बड़ी तपस्या… पूनम 24 उपवास, महावीर तेला, भावना रानी किरण का “षमवशरण तप”, पुष्पा मोक्ष तप, ललिका कण्ठी तप…. मनुष्य अपने ही सोच के कारण दुखी हो जाता है और दूसरों से बराबरी की सोच उसे बर्बाद कर देती है (टिकरापारा)… स्वाध्याय के पांच प्रकार वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्म कथा- उपासिका मंजू (वैशाली नगर)

बड़ी तपस्या… पूनम 24 उपवास, महावीर तेला, भावना रानी किरण का “षमवशरण तप”, पुष्पा मोक्ष तप, ललिका कण्ठी तप…. मनुष्य अपने ही सोच के कारण दुखी हो जाता है और दूसरों से बराबरी की सोच उसे बर्बाद कर देती है (टिकरापारा)… स्वाध्याय के पांच प्रकार वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्म कथा- उपासिका मंजू (वैशाली नगर)

पर्युषण पर्व दूसरा दिन “स्वाध्याय दिवस”

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 2 सितंबर श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2024 का सोमवार की सुबह विशेष पूजा, सामायिक, कल्प सूत्र का वाचन, शाम को प्रतिक्रमण एवं रात्रि में बच्चे, महिलाओं, पुरुषों के द्वारा कई जैन धार्मिक भक्ति प्रस्तुत किया गया ।


पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन गुजराती जैन समाज टिकरापारा, वैशाली नगर में तेरापंथ समाज एवं नेहरू नगर में श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ द्वारा कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमती ज्योति चोपड़ा एवं श्रीमती शोभा मेहता द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया । रात्रि में भक्ति संध्या में समाज की महिलाओं ने एवं बच्चों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया ।

इस अवसर पर समाज के संरक्षक विमल चोपड़ा, इंदर चंद बैद, नरेंद्र मेहता, इन्दर चंद बैदमुथा, योगेश चोपड़ा, राजेश परसवानी, शैली, सुभाष श्रीश्रीमाल, तुषार मेहता, सुनीता जैन, सहित समाज के सदस्य उपस्थित थे।

पर्यूषण पर्व दुसरे दिन शाम की मूल नायक भगवान के आरती की बोली योगेश महावीर चोपड़ा, मूल नायक भगवान के मंगल दीपक की बोली सुभाषचंद्र अनुराग श्रीश्रीमाल, दादा गुरुदेव की आरती एवं मंगल दीपक की हीरचंदजी संजय संजीव चोपड़ा, तीसरे दिन सुबह का शांति कलश एवं आरती की बोली प्रवीण कोचर एवं परिवार ने लिया लाभ ।

बड़ी छोटी तप तपस्याओं की बन रही है लड़ी

पूनम का 24, मासक्षमण की ओर चली
तपस्या की कड़ी में गुजराती जैन समाज की श्राविका पूनम तेजाणी पिता गुलाब भाई तेज़ाणी द्वारा 24 का उपवास कि प्रत्याखान ली है जो कि मासक्षमण की ओर अग्रसर है। इस तपस्या में केवल पानी लिया जाता है । पूर्व में भी पूनम ने 8 एवं 9 की तपस्या की।


ललिका सुरेंद्र मालू “कण्ठी तप”
जैन समाज की श्रीमती ललिका सुरेंद्र मालू जैन रिंग रोड निवासी की बड़ी तप चल रही। “कण्ठी तप” जो की 54 दिन का होगा, जिसमें 36 दिन मौन उपवास एवं 18 दिन पारणा होगा । आज 47 दिन हो गए 54 दिन के साथ 8 सितंबर को पूर्ण होगा। तप में पहले एक से चार की तपस्या तक चढ़ते हैं फिर वापस उतरते हैं ।
अठाई, षमवशरण एवं मोक्ष तप
षमवशरण तप श्रीमती भावना चोपड़ा, श्रीमती रानी डाकलिया, श्रीमती किरण भंसाली का चल रहा है । इस तप में 15 दिनों तक एक समय भोजन एकासना एवं अंतिम 16 दिन उपवास अनाज का त्याग रहेगा। यह लगातार 4 सालों तक पयूषर्ण पर्व के दौरान किया जाएगा । समाज की श्रीमती पुष्पा श्रीश्री माल का मोक्ष तप की तपस्या चल रही है । जिसमें 7 दिनों तक एकासना एवं आठवें दिन उपवास की तपस्या रहेगी । महावीर चोपड़ा पिता योगेश चोपड़ा का आज तेला की तपस्या चल है वह अठाई की ओर अग्रसर है।

प्रवचन- मनुष्य अपने ही सोच के कारण दुखी हो जाता है और दूसरों से बराबरी की सोच उसे बर्बाद कर देती है (टिकरापारा)

