बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 4 सितंबर। श्री जैन श्वेतांबर समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2024 का बुधवार को बड़ी संख्या में समाज के लोग दोपहर भगवान महावीर जन्म वाचन को बड़े ही धूमधाम से मनाया। विशेष शांति कलश की पूजा, सामायिक, कल्प सूत्र, भक्ति हुए । शाम को प्रतिक्रमण एवं रात्रि में भक्ति की गई ।
जैन समाज के प्रचार प्रसार प्रभारी अमरेश जैन ने बताया कि पर्युषण महापर्व के बुधवार को नेहरू नगर में भगवान महावीर का जन्म वाचन दिवस मनाया गया । सुबह एवं रात्रि में विशेष पूजा हुई उसके पश्चात 14 स्वप्नों की बोली लगाई गई । पूजन वेशभूषा धारण कर स्तवन कुलनायक पूजा, शांति कलश पूजा, मंगल दीपक सहित कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमति ज्योति चोपड़ा, श्रीमती शोभा मेहता एवं श्रीमती पुष्पा श्रीश्रीमाल द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया । उसके पश्चात रात्रि में जैन समाज के श्रावक एवं श्राविकाओं ने एक से बढ़कर एक भक्ति गीत प्रस्तुत कर पूरे माहौल को भक्ति मय बना दिया ।
महावीर जन्म वाचन महोत्सव मे लगी 14 स्वप्नों की बोली
पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन नेहरू नगर में भगवान महावीर स्वामी के जन्म वाचन दिवस उत्सव मनाया गया। 14 स्वप्नों की बोली लगाई गई । श्वेत हस्ती की बोली रविन्द्र जादानी, श्री वृषभ की बोली विमल चोपड़ा, श्री केसरी सिंह की बोली इन्दर चंद बैद, श्री लक्ष्मी जी की बोली हीरचंद चोपड़ा, श्री पुष्पमाला डॉ उषा शेंडे, श्री चंद्र मंडल बोली श्रीमती कचरी बाई प्रवीण गोलछा, श्री सूर्यमंडल डॉ उषा शेंडे, श्री महाध्वजा हीरचंद संजय चोपड़ा, श्री स्वर्ण कलश योगेश चोपड़ा, श्री पदम सरोवर शशि रमेश भयानी,श्री क्षीरसागर रविन्द्र जादानी, श्री देव विमान हीरचंद संजय चोपड़ा, श्री रत्नों की राशि त्रिलोक चंद झाबक ने बोली लगाई, निरधून अग्नि नरेंद्र तुषार मेहता। 14 स्वप्नों के अलावा श्री मुनीम जी अमित छाजेड़, भगवान को पालने में बिठाने की बोली श्रीमती कचरीबाई प्रवीण रूपेश गोलछा, पालना झुलाने की बोली, डंका बजाने की बोली एवं अन्य बोली लेने वालों में जैनेंद्र डाकलिया, है । कार्यक्रम का संचालन सुभाष श्रीश्रीमाल एवं सहयोग संजय छाजेड़, अमित मेहता ने किया।
इस अवसर पर नरेंद्र मेहता, सुभाष श्रीश्रीमाल, दिनेश मुनोत, संतोष चोपड़ा श्रीमती ललिता कोठारी, रवीन्द्र जंदानी, सुषमा, किरण चोपड़ा, प्रवीण कोचर, मीनू मेहता, संजय छाजेड़, अमित तुषार मेहता, पुष्पा श्रीश्रीमाल, गौतम बाफना, संजय जैन, अजय जैन, अपेक्षा चोपड़ा, राशि, पंखुड़ी, प्रखर सहित समाज के लोग उपस्थित थे।
तपस्या अठाई, षमवशरण एवं मोक्ष तप
