काठमाण्डौ नेपाल(अमर छत्तीसगढ) 1 सितंबर
युगप्रधान महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा-2 के पावन सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में आज महावीर जैन निकेतन भवन में जैन श्वेताम्बर समाज का पर्युषण पर्व का शुभारंभ हुआ। सूर्योदय के साथ ही तेरापंथ महिला मंडल की श्रद्धावान श्राविकाओं द्वारा नमस्कार महामंत्र का अखंड अनुष्ठान भी प्रारंभ हुआ। दिन में बहनों के द्वारा जप अनुष्ठान चलेगा और रात्रि में भाईयों के द्वारा जप अनुष्ठान चलाया जायेगा।
इस तरह काठमाण्डौ नेपाल में एक लंबे अंतराल के पश्चात मुनिश्री रमेश कुमार जी मुनि रत्न कुमार जी का चातुर्मास मिला है सभी में बहुत ही उत्साह देखने को मिल रहा है। तपस्या का भी उल्लेखनीय वातावरण बना हुआ है। दो महिने से निरंतर तप अनुष्ठान की आराधना भाई बहन के माध्यम से गतिमान है।
आज पर्युषण पर्व का के शुभारंभ पर अपने ओजस्वी वक्तव्य में मुनि रमेश कुमार जी ने कहा – पर्युषण विशुद्ध आध्यात्मिक पर्व है। इस पर्व में क्षमा, सहिष्णुता, मैत्री और तप- त्याग की विशेष आराधना की जाती है। जीवन में आध्यात्मिक धर्म का अवतरण तभी होता है जब कषाय उपशान्त होता है।क्रोध,मान,माया और लोभ उपशान्त होते हैं। इनके उपजीवी भय,शोक,घृणा, कामनायें और वासनाओं के चक्र गति शून्य होते है।
मुनि रमेश कुमार जी ने आगे कहा- संसार एक काल चक्र द्वारा जैन धर्म में उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल से उल्लेखित है। इसे आपने विस्तार से समझाते हुए पर्युषण की व्याख्या भी की।
पर्युषण पर्व में आज खाद्य संयम दिवस मनाया गया। इसे समझाते हुए मुनि रत्न कुमार जी ने कहा- खाद्य संयम रसनेन्द्रिय विजय की कठिन साधना है। भोजन कब ? क्यो ? कैसे करना चाहिए इसे आपने विस्तार से समझाया। सतत अभ्यास और निरंतर साधना के द्वारा रसनेन्द्रिय पर विजय पाई जा सकती है।
इससे पूर्व मुनि श्री रमेश कुमार जी द्वारा नमस्कार महामंत्रोच्चारण से पर्युषण पर्व के विशेष प्रवचन का शुभारंभ हुआ। प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग भी इस अवसर पर कराये गये। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुभागमल जी जम्मड ने समाज की ओर से सभी का स्वागत किया। तेरापंथ महिला मंडल ने पर्युषण पर्व पर और खाद्य संयम दिवस पर सुमधुर गीत प्रस्तुत किया।
संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा काठमाण्डौ नेपाल