श्री दशाश्रीमली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा में पर्वधीराज पर्युषण महापर्व शुरू हो गया है। गुजराती जैन समाज में पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ शुरू किया गया। जिसे सुबह 6:00 बजे भक्तांबर प्रार्थना, 9:00 से 10:30 बजे तक जागृति दीदी शाह एवं जिग्ना दीदी सेठ द्वारा प्रवचन दिया गया।

प्रवचन में दीदी ने बताया कि मनुष्य अपने ही सोच के कारण दुखी हो जाता है और दूसरों से बराबरी करने की सोच मनुष्य जीवन को बर्बाद कर देती है इसीलिए किसी भी मनुष्य को दूसरे मनुष्य के प्रति पॉजिटिव सोच मन में सोचना चाहिए नेगेटिव भावना या नकारात्मक भावना किसी भी व्यक्ति के लिए मन में नहीं सोचना चाहिए । जिससे कि उसका जीवन भी आनंद में रहेगा और दूसरे भी उसे प्यार और लगाव से बात करेंगे ।

आज के जीवन में यदि मनुष्य के जीवन में आनंद और प्यार है तो जीवन सरल हो जाता है। इसलिए हमेशा परमात्मा बनने की सोच मन में रखना चाहिए । जिससे कि कोई भी कार्य गलत नहीं होता है, क्योंकि भाव ऐसे हो जाते हैं कि परमात्मा मुझसे कोई गलत कार्य नहीं करवाएगा, और ऐसे भाव रखने वाला व्यक्ति कभी गलत काम कर भी नहीं सकता। हमेशा सबके साथ अच्छा करने का भाव ही परमात्मा में विलीन कर सकता है। और अपनी आत्मा को परम आत्मा बन सकते हैं।

आज के कार्यक्रम में समाज के अध्यक्ष भगवान दास भाई सुतरिया, मनुभाई मिठाणी, गुलाब तेजाणी, खुशाल तेजाणी, शरद दोशी, दर्शित तेजाणी, गोपाल वेलाणी, दीपक सुतारिया, किशोर देसाई, हेमंत सेठ, दीपक गांधी, कीर्ति गांधी, शोभना सुतारिया, हेमा तेजाणी, उर्मिला तेजाणी, हेनी, हिती, हनी, झील, वंशिका, अर्हम, दक्ष, आदि बहुत बड़ी संख्या में समाज के सभी उपस्थित थे।

स्वाध्याय के पांच प्रकार वाचना, पृच्छना ,परिवर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्म कथा- उपासिका मंजू (वैशाली नगर)

पर्युषन पर्वाराधना के दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस के दिन प्रवक्ता उपासिका मंजू सेठिया एवं सहयोगी उपासिका जयंती सिंघी ने बताया कि स्वाध्याय का अर्थ है सत् साहित्य का अध्ययन। स्वाध्याय के पांच प्रकार होते हैं वाचना, पृच्छना ,परिवर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्म कथा। स्वाध्याय से कर्मों की निर्जरा होती है और बड़े से बड़ा संकट भी टल सकता है। उन्होंने ऋषभ भगवान का जीवन चरित्र सुनाते हुए बताया कि कैसे उन्होंने असि मसि कृषि का ज्ञान जनता को दिया था ,और कैसे बैलों को छिंकी बंधाने के कारण उनको एक वर्ष तक आहार पानी का योग नहीं मिला। और उसी परंपरा को याद करके आज भी श्रावक समाज में वर्षी तप किया जाता है। कैसे उनके प्रपौत्र श्रेयांश कुमार ने भगवान ऋषभदेव को इक्षु रस से वर्षीतप का पारणा करवाया।और जनता को दान की विधि से परिचित कराया।
भगवान महावीर के पूर्व भवों में विश्वभूति का भव और त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि कर्म किसी को भी नहीं छोड़ते, भगवान महावीर का जीव तीर्थंकर बनने वाला था लेकिन जब त्रिपृष्ठ के भव में उन्होंने क्रूर कर्म किये तो उनके जीव को नर्क में भी जाना पड़ा।


सायंकालीन प्रतिक्रमण का समय 6:30 से 7.30 है और उसके बाद में साथ 8:30 से प्रतिदिन सायंकालीन प्रवचन भी होता है। कल के सायंकालीन प्रवचन में तेरापंथ धर्म संघ में आचार्य की अनुपस्थिति में भी नए आचार्य का चयन कैसे हुआ इस बारे में बताते हुए डालगणी के जीवन चरित्र के बारे में बताया गया था।
प्रवचन में विनोद लुनिया, सुरेंद्र मालू जैन, प्रदीप दुग्गड, सुमित बोथरा, रमेश नाहर, अंजू गोलछा, संगीता बेरड़िआ, कुसुम लुनिया, सुनीला नाहर, ललिका मालू, कमला दुग्गड, शांति दुग्गड, भावना बोथरा, सोनल नाहर,नीतू दुधेरिया, सोनिका नाहर इत्यादि -इत्यादि की उपस्तिथि रही

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