविकाओं को अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन एक-एक घंटे का समय जाप के लिए देने की प्रेरणा प्रदान की गई है। श्रावक-श्राविकाएं उत्साह से अपने निर्धारित समय पर नवकार महामंत्र जाप की आराधना करने के लिए पहुंचते रहे।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627

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