महावीर चोपड़ा पिता योगेश चोपड़ा का आज पांच की तपस्या चल है वह अठाई की ओर अग्रसर है, षमवशरण तप भावना चोपड़ा, रानी डाकलिया, किरण भंसाली का चल रहा है । इस तप में 15 दिनों तक एक समय भोजन एकासना एवं अंतिम 16 दिन उपवास अनाज का त्याग रहेगा। यह लगातार 4 सालों तक पयूषर्ण पर्व के दौरान किया जाएगा । समाज की श्रीमती पुष्पा श्रीश्री माल का मोक्ष तप की तपस्या चल रही है । जिसमें 7 दिनों तक एकासना एवं आठवें दिन उपवास की तपस्या रहेगी ।
प्रवचन- जागृति दीदी ने कहा कि मनुष्य को अपनी पांचो इंद्रियों पर काबू रखना चाहिए (टिकरापारा)
आज के प्रवचन में जागृति दीदी ने कहा कि मनुष्य को अपनी पांचो इंद्रियों पर काबू रखना चाहिए यदि मनुष्य अपनी इंद्रियों पर काबू रख सकता है तो उसे जीवन में कभी भी कठिनाई नहीं आएगी। मनुष्य यदि इंद्रियों पर काबू रखेगा तो गलत विचार नहीं आएंगे गलत काम करने की प्रेरणा नहीं होगी किसी का गलत हो ऐसा विचार नहीं करेगा। हर मनुष्य के पांच इंद्रियां होती है इन पांच इंद्रियों का उपयोग सही तरीके से करना मनुष्य सुख जाएगा तो जीवन सफल हो जाएगा यह पांच इंद्रियां है आंख, नाक, कान, जीभ और आत्मा । इच्छा की समाप्ति ही ईश्वर की प्राप्ति होती है और जब भगवान की प्राप्ति हो जाती है तो दुनिया की कोई भी चीज प्राप्त करने की इच्छा ही नही रहेगी।
वाणी संयम का मतलब सिर्फ मौन रखना नहीं है बल्कि हमें कैसे, कहां, कितना व कब बोलना चाहिए इसका विवेक रखना जरूरी (वैशाली नगर)
पर्युषन पर्वाराधना के चौथे दिन वाणी संयम के दिन उपासिका बहनों ने प्रातः कालीन प्रवचन के दौरान वाणी संयम के बारे में बताया ।
उन्होंने कहा कि हमें
1-सत्य वचन बोलना चाहिए लेकिन ऐसा सत्य वचन भी नहीं बोलना चाहिए जो किसी को अप्रिय लगे ।कहा गया है कि सत्यम् ब्रुयात प्रियं ब्रुयात मा
2-बिना बोले नहीं बोलना चाहिए
जितना जरूरी हो उतना ही बोलना चाहिए कम से कम शब्दों में अपनी बात कह देनी चाहिए। जो कम बोलता है उसकी मानसिक शक्ति बढ़ती है।
3- बिना पूछे नहीं बोलना चाहिए दो व्यक्ति बात करें तो बीच में नहीं बोलना चाहिए
4-ऐसे वचन नहीं बोलने चाहिए जो किसी को अप्रिय लगे या किसी के दिल को चोट पहुंचाएं । उन्होंने कहा की वाणी संयम का मतलब सिर्फ मौन रखना नहीं है बल्कि हमें कैसे, कहां, कितना व कब बोलना चाहिए इसका विवेक रखना जरूरी है।
भगवान पारसनाथ के पूर्व भाव के बारे में बताया गया कि कैसे भगवान पार्श्वनाथ के जीव और उनके भाई कमठ के बीच में बैर का अनुबंध बंधा और जो आगे जन्मों जन्मों तक चला। भगवान महावीर के जीवन के बारे में बताते हुए भगवान महावीर के जन्म और बाल्य काल के बारे में बताया गया था ।सामायियक दिवस के दिन कल यहां सामायिक की पचरंगी कराई गई।
सायंकालीन प्रतिक्रमण का समय 6:30 से 7.30 है और उसके बाद में 8:30 से प्रतिदिन प्रवचन भी होता है। जिसमें जैन धर्म के प्रभावक आचार्यो की जीवनी का वांचन होता है